डेटा सेंध के मुआवजे में होगा पेच
नयी दिल्ली: निजी डेटा संरक्षण विधेयक के मसौदे में भले ही डेटा के गलत और अनधिकृत इस्तेमाल के लिए जुर्माने का सख्त प्रावधान है लेकिन हर्जाने की रकम के बारे में तफसील से नहीं बताया गया है। किसी व्यक्ति से शिकायत मिलने पर होने वाली जांच के बाद निर्णय लेने वाले अधिकारी मुआवजे की रकम का फैसला करेंगे। मुआवजे की रकम भी मामलों पर आधारित होगी और निजता की वकालत करने वाले कुछ लोगों का कहना है कि कई लोग शिकायत दर्ज करने के लिए सामने नहीं आएंगे क्योंकि कई मामलों में मुआवजे की रकम ज्यादा नहीं हो सकती है।
न्यायमूर्ति बीएन श्रीकृष्णा के नेतृत्व वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट और मसौदा विधेयक कुछ दिनों पहले ही सरकार को सौंपा था।
इस मसौदा विधेयक में यह प्रस्ताव था कि निजी डेटा के गलत इस्तेमाल पर, संवेदनशील डेटा या बच्चों की निजी सूचनाओं में सेंध लगाने वाली कंपनियों पर 15 करोड़ रुपये या कंपनी के वैश्विक कारोबार के 4 फीसदी, या इनमें से जो भी ज्यादा हो उसे दंड शुल्क के तौर पर लगाया जाएगा। हालांकि हर्जाने के मामले में कोई भी रकम तय नहीं की गई है। मसौदा विधेयक में कहा गया है, 'डेटा का मालिक नियमों का उल्लंघन करने वाले संस्थान से निर्णय लेने वाले अधिकारी के समक्ष निर्धारित प्रारूप में ही मुआवजे की मांग कर सकता है।'
जिस किसी व्यक्ति के डेटा का गलत इस्तेमाल किया गया है उसे कितनी रकम बतौर मुआवजा दी जाएगी, उस पर समिति के एक सदस्य ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि किसी व्यक्ति को जितना नुकसान हुआ होगा उतनी ही रकम की भरपाई होगी। ऐसे वक्त में जब हम यह देखते हैं कि बिना सहमति के किसी भी व्यक्ति के निजी डेटा का इस्तेमाल लक्षित विज्ञापनों के लिए किया जा रहा है तो निश्चित तौर पर डेटा के गलत इस्तेमाल से होने वाले नुकसान का अंदाजा लगाना मुश्किल होगा क्योंकि ज्यादातर लोग मुआवजे की मांग भी नहीं करेंगे।
दूरसंचार क्षेत्र में शिकायत निवारण प्रणाली अच्छी तरह कारगर नहीं हो पाई है और आमतौर पर ग्राहक बिना सहमति के शुरू की गई कुछ अतिरिक्त सेवाओं मसलन हैलो ट्यून्स आदि के लिए रकम की भरपाई करने के लिए आगे नहीं आते हैं क्योंकि इसमें 30-40 रुपये खर्च होते हैं। इस तरह की छोटी रकम की भरपाई करने के लिए दूरसंचार उपभोक्ताओं को कानूनी प्रक्रिया के लिए काफी पैसे खर्च करने के साथ ही ज्यादा वक्त भी देना पड़ सकता है। कुछ लोगों का मानना है कि अगर समिति ने विभिन्न तरह के उल्लंघन के लिए मुआवजे की रकम को भी थोड़ा स्पष्ट किया होता तो ज्यादा बेहतर हो सकता था।
समिति के एक सदस्य ने कहा कि किसी व्यक्ति के लिए मुआवजे की रकम भले ही कम हो सकती है लेकिन अगर इस शिकायत को सामूहिक तौर पर देखा जाएगा तो जिन्हें एक ही तरह के उल्लंघन की वजह से परेशानी हुई है तो इसे मजबूती से पेश किया जा सकता है। एक सदस्य ने कहा, 'दूसरे देशों में यह सामान्य प्रक्रिया है और भारत में भी यह मुमकिन है।' इस विधेयक में भारतीय डेटा संरक्षण प्राधिकरण स्थापित करने की सिफारिश की गई है जो डेटा धारकों के हितों की सुरक्षा करेगा और उनके निजी डेटा के गलत इस्तेमाल को भी रोकेगा। इसके अलावा निजी डेटा सुरक्षा कानून के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने के साथ डेटा सुरक्षा को लेकर जागरुकता बढ़ाई जाएगी।
(साभार- बी.एस.)
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