लहू बोलता भी है: आज़ाद ए हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- नवाब सैय्यद मोहम्मद
आईये, जानते हैं,
आज़ाद ए हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- नवाब सैय्यद मोहम्मद को......
नवाब सैय्यद मोहम्मद:
सन् 1867 में मद्रास में शेरे.मैसूर टीपू सुलतान के ख़ानदान में पैदा हुए नबाव सैय्यद मोहम्मद के वालिद का नाम मीर हुमायूं था।
शुरुआती तालीम मुक़ामी स्कूलों से हासिल करके आप आला तालीम के लिए बाहर गये। पढ़ाई खत्म होने के बाद घर के कारोबार के साथ.साथ आप समाजी और सियासी मामलों में काफी दिलचस्पी रखने लगे थे।
सन् 1894 में आप कांग्रेस पार्टी के मेम्बर बने और सन् 1895 में मद्रास के शैरिफ़ चुने गये। उन्हीं दिनों आपके समाजी कामों को देखते हुए मौजूदा अंग्रेज़ सरकार ने आपको नवाब का खिताब देकर नवाज़ा। मगर इसका सैय्यद मोहम्मद पर कोई असर नहीं पड़ाए क्योंकि अंग्रेज़.सरकार चाहती थी कि आप कांग्रेस के मूवमेंट से अलग हो जायें। उल्टे इसके बाद तो आप और ज़ोर.शोर से कांग्रेस के प्रोग्रामों में हिस्सा लेने लगे और दूसरों को भी अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ इकट्ठा करके आंदोलन के लिए तैयार करने लगे। आप सन् 1900 में लेजिसलेटिव कौंसिल के मेम्बर चुने गये।
आप मद्रास महाजन सभा के अध्यक्ष भी रहे। आपने कई तालीमी इदायरें खोलकर गरीबों में तालीम की रोशनी फ़ैलायी। आपने सरकार से गरीब किसानों और मज़दूरों से टैक्स वसूली रोकने की मांग किये लेकिन सरकार ने आपकी यह मांग नामंजूर कर दी, जिस पर आपने आंदोलन किया और दौराने.आंदोलन ब्रिटिश सिपाहियों द्वारा पहले गिरफ़्तार कर लिये गये।
लेकिन अवाम का भारी दबाव देखकर फ़ौरन रिहा भी कर दिये गये। आप टेक्नीकल एजुकेशन देने के लिए गरीब बच्चों की मदद करते थे। सन् 1903 में आल इण्डिया कांग्रेस का 19वां सालाना इजलास मद्रास में होना थाए जिसकी इस्तक़बालिया कमेटी के आप सदर बनाये गये। बहुत कामयाब प्रोग्राम और इंतज़ाम कराने के लिए तब महात्मा गांधी ने भी आपकी प्रशंसा की थी।
सन् 1905 में आप इम्पीरियल लेजिसलेटिव एसेम्बली के मेम्बर चुने गये। इसी दौरान सन् 1905 में आप लार्ड मिन्टो रिफार्म की ज़बरदस्त मुख़ालिफ़त की। आप अलग मुस्लिम.चुनाव.क्षेत्र के मुख़ालिफ़ थे।
सन् 1913 में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन कराची में होना थाए जिसके लिए फण्ड की कमी की जानकारी जब आपको मिली तो आपने अपने पास मौजूद लाखों रुपया देने के बाद अपनी एक कोठी बेचकर कांग्रेस पार्टी के फण्ड में रुपये जमा किये।
इसी अधिवेशन में आपकी तक़रीर से सभी बड़े कांग्रेस नेता और मौजूद डेलिगेट बहुत प्रभावित हुए। आप मुस्लिम लीग के अलग मुल्क की मांग के विरोधी थे। आप हमेशा से क़ौमी एकजहती के हामी रहे। आपने जब भी कोई समाजी या तालीम का काम कियाए तो उसमें हिन्दू.मुसलमान सबकी एक.सी मदद रही।
आपकी खि़दमात को देखते हुए एक जलसे में जवाहरलाल ने आपको ग्रेट सन आफ इण्डिया के नाम का खि़ताब दिया।
12 नवम्बर सन् 1919 को मद्रास में ही आपका इंतक़ाल हो गया।
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