आइडिया - वोडाफोन विलय मामला: टीडीसैट में अपील कर सकती है आइडिया
.....विभाग की माॅग
► एकमुश्त स्पेक्ट्रम शुल्क के रूप में 33.22 अरब रुपये की बैंक गारंटी सौंपे
► वोडाफोन के स्पेक्ट्रम के लिए करना होगा 39.26 अरब रुपये का भुगतान
► अहम बाजारों में हिस्सेदारी 50 फीसदी से कम करें
नयी दिल्ली, 13 जुलाई: आइडिया सेल्युलर सरकार की भारीभरकम भुगतान की मांग के खिलाफ दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय पंचाट (टीडीसैट) का दरवाजा खटखटाने के विकल्प पर विचार कर रही है। आइडिया के एक सूत्र ने बताया कि कंपनी ने अपने सभी विकल्प खुले रखे हैं। यह पूछने पर कि क्या कंपनी अदालत में जा सकती है, सूत्र ने कहा कि हर विकल्प पर विचार किया जा रहा है। उसने साथ ही कहा कि वोडाफोन के साथ सलाह मशविरे के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। अब तक ऐसे संकेत हैं कि वोडाफोन दूरसंचार विभाग की मांग को अदालत में चुनौती नहीं देगी।
वोडाफोन के सूत्रों का कहना है कि कंपनी सरकार को प्राथमिकता के आधार पर भुगतान कर सकती है क्योंकि वह जल्दी से जल्दी विलय को पूरा करना चाहती है। दूरसंचार विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि अगर आइडिया अदालत जाने का फैसला करती है तो उसे फिर यह स्पष्टï करना होगा कि वह किस मांग का विरोध कर रही है।
दूरसंचार विभाग ने हाल में आइडिया और वोडाफोन इंडिया के विलय को सशर्त मंजूरी देते हुए 33.22 अरब रुपये की बैंक गारंटी मांगी थी। विभाग ने एकमुश्त स्पेक्ट्रम शुल्क के रूप में आइडिया से इस भारी रकम की मांग की थी। इसके अलावा विभाग ने कहा था कि कंपनियों को प्रवेश शुल्क और वोडाफोन को आवंटित 4.4 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम के बाजार निर्धारित कीमत के अंतर मूल्य के रूप में 39.26 अरब रुपये का भुगतान करना होगा। इतना ही नहीं कंपनी को यह हलफनामा भी देना होगा कि वह शुल्क के भुगतान से संबंधित मंत्रालय की सभी मांगों को पूरा करेगी। इनमें कुछ पुरानी मांगें भी शामिल हैं जिन पर अदालत में मामला चल रहा है।
दूरसंचार विभाग ने अपने आदेश में कहा कि आइडिया सेल्युलर को वोडाफोन को आवंटित स्पेक्ट्रम के लिए सालाना किस्तों की जगह एकमुश्त बैंक गारंटी देनी होगी। वोडाफोन ने 2014 में 20.05 अरब रुपये, 2015 में 29.37 अरब रुपये और 2016 में 14.84 अरब रुपये की किस्त भरी थी। लाइसेंस से संबंधित शुल्क चुकाने के बाद ही दोनों कंपनियों के विलय को अंतिम मंजूरी दी जाएगी। इसके लिए दोनों में से कोई भी कंपनी शुल्क का भुगतान कर सकती हैं।
बुधवार को दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदराराजन ने कहा था कि यह आइडिया और वोडाफोन के हित में है कि वे जल्दी से जल्दी डिमांड नोटिस का भुगतान करें। विभाग ने साथ ही आइडिया को उन राज्यों में समायोजित सकल राजस्व के आधार पर बाजार हिस्सेदारी घटाने को कहा है जहां विलय के बाद बनने वाली कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 50 फीसदी से अधिक है। इनमें गुजरात, हरियाणा, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश (पश्चिम) शामिल है। विलय के बाद बनने वाली कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी होगी जिसकी बाजार हिस्सेदारी 43 फीसदी से अधिक होगी। कॉर्पोरेट से जुड़े कानूनी जानकारों का कहना है कि दूरसंचार विभाग ने आइडिया सेल्यूलर से जो मांग की है, वह उचित नहीं है और अदालत में सामने टिक नहीं सकती।
(साभार- बी. एस.)
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