एबीआरएल की ब्रिकी से बिड़ला को होगा घाटा
मुंबई, 12 जुलाई: मोर ब्रांड से किराना स्टोर का परिचालन करने वाली गैर-सूचीबद्ध कंपनी आदित्य बिड़ला रिटेल (एबीआरएल) के प्रवर्तकों को प्रस्तावित सौदे से करीब 1 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। एबीआरएल को निजी इक्विटी फर्म समारा कैपिटल के हाथों बेचने का प्रस्ताव है। मामले से जुड़े एक बैंकर ने कहा कि प्रवर्तकों को यह नुकसान इसलिए होगा क्योंकि संभावित खरीदार ने एबीआरएल के केवल 40 अरबरुपये के बाह्य कर्जों को लेने की पेशकश की है। बिड़ला ने व्यक्तिगत तौर पर एबीआरएल में पिछले एक दशक में 110 अरब रुपये का निवेश किया है लेकिन प्रस्तावित सौदे से उसे करीब 70 अरब रुपये के साथ ही किराना स्टोर में किए गए समूचे इक्विटी निवेश का नुकसान हो सकता है। एबीआरएल ने आदित्य बिड़ला समूह की विभिन्न कंपनियों से 10 अरब रुपये का कर्ज लिया है, जिसे प्रस्तावित खरीदार अपने खाते में नहीं लेंगे और उसे बट्टे खाते में डाला जाएगा।
एक प्रतिस्पर्धी कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी ने कहा, 'कंपनी के कर्मचारियों की संख्या काफी ज्यादा है और खाद्य एवं किराना कारोबार में वह अपेक्षित प्रगति हासिल करने में विफल रही। यही वजह है कि वह एबीआरएल के अधिग्रहण पर आगे नहीं बढ़े।' एबीआरएल के सौदे के लिए उनसे भी संपर्क किया गया था। इससे पहले आदित्य बिड़ला समूह एबीआरएल को अपनी सूचीबद्ध फैशन रिटेल कारोबार आदित्य बिड़ला फैशन ऐंड रिटेल लि. के साथ विलय कराना चाहता था। लेकिन संस्थागत एवं निजी इक्विटी निवेशक इसके लिए तैयार नहीं थे, इसलिए योजना को रद्द कर दिया गया। वित्त वर्ष 2016-18 में एबीआरएल को 6.44 अरब रुपये का घाटा हुआ था।
विश्लेषकों का कहना है कि घाटे के कारण एबीआरएल को बाह्य उधारी से पैसे जुटाने पड़े थे और कंपनी पर कर्ज और ब्याज का बोझ काफी बढ़ गया है। उद्योग के विश्लेषक ने कहा, 'कंपनी में इक्विटी निवेश नहीं होने से इसका कर्ज बोझ बड़ी समस्या बनी हुई है।' मार्च 2017 तक एबीआरएल का कर्ज बढ़कर 64.56 अरब रुपये था। पिछले दशक में कई प्रमुख कारोबारी घराना किराना कारोबार में उतरा था जिनमें से रिलायंस रिटेल और फ्यूचर रिटेल जैसी कंपनियां ही मुनाफा कमाने की स्थिति में पहुंच पाई, वहीं टाटा का स्टार बाजार और संजीव गोयनका का स्पेंसर्स अभी मुनाफे में नहीं आ पाई है। काफी कम मार्जिन, कर्मचारियों की ज्यादा संख्या और ई-कॉमर्स कंपनियों से प्रतिस्पर्धा के कारण किराना कारोबार में मुनाफा कमाना कठिन हो रहा है।
रिटेल क्षेत्र में एवेन्यु सुपरमार्केट्स अपवाद है क्योंकि उसका कारोबारी मॉडल अलग है। एवेन्यु डी-मार्ट ब्रांड नाम से स्टोरों का परिचालन करती है। इसके स्टोर मुख्य रूप से अपने रियल एस्टेट संपत्ति पर होते हैं जिससे उसे किराये में बचत होती है।इस बारे में पक्ष जानने के लिए आदित्य बिड़ला समूह को ईमेल भेजा गया लेकिन उसका जवाब नहीं आया।मार्च 2018 में समाप्त वित्त वर्ष के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि एबीआरएल स्टोर स्तर पर लागत वसूली की स्थिति में आ सकती है, जिसके परिणमस्वरूप उसका 95 फीसदी सुपरमार्केट और 90 फीसदी हाइपरमार्केट मुनाफे में आ जाएंगे। अगर यही रुझान बना रहा तो एबीआरएल मार्च 2019 में समाप्त वित्त वर्ष में मुनाफे में आ सकती है।
आदित्य बिड़ला समूह ने एबीआरएल में कुल निवेश का करीब 32 अरब रुपये इक्विटी एवं वैकल्पिक परिवर्तनीय बॉन्ड के जरिये निवेश किया है। इनमें से 28.7 अरब रुपये मूल्य का बॉन्ड वित्त वर्ष 2019 में भुनाने योग्य होगा और समूह बॉन्ड को आगे बढ़ा सकता है या उसे इक्विटी में बदल सकता है।अमेरिका में वॉलमार्ट की सफलता को देखते हुए आदित्य बिड़ला समूह ने एबीआरएल का गठन किया और 2007 में किराना कारोबार में दस्तक दी। इसकी प्रतिस्पर्धी कंपनियां एवेन्यु सुपरमार्केट्स, फ्यूचर रिटेल और रिलायंस रिटेल ने काफी विस्तार किया और मुनाफे में आ गई लेकिन 509 स्टोर और 20 हाइपरमार्केट वाली एबीआरएल अब भी घाटे में चल रही है। फ्लिपकार्ट और एमेजॉन आदि से मिल रही कड़ी टक्कर के कारण पिछले साल समूह ने अपना फैशन रिटेल कारोबार-आदित्य बिड़ला ऑनलाइन फैशन को भी बंद कर दिया था।
देव चटर्जी और राघवेंद्र कामत
(साभार - बी. एस.)
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