समर्थन का राजनीतिक मूल्य: किसान हितैषी नीतियों से सधेगा चुनावी लक्ष्य!
- धान के एमएसपी में बढ़ोतरी का उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, हरियाणा जैसे धान उत्पादक
- राज्यों में चुनावों पर असर होगा
► तिलहन-दलहन के एमएसपी में वृद्धि से मध्यप्रदेश और गुजरात के किसानों पर असर
► बाजरे के एमएसपी में बढ़ोतरी से राजस्थान के किसान होंगे प्रभावित
► आलोचकों का कहना है कि ज्यादातर राज्यों में फसल खरीद का नहीं है इंतजाम
► भाजपा के मुख्यमंत्रियों से कहा गया है कि वे मोदी सरकार की किसान हितैषी नीतियों का प्रचार कराएं
नयी दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल के 14 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी के फैसले को कांग्रेस की अगुआई वाले विपक्ष ने राजनीतिक हथकंडा करार दिया है। विपक्ष ने इसे इस बात का संकेत भी बताया है कि नरेंद्र मोदी सरकार विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोक सभा चुनाव साथ कराने की संभावनाएं तलाश सकती है। लोक सभा चुनाव अप्रैल-मई, 2019 में होने हैं। उत्तर-पूर्वी राज्य मिरोजम सहित राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे अहम उत्तर भारतीय राज्यों मे विधानसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर में होने हैं। लेकिन मोदी सरकार इन राज्यों और कुछ अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव लोक सभा चुनावों के साथ ही कराना चाहती है।
धान के एमएसपी में बढ़ोतरी का उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, हरियाणा, पंजाब और छत्तीसगढ़ समेत धान उत्पादक राज्यों में चुनावों पर असर पड़ेगा। तिलहन और दलहन के एमएसपी में बढ़ोतरी मध्य प्रदेश एवं गुजरात के किसानों को प्रभावित करेगी, जबकि बाजरे के एमएसपी में बढ़ोतरी का राजस्थान के किसानों पर असर पड़ेगा। मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी ने इस फैसले का बढ़-चढ़कर प्रचार-प्रसार किया है। चार वरिष्ठ मंत्रियों- राजनाथ सिंह, रवि शंकर प्रसाद, राधा मोहन सिंह और हरसिमरत कौर बादल ने बुधवार दोपहर इस फैसले की घोषणा के लिए संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। करीब एक दर्जन वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों को देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करने और योजना का प्रचार करने को कहा गया है।
भाजपा प्रमुख अमित शाह उस दिन चुनावी रूप से महत्त्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में थे। उन्होंने सरकार के इस फैसले को 'ऐतिहासिक' बताया। भाजपा के कई मुख्यमंत्रियों ने भी इस फैसले की तारीफ की। इन मुख्यमंत्रियों से कहा गया है कि वे अपनी सरकारों के जनसंपर्क विभागों को मोदी सरकार की किसान हितैषी नीतियों को प्रदर्शित करने के काम में लगाएं। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार किसानों की नाराजगी की वजह से अत्यधिक दबाव में थी। सुरजेवाला ने कहा, 'यह चुनावी लालीपॉप है।' उन्होंने इस ओर इशारा किया कि देश में खरीद नीति नहीं है और उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से को इसका फायदा नहीं मिलने के आसार हैं।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से संबद्ध ऑल इंडिया किसान सभा ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने एमएसपी बढ़ोतरी में अपना वादा तोड़ा है। इसने कहा है कि प्रधानमंत्री ने ए2+सी2 फॉर्मूले के आधार पर एमसपी बढ़ाने का वादा किया था। इस संगठन के नेता अशोक धवले ने कहा कि इसका प्रचार पूरे देश में किया गया, जबकि सार्वजनिक खरीद केवल धान और गेहूं की होती है और वह भी कुल उत्पादन के 20 फीसदी से कम। धवले ने कहा कि अन्य फसलों के लिए ज्यादातर राज्यों में खरीद की सुनिश्चित व्यवस्था नहीं है, इसलिए ये लाभ किसानों तक नहीं पहुंचने के आसार हैं। धवले ने कहा, 'सरकार चुनावों से पहले एमएसपी का आक्रामक प्रचार कर किसानों को छल रही है।'
एक सरकारी सूत्र ने कहा कि निश्चित रूप से लोक सभा चुनावों के साथ बहुत से विधानसभा चुनाव कराने का प्रयास किया गया है। सूत्रों ने कहा कि केंद्र इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या वह राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभाओं की अवधि को बढ़ा सकता है और इन राज्यों को कुछ समय के लिए केंद्रीय शासन के तहत ला सकता है। इससे इन तीन राज्यों में चुनाव स्थगित हो जाएंगे और लोक सभा चुनावों के साथ होंगे। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम विधानसभाओं के चुनाव लोक सभा चुनावों के साथ होने हैं। कुछ अन्य विधानसभाएं, जिनका कार्यकाल 2019 के अंत में समाप्त होगा, उनमें भी जल्द चुनाव कराए जा सकते हैं। इनमें हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र शामिल हैं। इसलिए लोक सभा चुनावों के साथ कम से कम 12 या इससे ज्यादा राज्यों के विधानसभा चुनाव भी कराए जा सकते हैं।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि एमएसपी में बढ़ोतरी और पहले गन्ना पैकेज की घोषणा यह दर्शाती है कि सरकार किसानों को लेकर फिक्रमंद है। अधिकारी ने कहा, 'सरकार ग्रामीण भारत और गरीबों के लिए अपना खजाना खोलने को तैयार है। इसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये दालों का वितरण और एमएसपी के तहत ज्यादा खरीद के लिए और एजेंसियों की सेवाएं लेना शामिल है।' भाजपा की एक सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने कहा कि एमएसपी में बढ़ोतरी उम्मीद से कम रही। तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि यह फैसला 'प्रचार का हथकंडा' है।
कांग्रेस, वाम दलों और यहां तक कि जदयू ने भी कहा है कि एमएसपी में बढ़ोतरी न केवल स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों से भी कम रही बल्कि प्रधानमंत्री के वादे से भी कम है। प्रधानमंत्री ने पिछले महीने नमो ऐप के जरिये किसानों के साथ संवाद में वादा किया था कि कृषि आय को लागत से 50 फीसदी अधिक किया जाएगा। किसान सभा सरकारी दावों की मुखालफत करने और किसानों की दुर्दशा उजागर करने के लिए 9 अगस्त और 5 सितंबर को विरोध-प्रदर्शन करेगी। सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस विरोध-प्रदर्शन को समर्थन देगी और खुद भी विरोध-प्रदर्शन शुरू करेगी।
(साभार- बिजनेस स्टैण्डर्ड)
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