क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में अंतर से कमाई: आरबीआई के आदेश से हलचल
आरबीआई ने कहा था क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन करने वालों के लिए सेवाएं बंद करने को
नयी दिल्ली: क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों के बैंक खाते बंद किए जाने के कारण मची अफरातफरी से देश के कारोबारियों को विभिन्न एक्सचेंजों में क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में भारी अंतर से कमाई करने का मौका मिला। दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अप्रैल में एक आदेश जारी किया था। इसके तहत बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन करने वाले व्यक्तियों और उद्यमों को अपनी सेवाएं नहीं देने और पुराने ग्राहकों के लिए सेवाएं बंद करने की खातिर 3 महीने का समय दिया गया था, जिसकी समयसीमा 6 जुलाई को समाप्त हो गई है। इसकी शुरुआत एक क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज प्लेटफॉर्म कॉइनेक्स से हुई। उसने घोषणा की थी कि 6 जुलाई के बाद उसका डिजिटल वॉलेट कोई भी नकद जमा स्वीकार नहीं करेगा और सोमवार को दोपहर 2 बजे के बाद क्रिप्टोकरेंसी को नकदी में भुनाने की सुविधा भी समाप्त हो जाएगी।
जैसे-जैसे समयसीमा करीब आती गई, लोगों ने भारी मात्रा में अपनी होल्डिंग्स को कॉइनेक्स पर बेचना शुरू कर दिया। इससे बिटकॉइन, इथीरियम और रिपल सहित दूसरी आभासी मुद्राओं की कीमतों में भारी गिरावट आ गई। उदाहरण के लिए कॉइनेक्स पर रविवार को बिटकॉइन की कीमत 3.57 लाख रुपये और इथीरियम की कीमत 25,275 रुपये थी। दूसरे एक्सचेंज पर बिटकॉइन का भाव 4,40,000 रुपये और इथीरियम का 31,300 रुपये चल रहा था। कई कारोबारियों ने इस मौके का जमकर फायदा उठाया क्योंकि कॉइनेक्स ने लोगों को क्रिप्टोकरेंसी को नकदी में भुनाने के लिए सोमवार तक का समय दिया था जबकि आरबीआई का प्रतिबंध 6 जुलाई से ही लागू हो गया था।
उद्योग के एक सूत्र ने बताया कि बैंकों ने अधिकांश बिटकॉइन एक्सचेंजों को कुछ दिन का अतिरिक्त समय दिया था ताकि निवेशक अपना पैसा निकाल सकें।जैसे ही आर्बिट्रेज के बारे में व्हॉट्सऐप और टेलीग्राम से जुड़े समूहों पर संदेश फैलने शुरू हुए, आभासी मुद्राओं में दिलचस्पी रखने वाले लोग इस मौके का फायदा उठाने के लिए इसमें कूद गए। इसमें एक पेच यह था कि केवल वही लोग इसका इस्तेमाल कर सकते थे जिनके पास कॉइनेक्स वॉलेट में पैसा था क्योंकि कंपनी ने इसमें नए सिरे से पैसा डालना बंद कर दिया था। बावजूद निवेशकों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई और रविवार दोपहर तक इसकी खरीद में जमकर उछाल आई। उन्होंने कॉइनेक्स पर कॉइन खरीदे और कॉइनडेल्टा तथा पॉकेटबिट्स पर भुनाए।
छद्मनाम गबरू से ग्रुप चलाने वाले एक व्यक्ति ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि उसने 3 करोड़ रुपये से अधिक का आर्बिट्रेज कारोबार होते देखा। हालांकि आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि करने का कोई तरीका नहीं है। उन्होंने कहा कि कल से बहुत बिक्री हो रही है लेकिन सही आंकड़े देना मुश्किल है क्योंकि यह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है। लेकिन मैं कह सकता हूं कि बहुत सस्ती कीमत पर 3 करोड़ रुपये की क्रिप्टो की खरीद-फरोख्त की गई। जिसने भी कल कारोबार किया होगा, उसे आज नकदी मिल गई होगी।
दिल्ली और पुणे के 4 लोगों ने इस बात की पुष्टि की कि उन्होंने इस मौके का फायदा उठाया। हालांकि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर नियामकीय अनिश्चितता के कारण उन्होंने बिज़नेस स्टैंडर्ड से अपनी पहचान या होल्डिंग्स जाहिर करने से इनकार कर दिया। आर्बिट्रेज का फायदा उठाने वाले दिल्ली के 28 वर्षीय एक इंजीनियर ने कहा, 'यह बेहतर मौका था। मैंने अपने खाते में जमा सारी राशि से कुछ करेंसी खरीदी और दूसरे प्लेटफॉर्म पर अच्छी कीमत वसूल की। पता नहीं यह सब कितने दिन चलेगा।' अप्रैल में आरबीआई ने बैंकों को आभासी मुद्राओं के साथ कारोबार में लिप्त कंपनियों से कारोबारी संबंध खत्म करने के लिए 3 महीने का समय दिया था। केंद्रीय बैंक ने उपभोक्ता संरक्षण और धन शोधन सहित कई दूसरे जोखिमों का हवाला देते हुए यह निर्देश जारी किया था।
क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज वजीरएक्स के संस्थापक निश्चल शेट्टी ने कहा कि उनके प्लेटफॉर्म पर कीमतें स्थिर बनी रहीं क्योंकि उनके प्लेटफॉर्म ने पी2पी मॉडल अपना लिया है। हालांकि एल्गोरिद्म नहीं अपनाए जाने से बाजार में हमेशा कीमतों में अंतर का फायदा उठाने के मौके होते हैं। एल्गोरिद्म कीमतों में ऐसे किसी अंतर की संभावना खत्म कर सकता है।
शेट्टी ने कहा, 'विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण भारत के क्रिप्टोकरेंसी बाजार में हमेशा कीमतों में अंतर का फायदा उठाने के मौके होते हैं। परिपक्व बाजारों में ऑटोमेटेड सिस्टम कीमतों में अंतर के मौकों को तुरंत हासिल कर लेते हैं। लेकिन भारत में क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार तुलनात्मक रूप से नया है, इसलिए भारत में ऐसे ऑटोमेटेड सिस्टम नहीं है, जो कीमतों में अंतर के इन मौकों को हासिल कर सकें। इस वजह से लोगों को कीमतों में अंतर के मौके मिलते हैं।'
आरबीआई के परिपत्र ने एक ही झटके में एक्सचेंजों के कारोबार को जोखिम में डाल दिया। उद्योग ने इस आदेश पर रोक लगाने के लिए अदालत का रुख किया, लेकिन शीर्ष अदालत ने आरबीआई के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों ने काम करना बंद नहीं किया है और एक एक्सचेंज से दूसरे एक्सचेंजों को जोडऩे का मॉडल तैयार किया है। इसमें बैंकों को जोडऩे की जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि किसी क्रिप्टोकरेंसी के बदले दूसरी करेंसी खरीदी जा सकती है या इन्हें अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों में भेजकर नकदी हासिल की जा सकती है। कॉइनएक्स ने खबर लिखे जाने तक बिज़नेस स्टैंडर्ड के सवालों का जवाब नहीं दिया।
(साभार- बिजनेस स्टैण्डर्ड)
swatantrabharatnews.com