राजनीतिक मंथन: एक साथ चुनाव का दांव कितना होगा कारगर
क्या लोकसभा चुनावों के साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव कराने के लिए तैयार होगी जनता दल (युनाइटेड)
हाल में कुछ ऐसी बातें हुईं हैं जिससे कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल यह निष्कर्ष निकालने लगे हैं कि नरेंद्र मोदी सरकार जनवरी से ही दो-तीन महीने तक चुनावी गतिविधियां जारी रखने पर विचार कर रही है। इस दौरान लोकसभा और कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। यानी 543 सीटों वाले लोकसभा चुनाव के साथ-साथ 14 राज्यों की विधानसभा के लिए भी इस दौरान विभिन्न चरणों में चुनाव हो सकते हैं। रविवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी दल जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित कराया और मोदी सरकार से इस मुद्दे पर सहमति बनाने के लिए भी कहा।
लेकिन इस तरह के कदम के लिए संविधान में संशोधन जरूरी होगा। संविधान संशोधन पारित करने के लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत आवश्यक होता है और फिर इसे राज्य विधानसभा अंगीकार करती हैं। मोदी सरकार को अपने सहयोगी दलों के साथ भी इसे पारित कराने के लिए राज्यसभा में पर्याप्त संख्या जुटाने के लिए मशक्कत करनी पड़ेगी। हालांकि इसका दूसरा रास्ता भी निकल सकता है जिसका जद (यू) के प्रस्ताव में भी सुझाव दिया गया है। मोदी सरकार 14 राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ लोकसभा चुनाव करा सकती है। इसने मोदी सरकार को एक साथ चुनाव कराने के मकसद से इन राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल में विस्तार करने और कुछ सदनों के कार्यकाल में कटौती की संभावनाएं तलाशने को कहा है।
नवंबर-दिसंबर में राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में चुनाव होने हैं। जद (यू) ने अपने प्रस्ताव में पूछा है कि इन राज्यों के सदनों के कार्यकाल में विस्तार हो सकता है या नहीं। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव, 2019 के लोकसभा चुनावों के साथ ही अप्रैल-मई में होंगे। इनमें अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, ओडिशा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश शामिल हैं। लेकिन चार और अन्य राज्य हैं जिनकी विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2020 तक खत्म होना है। इनमें महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा और दिल्ली शामिल हैं। इन चार राज्यों में से तीन राज्यों में भाजपा का शासन है जबकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार है।
अब सवाल यह है कि क्या इन राज्यों की भाजपा सरकार यह सुझाव दे सकती है कि सदन का कार्यकाल समयपूर्व समाप्त कर दिया जाए और लोकसभा चुनावों के साथ ही विधानसभा के भी चुनाव करा दिए जाएं? एक सवाल यह भी है कि केंद्र और आप सरकार के बीच बढ़े तनाव के बाद क्या मोदी सरकार दिल्ली को लोकसभा चुनावों के साथ-साथ विधानसभा चुनाव कराने का केंद्र का फैसला मानने के लिए बाध्य कर सकती है? क्या जद (यू) भी लोकसभा चुनाव के साथ-साथ बिहार में विधानसभा चुनाव कराने के लिए इच्छुक होगा? बिहार विधानसभा का कार्यकाल नवंबर 2020 में खत्म हो रहा है लेकिन इस वक्त वह भाजपा के साथ सीट साझेदारी के लिए अच्छी तरह मोल-तोल कर सकता है। इस तरह कागजी स्तर पर लोकसभा चुनावों के साथ-साथ 14 राज्यों के विधानसभा चुनाव हो सकते हैं।
पिछले दिनों ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया। लोकसभा चुनाव के साथ ही ओडिशा विधानसभा के चुनाव कराए जाते हैं। इसी तरह आंध्र प्रदेश में भी लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव होंगे। लेकिन सत्तासीन तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे का विरोध किया है। तेदेपा, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक और अन्य दल इस बात को लेकर सतर्कता बरत रहे हैं कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ चुनाव कराने से यह राष्ट्रपति चुनाव वाली शैली में तब्दील हो जाएगा और मतदाताओं के बीच मोदी की लोकप्रियता को देखते हुए इससे भाजपा को बढ़त मिल सकती है। इसके अलावा भी कुछ अन्य वजहें हैं जिनकी वजह से विपक्ष मानने लगा है कि मोदी सरकार लोकसभा चुनाव पहले करा सकती है।
भाजपा ने उत्तर प्रदेश जैसे अहम राज्य में चुनाव की तैयारी पहले ही शुरू कर दी है। इस हफ्ते की शुरुआत में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर और वाराणसी में अपनी यात्रा के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं को लोकसभा चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी उत्तर प्रदेश के 71 सांसदों में से कम से कम आधों को सीट नहीं दे सकती है। इसकी गैर-यादव ओबीसी और गैर-जाटव दलित उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारने की योजना है ताकि समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी गठजोड़ की कोशिशों को नाकाम किया जा सके। प्रधानमंत्री मोदी 14-15 जुलाई को अपने लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी का दौरा करने जाएंगे। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि भाजपा लोकसभा चुनाव के साथ बिहार विधानसभा चुनाव कराने की योजना बना रही है।
उच्चतम न्यायालय आगामी कुछ हफ्तों में रामजन्मभूमि मामले में रोजाना सुनवाई करने जा रहा है। ऐसे में भाजपा इस मुद्दे को प्रमुख राजनीतिक विमर्श के तौर पर पेश करने की योजना में है। शुक्रवार को भाजपा ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती के अवसर पर जम्मू कश्मीर में 'हिंदू मुख्यमंत्री' बनाने का संकल्प लिया। धारा 370 से जुड़े सवाल, कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति, पाकिस्तान में नई सरकार बनने के बाद उसके साथ संबंध जैसी वजहें भी चुनाव तारीख की घोषणा तय करने के लिहाज से अहम होंगी।
संसद के आगामी मॉनसून सत्र में मोदी सरकार फिर से तीन तलाक विधेयक पारित करने के लिए दबाव बना सकती है। इसके अलावा पिछड़ा वर्ग के लिए राष्ट्रीय आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने से जुड़े विधेयक पर भी सक्रियता दिखाई जाएगी। भाजपा अन्य पिछड़ा वर्ग में भी अति पिछड़ी जातियों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
(साभार- बिजनेस स्टैण्डर्ड)
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