विभाग पुनर्गठन से मंत्रियों और आइएएस अफसरों की स्वतंत्रता पर कसेगी लगाम
लखनऊ, 24 जून: अब यूपी सरकार के सामने जबरदस्त चुनौती है। नीति आयोग की मंशानुरूप विभाग विलय और पुनर्गठन की कवायद ने नौकरशाही से लेकर मंत्रियों तक में बेचैनी पैदा कर दी है। इससे होने वाली व्यावहारिक दिक्कतों को लेकर चर्चाएं हो रही हैं। मंत्री विभाग कम होने पर अपनी कुर्सी को लेकर चिंतिंत है। प्रस्तावित व्यवस्था को कई चुनौतियों से जूझना होगा। उल्लेखनीय है कि अपर मुख्य सचिव माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित समिति ने विभागों की संख्या 95 से घटाकर 57 करने के साथ ही 62 विभिन्न विभागों को मिलाकर 24 नये विभाग बनाने की सिफारिश की है।
योगी सरकार का मंत्रिमंडल
01 मुख्यमंत्री
02 उप मुख्यमंत्री
22 कैबिनेट मंत्री
09 स्वतंत्र प्रभार मंत्री
13 राज्यमंत्री
अफसरों के स्वतंत्र काम पर अंकुश
अभी हर विभाग में शीर्ष पद पर अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव स्तर के अधिकारी नियुक्त किये जाते हैं जो स्वतंत्र रूप से काम करते हैं। अब यदि कई विभागों को मिलाकर एक विभाग बनाने की सिफारिश को मूर्त रूप दिया गया तो यह तय है कि विलय के स्वरूप गठित होने वाले नये विभाग में शीर्ष स्तर पर अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव स्तर के एक ही अधिकारी की तैनाती होगी जबकि संघटक विभागों में तैनात किये जाने वाले अफसर उस शीर्ष अधिकारी के अधीन ही काम करेंगे। ऐसे में स्वतंत्र रूप से विभाग की कमान संभालने की उनकी हसरत पूरी नहीं हो पाएगी। कुछ ऐसा ही तजुर्बा विभागों के उन मंत्रियों का भी होगा जो अभी स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं।
मंत्रियों में तनातनी बढ़ने का खतरा
आशंका जतायी जा रही है कि यदि विलय कर बनाये जाने वाले नये विभागों में कैबिनेट मंत्री की नियुक्ति में वरिष्ठता को नजरअंदाज किया गया तो मंत्रियों की आपसी तनातनी बढ़ सकती है। विभागों के विलय से एक व्यावहारिक दिक्कत यह आ सकती है कि उच्च शिक्षा और प्राविधिक शिक्षा जैसे विभाग जिनमें मुकदमों की संंख्या ज्यादा है, यदि वे एक हुए तो गठित होने वाले नये विभाग के शीर्ष अधिकारी पर मुकदमों का बोझ बढ़ जाएगा। समिति ने फिलहाल बेसिक और माध्यमिक शिक्षा जैसे विभागों को उनके मौजूदा स्वरूप में अलग-अलग ही बनाये रखने की सिफारिश की है। इन विभागों पर मुकदमों का सर्वाधिक अंबार है। यदि भविष्य में इन दोनों विभागों को मिलाने की संस्तुति की गई तो नये विभाग पर मुकदमों का बोझ बेतहाशा बढ़ जाएगा।
मंत्रिमंडल फेरबदल पर मंथन संभव
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के चार-पांच जुलाई को लखनऊ आने का कार्यक्रम है। इसके पहले 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संतकबीरनगर रैली में आ रहे हैं। ऐसे समय में फेरबदल को लेकर मंथन हो सकता है। अमित शाह की मौजूदगी में भी फेरबदल होने की संभावना है।मुख्यमंत्री ने दो दिन पहले शुक्रवार को अधिकारियों के साथ बैठक की और नीति आयोग के प्रस्ताव का फिर से अवलोकन करने का निर्देश दिया। इसके बाद से मंत्रिमंडल में फेरबदल चर्चा तेज है। इस संभावना के चलते मंत्रियों को अपने विभाग बदले जाने और छिन जाने का खतरा सता रहा है। हालांकि लोकसभा चुनाव निकट होने से सरकार जोखिम लेने से बचेगी। निष्क्रिय, सक्रिय, मुखर, शांत, निष्ठावान और अनुशासित जैसे शब्द चर्चा में आने लगे हैं। कुछ लोगों के हटाये जाने की भी चर्चा है।
(साभार - JNN)
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