गिरफ्तारी के खिलाफ बैंकर लामबंद
मुम्बई: सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकरों ने विभिन्न जांच एजेंसियों द्वारा मनमानी गिरफ्तारी और उत्पीडऩ के खिलाफ एकजुट होकर लडऩे का फैसला किया है। इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) की आज यहां हुई बैठक में अगले सप्ताह सरकार के वरिष्ठï अधिकारियों से मिलकर अपना पक्ष रखने का फैसला किया गया। एसोसिएशन के मुख्य कार्याधिकारी वी जी कन्नन ने कहा कि बैंकरों को सेवानिवृत्त होने के बाद भी कानूनी सहायता और कानूनी लड़ाई लडऩे के लिए बीमा कवर देने का भी निर्णय लिया गया है।
वैकल्पिक उपाय के तौर पर आईबीए वरिष्ठï बैंकरों की एक समिति बनाने पर विचार कर रही है जो बैंकरों पर लगे आरोपों की जांच करेगी और सरकारी एजेंसियां बैंकरों के लिए कोई सख्त कदम उठाने से पहले इस समिति से सलाह मशविरा कर सकती है। बैंकरों ने रियल एस्टेट डेवलपर डी एस कुलकर्णी को दिए गए ऋण के मामले में बैंक ऑफ महाराष्ट्र के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी रवींद्र मराठे, कार्यकारी निदेशक आर के गुप्ता और क्षेत्रीय प्रबंधक नित्यानंद देशपांडे सहित अन्य की गिरफ्तारी के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। पुणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने मराठे को बुधवार सुबह उस समय गिरफ्तार किया जब वह योग कक्षा से वापस आ रहे थे। कन्नन ने कहा कि बैंकरों को कोई नोटिस नहीं दिया गया था। उन्हें अदालत में पेश करने के बाद एमपीआईडी एक्ट के तहत गिरफ्तार कर दिया गया। उन्होंने कहा कि यह कानून बैंकरों पर लागू नहीं होता है। कन्नन ने कहा कि बैंक का इस कंपनी ने करीब 30 साल पुराना नाता था और बैंकों के एक समूह ने उसे 600 करोड़ रुपये का ऋण दिया था जिसमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र की हिस्सेदारी एक अरब रुपये थी।
हाल में बैंक ने कंपनी को 10 करोड़ रुपये का अल्पावधि ऋण दिया था लेकिन उसने इसे वापस ले लिया था। अलबत्ता पुणे पुलिस ने बैंकरों की गिरफ्तारी में जल्दबाजी की। उन्होंने कहा कि यह पूरा घटनाक्रम दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे बैंकरों में दहशत का माहौल है। आईबीए इस मुद्दे को सर्वोच्च स्तर पर उठाएगी और वरिष्ठï बैंकरों की तरफ से एक ज्ञापन भी दिया जाएगा। एसोसिएशन का मानना है कि सही फैसले के लिए बैंकरों को संरक्षण देना अर्थव्यवस्था के विकास के लिए अहम है। एक साथ कई एजेंसियों की जांच से बैंकों का सामान्य कामकाज बाधित हो रहा है।
(साभार- बिजनेस स्टैण्डर्ड)
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