औने-पौने दाम में बैंकों ने बेच दी आलोक इंडस्ट्रीज
मुंबई: दिवालिया टेक्सटाइल फर्म आलोक इंडस्ट्रीज के कर्जदाताओं ने रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) और जेएम फाइनैंशियल ऐसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी (जेएमएफ एआरसी) की ओर से संयुक्त रूप से जमा कराई गई समाधान योजना को मंजूरी दे दी है। सूत्रों ने कहा कि ऋणदाताओं की समिति की वोटिंग प्रक्रिया गुरुवार रात को शुरू हुई थी और शुक्रवार सुबह तक 72 फीसदी ऋणदाताओं ने आरआईएल-जेएमफ एआरसी की समाधान योजना के पक्ष में मत दिया। आरआईएल-जेएमएफ एआरसी द्वारा जमा कराई गई योजना के अनुसार दोनों कंपनियां संयुक्त रूप से 50.5 अरब रुपये में आलोक इंडस्ट्रीज का अधिग्रहण करेंगी, जिनमें से बैंकों को 40 अरब रुपये मिलेंगे।
आलोक इंडस्ट्रीज पर वित्तीय कर्जदाताओं का करीब 295 अरब रुपये बकाया है यानी इस सौदे से बैंकों को 86 फीसदी से ज्यादा का नुकसान उठाना होगा। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इस बारे में पक्ष जानने के लिए आलोक इंडस्ट्रीज के समाधान पेशेवर अजय जोशी को ईमेल किया लेकिन उन्होंने इस बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। पहली बार 40.5 अरब रुपये की योजना का प्रस्ताव किया गया था जिसे ऋणदाताओं की समिति ने अप्रैल में खारिज कर दिया था और केवल 70 फीसदी ऋणदाताओं ने इसके पक्ष में मतदान किया था।
ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) में हालिया संशोधन से पहले किसी भी समाधान योजना को मंजूरी के लिए कम से कम 75 फीसदी ऋणदाताओं की सहमति जरूरी थी। आईबीसी के तहत 270 दिन की समयसीमा पार होने से कंपनी के समेटे जाने का खतरा हो गया था। इससे कंपनी के मूल्य में गिरावट आने और रोजगार छिनने का खतरा हो गया था। इसलिए कंपनी के कर्मचारियों और अन्य परिचालक ऋणदाताओं ने नैशनल कंपनी लॉ पंचाट के अहमदाबाद पीठ में याचिका दायर की। उन्होंने पंचाट से हस्तक्षेप करने की मांग की ताकि टेक्सटाइल कंपनी को खत्म न किया जा सके। 12 जून को एनसीएलटी ने समाधान पेशेवर को निर्देश दिया कि वह ऋणदाताओं की समिति को आरआईएल-जेएमएफ एआरसी द्वारा सौंपी गई नई योजना पर पुनर्विचार करने के लिए कहे और कंपनी को खत्म होने से बचाए। सूत्रों ने कहा कि अगर कंपनी पर ताला लगता है तो इससे न केवल 12,000 कर्मचारियों को नुकसान होगा बल्कि हजारों सहायक इकाइयां और कंपनी से जुड़े किसान भी प्रभावित होंगे। कंपनी का परिसमापन मूल्य 42 अरब रुपये तय किया गया था।
इस बारे में कंपनी का पक्ष जानने के लिए आरआईएल और जेएमएफ एआरसी से संपर्क किया गया लेकिन खबर लिखे जाने तक उनका जवाब नहीं आया। आईबीसी में संशोधन से योजनला की मंजूरी के लिए न्यूनतम मत को 75 से घटाकर 66 फीसदी कर दिया गया। इससे संयुक्त समाधान योजना के मंजूर होने की राह आसान हो गई। आरआईएल-जेएमएफ एआरसी की बोली को 72 फीसदी ऋणदाताओं का मत प्राप्त हुआ है। इससे कंपनी और इसके कर्मचारियों को राहत के संकेत दिखे हैं। आलोक इंडस्ट्रीज भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी कर्ज में चूक करने वाले कॉरपोरेट कर्जदारों की पहली सूची में शामिल है। इस सूची में शामिल सभी 12 कंपनियों को बैंकों द्वारा निपटान प्रक्रिया के लिए एनसीएलटी में भेजा गया है।
मुंबई में चाल के विकास के लिए 11,744 करोड़ रुपये का ठेका
टाटा प्रोजेक्ट्स, कैपिसाइट इन्फ्राप्रोजेक्ट्स और चीन की सिटिक कंस्ट्रक्शन को मुंबई के वर्ली इलाके में बंबई डेवलपमेंट डिपार्टमेंट से चाल के विकास के लिए 11,744 करोड़ रुपये का ठेका मिला है। इसे दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी पुनर्विकास परियोजना माना जा रहा है। इसके तहत 2.6 करोड़ वर्ग फुट क्षेत्र का पुनर्विकास होगा। यह परियोजना 5 चरणों में 8 साल में पूरी होगी। इसके तहत 86 पुनर्वास इमारतें, 76 मंजिल की 10 आवासीय बिक्री इमारतें और 30 मंजिल की एक व्यावसायिक इमारत बनाई जाएगी।
(साभार- बिजनेस स्टैण्डर्ड)
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