उपराज्यपाल के दफ्तर में केजरीवाल के धरने को किसने अधिकृत किया: दिल्ली उच्च न्यायालय
नयी दिल्ली, 18 जून: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से पूछा कि उप-राज्यपाल (एलजी) के दफ्तर में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में हो रहे धरने को किसने अधिकृत किया है। न्यायालय ने यह टिप्पणी भी की कि हड़ताल या धरना किसी के दफ्तर या आवास के भीतर नहीं बल्कि बाहर किया जाता है।
न्यायमूर्ति ए के चावला और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने दो याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। एक याचिका केजरीवाल के प्रदर्शन के खिलाफ है जबकि दूसरी दिल्ली प्रशासन के आईएएस अधिकारियों की कथित हड़ताल के खिलाफ है।
न्यायालय ने कहा, ‘‘(केजरीवाल के) धरने/हड़ताल को किसने अधिकृत किया? यदि यह हड़ताल है तो यह दफ्तर के बाहर होना चाहिए। आप किसी के दफ्तर या आवास के भीतर हड़ताल नहीं कर सकते।’’
दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील सुधीर नंदराजोग ने पीठ के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि केजरीवाल और उनके कैबिनेट सहकर्मियों ने प्रदर्शन करने का फैसला व्यक्तिगत तौर पर लिया है और संविधान के तहत उन्हें ऐसा करने का अधिकार है।
नंदराजोग ने अदालत से यह भी कहा कि इन मामलों में पीठ एक ही निर्देश जारी कर सकती है और वह भी आईएएस अधिकारियों के लिए कि वे मंत्रियों की ओर से आयोजित नियमित विभागीय बैठकों में शिरकत करें।
उन्होंने कहा कि आईएएस अधिकारियों की असोसिएशन ने कल एक प्रेस कांफ्रेंस कर स्वीकार किया था कि वे नियमित तौर पर आयोजित की जाने वाली बैठकों में हिस्सा नहीं ले रहे।
बहस के दौरान केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि कोई भी आईएएस अधिकारी हड़ताल पर नहीं हैं। सरकार ने पीठ से केजरीवाल और अन्य को यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि वे उप-राज्यपाल अनिल बैजल का दफ्तर खाली करें।
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंदर गुप्ता ने भी आज केजरीवाल के प्रदर्शन के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया।
भाजपा सांसद प्रवेश सिंह साहिब, ‘आप’ के बागी विधायक कपिल मिश्रा और भाजपा विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा भी गुप्ता की याचिका में संयुक्त याचिकाकर्ता हैं।
कुछ दलीलें सुनने के बाद पीठ ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 22 जून तय कर दी। पीठ ने कोई अंतरिम निर्देश भी पारित नहीं किया।
न्यायालय ने याचिकाकर्ता वकील उमेश गुप्ता, जिन्होंने आईएएस अधिकारियों की कथित हड़ताल के खिलाफ याचिका दायर की है, से कहा कि वह आईएएस अधिकारी असोसिएशन को इस मामले में एक पक्ष बनाएं।
अपनी याचिका में उमेश गुप्ता ने उप-राज्यपाल को यह निर्देश देने की मांग की थी कि आईएएस अधिकारी अपनी ‘अनौपचारिक हड़ताल’ वापस लें और लोक सेवकों की तरह अपना कर्तव्य पालन करें।
एक अन्य वकील - हरी नाथ राम - ने याचिका दायर कर मांग की है कि केजरीवाल एवं उनके मंत्रियों के धरने को असंवैधानिक एवं अवैध घोषित कर दिया जाए।
मुख्यमंत्री केजरीवाल, उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, मंत्री गोपाल राय और सत्येंद्र जैन 11 जून की शाम से ही उप-राज्यपाल दफ्तर में डेरा डाले हुए हैं। उनकी मांग है कि आईएएस अधिकारियों को अपनी कथित हड़ताल खत्म करने और मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के निर्देश दिए जाएं।
(साभार- भाषा)
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