फूड ऑर्डरिंग फर्मों पर भारी जीएसटी
► रेस्तरों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ समाप्त होने से बढ़ी ऑनलाइन फूड कंपनियों की मुसीबत
► स्विगी ने की कर की दर 18 से घटाकर 5 फीसदी करने की मांग
नई दिल्ली 18 जून: ऑनलाइन माध्यम से मिले ऑर्डर पर खान-पान आदि की आपूर्ति करने वाली कंपनियों को रेस्तरां से कड़ी टक्कर मिल रही है। पिछले साल नवंबर में खान-पान स्टोरों आदि पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किए जाने और इनपुट टैक्स क्रेडिट प्रावधान वापस लिए जाने के बाद ऑनलाइन फूड कंपनियों को मुश्किलें आ रही हैं। कुछ रेस्तरां ने तो अब ऑनलाइन फूड डिलिवरी कंपनियों से अधिक कीमतें वसूलना शुरू कर दिया है।
कुछ रेस्तरां इनपुट टैक्स क्रेडिट सुविधा वापस लिए जाने के बाद आ रहे 3.5 फीसदी अतिरिक्त खर्च की भरपाई के लिए इन कंपनियों के साथ कमीशन की रकम पर मोल-भाव कर रहे हैं। स्विगी, जोमैटो और फूडपांडा जैसी ऑनलाइन कंपनियां रेस्तरों को करीब 20 प्रतिशत कमीशन पर ऑनलाइन डिलिवरी सेवाएं मुहैया कराती हैं। पहले के उलट अब रेस्तरां इन कंपनियों से इनपुट सेवाओं के लिए 18 प्रतिशत जीएसटी पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की मांग नहीं कर सकते हैं।
इस बारे में एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'इन ऑनलाइन फूड डिलिवरी कंपनियों ने कर घटाकर 5 प्रतिशत करने या रेस्तरों को इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने की अनुमति देने दिए जाने की मांग की है।' ऑनलाइन फूड डिलिवरी बाजार में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी और रोजाना 4.5 लाख ऑर्डर पूरा करने वाली स्विगी ने सरकार से दर 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने की मांग की है।फूड डिलिवरी सेवाओं पर 18 प्रतिशत कर लगता है, जिसका भुगतान रेस्तरों को करना होता है, लेकिन वे अब इनपुट सेवाओं के लिए किसी तरह के टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं ले सकती हैं।
एक बड़ी ऑनलाइन फूड डिलिवरी कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रेस्तरां उन पर मार्जिन 3 से 4 प्रतिशत तक कम करने के लिए दबाव डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि दूसरे रेस्तरां ने अपने प्लेटफॉर्म पर दाम बढ़ा दिए हैं। स्विगी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'भारत में ऑनलाइन फूड डिलिवरी सेवाओं पर 18 प्रतिशत जीएसटी और रेस्तरों पर लगे इतने कर के लिए क्रेडिट की सुविधा उपलब्ध नहीं होने से इस खंड पर बुरा असर पड़ा है।'
(साभार- बिजनेस स्टैण्डर्ड)
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