एक और रेल दुर्घटना: सियालदह एक्सप्रेस पटरी से उतरी: निजीकरण की साजिश या रेलवे सिस्टम का फेल होना !
रेल दुर्घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है।
- लखनऊ के DRM तो रेलवे के संरक्षा और सुरक्षा के नियमों की धज्जी उड़ाने में माहिर हैं तथा वे कहते हैं कि, "सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का".
- लगता है कि ट्रेनों का संचालन बिगाड़कर इसे पूरी तरह निजी हाथों में देने कि साजिस हो रही है क्योंकि, उच्च पदस्थ जिम्मेदारी और जवाबदेही नहीं तय की जा रही है और ना ही दुर्घटना के जिम्मेदार उच्च अधिकारियों के बिरुद्ध कोई दंडात्मक कार्यवाही की जा रही है..
[सच्चिदा नन्द श्रीवास्तव, प्रदेश अध्यक्ष (उ. प्र.)/ लो.स.पा. & महामंत्री- रेल सेवक संघ]
- अंबेडकरनगर में सियालदह एक्सप्रेस का इंजन पटरी से उतरा, आवागमन बाधित।
- दुर्घटना के चलते बरेली-वाराणसी डाउन जनता एक्सप्रेस, किसान एक्सप्रेस, एमएफ पैसेंजर सहित कुछ अन्य ट्रेनों को विभिन्न स्टेशनों पर रोक दिया गया है।
अम्बेडकरनगर, 14 जून: वाराणसी-लखनऊ वाया फैजाबाद रेलमार्ग पर अकबरपुर व जाफरगंज स्टेशन के बीच गुरुवार की तड़के डाउन सियालदह एक्सप्रेस का इंजन पटरी से उतर गया। हादसे में कोई हताहत तो नहीं हुआ लेकिन आवागमन बाधित हो गया है। कई ट्रेनें जगह- जगह रोक दी गई हैं।
जम्मू से हावड़ा जा रही करीब तीन घंटे विलंब से चल रही डाउन सियालदह एक्सप्रेस करीब पौने तीन बजे अकबरपुर स्टेशन से चली। अगले नॉनस्टाप स्टेशन जाफरगंज के बीच इंजन पटरी से उतर गया। दुर्घटना के चलते बरेली-वाराणसी डाउन जनता एक्सप्रेस, किसान एक्सप्रेस, एमएफ पैसेंजर सहित कुछ अन्य ट्रेनों को विभिन्न स्टेशनों पर रोक दिया गया है। रेलकर्मियों का दस्ता मार्ग को दुरुस्त करने में जुट गया है।
डिरेल होने से लगभग 20 घंटे यात्रियों को यहां फंसे रहना पड़ा इसके साथ ही इस रेलखंड का संचालन पूरी तरह से ठप हो गया था, जिसे आज देर शाम बहाल किया जा सका।
इस पर प्रतिक्रया देते हुए लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष (उ.प्र.) तथा रेल सेवक संघ के महामंत्री- सच्चिदा नन्द श्रीवास्तव ने कहा कि, अब तो प्रधानमंत्री के सबसे काबिल मंत्री रेल मंत्री की कुर्सी पर हैं तथा सबसे टैलेंटेड अधिकारी रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष पद को सुशोभित कर रहा है लेकिन आये दिन रेल दुघटनाएँ हो रही हैं, कहीं पटरी टूट रही है, कहीं दो डिब्बों को जोड़ने वाली कपलिंग टूट रही है, तो कहीं बर्निंग ट्रेन बन रही है. जबकि, प्रति माह लगभग 60 हज़ार ट्रनों को रेलवे कैंसिल कर रहा है और सैकड़ों ट्रेनों को पार्टली कैंसिल व डाइवर्ट कर रहा है।
श्रीवास्तव ने पूछा कि, क्या रेल मंत्री या रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष- लखनऊ मंडल में हो रही दुर्घटनाओं के लिए उच्च पदस्थ जिम्मेदारी तय करते हुए DRM / लखनऊ और अन्य सम्बंधित उच्च अधिकारीयों पर दंडात्मक कार्यवाही करेंगे क्योकि, उन्नाव स्टेशन पर हुयी लोकमान्य तिलक रेल दुर्घटना से लेकर आजतक हुयी रेल दुर्घटनाओं में उच्च पदस्थ जिम्मेदारी का सिद्धांत नहीं अपनाया गया।
लगता है कि ट्रेनों का संचालन बिगाड़कर इसे पूरी तरह निजी हाथों में देने कि साजिस हो रही है क्योंकि, उच्च पदस्थ जिम्मेदारी और जवाबदेही नहीं तय की जा रही है और ना ही दुर्घटना के जिम्मेदार उच्च अधिकारियों के बिरुद्ध कोई दंडात्मक कार्यवाही की जा रही है..
[सच्चिदा नन्द श्रीवास्तव, प्रदेश अध्यक्ष (उ. प्र.)/ लो.स.पा. & महामंत्री- रेल सेवक संघ]
श्रीवास्तव ने कहा कि, लखनऊ के DRM तो रेलवे के संरक्षा और सुरक्षा के नियमों की धज्जी उड़ाने में माहिर हैं तथा वे कहते हैं कि, "सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का".
उदहारण के रूप में महिला दिवस पर महिला असिस्टेंट लोको पायलट से बिना रुट लर्निंग के लोको पायलट कि जिम्मेदारी देकर जबरन लखनऊ- इलाहाबाद इंटरसिटी एक्सप्रेस चलाने का मामला देखा जा सकता है."
रेलवे बोर्ड को अब भी समझना चाहिए कि कर्मचारी विहीन रेल चलाना संभव नहीं है, अतैव नयी योजनाओं पर विराम लगाकर रेल की अधोसंरचना के अनुपात में रेल कर्मचारियों की भर्ती करके सभी ट्रेनों को समय से चलाना चाहिए तथा संरक्षा और सुरक्षा के अनुरूप संचालन सुनिश्चित करना चाहिए और रेल के ढाँचे को सुदृढ़ करना चाहिए जिससे एक तरफ जहां दुर्घटनाओं को रोका जा सके वहीँ दूसरी तरफ प्रति दिन कैंसिल होने वाली लगभग 2000 ट्रेनों अर्थात प्रति माह लगभग 60000 ट्रेनों का संचालन प्रारम्भ हो सके।
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