इस वजह से बंद होंगी 2.26 लाख कंपनियां, जानिए पूरा मामला
सरकार ने 2.25 लाख नई शेल कंपनियों की पहचान की है, जिनका रजिस्ट्रेशन इस साल रद्द हो जाएगा, यानी कुल 5 लाख से ज्यादा कंपनियां बंद हो जाएंगी.
नयी दिल्ली, 08 जून: शेल कंपनियों के खिलाफ लड़ाई और तेज हो गई है. सरकार ने 2.25 लाख नई शेल कंपनियों की पहचान की है, जिनका रजिस्ट्रेशन इस साल रद्द हो जाएगा. यानी कुल 5 लाख से ज्यादा कंपनियां बंद हो जाएंगी. एसएफआईओ ने शेल कंपनियों की सूची तैयार की है. वित्त वर्ष 2019 में इन कंपनियों के नाम हटाए जा सकते हैं. वित्त वर्ष 2018 में सरकार 2.26 लाख कंपनियों के नाम हटा चुकी है. यही नहीं 7,191 एलएलपी कंपनियां भी सरकार के रडार पर हैं. टास्क फोर्स कंपनियों पर कार्रवाई करने की लिए काम करेगा.
टास्क फोर्स जारी करेगी लिस्ट- फरवरी 2017 में शेल कंपनियों की जांच के लिए टास्क फोर्स बनाई गई थी. वित्त सचिव हसमुख अढ़िया और कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री के सचिव इंजेती श्रीनिवास की अध्यक्षता वाली इस फोर्स ने ऐसी कंपनियों का डेटा इकट्ठा किया, जिसके आधार पर इन कंपनियों को 3 केटेगरी में बांटा है.इसके तहत कंफर्म लिस्ट में 16,537 शेल कंपनियां शामिल हैं. अलग-अलग एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर ये सूची तैयार की गई है. डिराइव्ड लिस्ट में 16,739 कंपनियों के नाम हैं. ये ऐसी कंपनियां हैं जिनके डायरेक्टर वहीं हैं, जो कंफर्म शेल कंपनियों के हैं. तीसरी संदिग्ध लिस्ट है जिसमें 80,670 कंपनियों के नाम हैं.
2.25 लाख कंपनियों की हुई पहचान- सरकार चालू वित्त वर्ष में 2.25 लाख कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर सकती है. ये ऐसी कंपनियां हैं जिन्होंने 2015-16 और 2016-17 में वित्तीय लेखा-जोखा दाखिल नहीं किया. कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री 2.26 लाख कंपनियों पर पहले ही कार्रवाई कर चुकी है. इन कंपनियों ने लगातार 2 साल या इससे ज्यादा वर्षों तक वित्तीय लेखा-जोखा या वार्षिक रिटर्न दाखिल नहीं किया.
3.09 लाख डायरेक्टर अयोग्य घोषित-2013-14, 2014-15 और 2015-16 में इसी तरह-तरह की अनियमितताओं की वजह से 3 लाख 9 हजार डायरेक्टर भी अयोग्य घोषित किए गए हैं.2.25 लाख अन्य कंपनियां भी कार्रवाई के दायरे में-वित्त मंत्रालय का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई के लिए चालू वित्त वर्ष में दूसरा चरण शुरू किया जाएगा. 2 लाख 25 हजार 910 और कंपनियों की पहचान की गई है जिन पर कार्रवाई की जा सकती है. कंपनी एक्ट 2013 की धारा 248 के तहत इन पर एक्शन लिया जाएगा.
कार्रवाई से पहले नोटिस दिया जाएगा- सरकार ऐसी कंपनियों को अपनी सफाई पेश करने का मौका देगी. पहले नोटिस भेजकर डिफॉल्ट की वजह पूछी जाएगी और प्रस्तावित कार्रवाई के बारे में बताया जाएगा.
(साभार- न्यूज़- 18)
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