60 साल पुराने आयकर कानून में बदलाव: दोहरी मार से बचेगा बाजार!
नयी दिल्ली, 05 जून: करीब 60 साल पुराने आयकर कानून में बदलाव के लिए गठित समिति पूंजी बाजार में निवेश पर एकल कर लगाने पर विचार कर रही है। उद्योग जगत लंबे समय से इसकी मांग करता रहा है। माना जा रहा है कि समिति जल्द ही प्रधानमंत्री कार्यालय के पास इस संबंध में एक प्रस्ताव भेजेगी। भारतीय बाजार को निवेशकों के लिए मुफीद बनाने के इरादे से समिति प्रतिभूति परिचालन कर (एसटीटी) समाप्त करने पर भी विचार कर सकती है। हालांकि समिति के कुछ सदस्यों का तर्क है कि एसटीटी से लेनदेन पर नजर रखने में मदद मिलती है, जिससे यह उपयोगी साबित हो जाता है।
इस बारे में एक सूत्र ने कहा, 'समिति के सदस्य मोटे तौर पर इस बात पर सहमत हैं कि पूंजी बाजार पर दोहरा कर लगाने की व्यवस्था समाप्त होनी चाहिए। हालांकि, एसटीटी हटाने के मुद्दे पर समिति के सदस्यों के बीच अब भी विचार-विमर्श चल रहा है।' वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में 100,000 लाख रुपये से अधिक मूल्य के शेयरों पर 10 प्रतिशत दीर्घ अवधि का पूंजीगत लाभ कर लगाने का निर्णय लिया गया। दूसरी तरफ एसटीटी भी जारी रखा गया। एसटीटी प्रत्यक्ष कर होता है, जिसका भुगतान स्टॉक एक्सचेंजों के जरिये कर योग्य प्रतिभूतियों के लेनदेन पर होता है। संग्रह में आसानी और निश्चित राजस्व की प्राप्ति के कारण एसटीटी बरकरार रखा गया है।
नए प्रत्यक्ष कर कानून का मसौदा तैयार करने वाला कार्य बल इस साल 31 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है। पहले यह समय सीमा 31 मई थी, लेकिन बाद में इसे तीन महीने बढ़ा दिया गया। 6 सदस्यीय इस समिति की अध्यक्षता केंद्रीय प्रत्येक कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य अरविंद मोदी कर रहे हैं। मोदी ने पूर्व में आई प्रत्यक्ष कर संहिता का खाका तैयार किया था, जिसे बाद में ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। समिति के एक सदस्य ने कहा, 'मैं निश्चिंत होकर कह सकता हूं कि उद्योग जगत समिति की रिपोर्ट से खुश होगा।' अमेरिका में निगमित करों में कमी किए जाने के परिप्रेक्ष्य में भारत में भी निगमित करों में बदलाव हो सकता है। 2019-18 के बजट में केवल मझोले उद्यमों को भी कर कटौती का लाभ दिया गया था। करों का दायरा बढ़ाने के साथ ही समिति आयकर श्रेणियों पर भी विचार कर रही है।
इस बारे में एक अधिकारी ने कहा, 'हम निगमित और व्यक्तिगत आयकर दोनों के लिर दरें कम करना चाहते हैं। हालांकि ऐसे करने से पहले हम अमेरिका की तर्ज पर ही राजस्व के दूसरे स्रोतों की तलाश कर रहे हैं।' अमेरिका में निगमित कर 35 प्रतिशत से घटाकर 21 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे भारत में सूचना-प्रौद्योगिकी एवं इससे जुड़े खंडों एवं दवा क्षेत्रों पर असर पड़ सकता है, क्योंकि अमेरिकी कंपनियां यहां अर्जित मुनाफा अपने देश ले जाने की कोशिश करेंगी। सरकार ने इस साल बजट में 2.5 अरब रुपये कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए निगमित करों में 5 प्रतिशत कटौती का प्रस्ताव दिया था। समिति अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया सहित प्रमुख देशों की अर्थव्यवस्था के कर कानूनों का अध्ययय कर रही है।
(साभार-बिजनेस स्टैण्डर्ड)
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