पहले छह माह में कम उधार- 2.88 लाख करोड़ रुपये का कर्ज जुटाएगी सरकार
नई दिल्ली/मुंबई, 27 मार्च:
उधार का गणित
2.88 लाख करोड़ रुपये सरकार वित्त वर्ष 2018-19 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में बाजार से लेगी उधार।
पूरे वित्त वर्ष के लिए कुल 6.05 लाख करोड़ रुपये उधार का यह रकम होगी 47.5 प्रतिशत
ऐसे आएंगे 2.88 लाख करोड़ रुपये
1-4 साल के बॉन्ड
(पहली बार ) 8.3%
5-9 साल के 25 %
(पिछले साल 20.6%)
10-14 साल के बॉन्ड 29.2%
(पिछले साल 52.2%)
15-19 साल के बॉन्ड 14.7%
(पिछले साल 12.6% )
20 साल और अधिक अवधि के बॉन्ड 22.9%
(पिछले साल 14.6%)
• परिवर्तित दरों और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जुड़े बॉन्ड होंगे जारी
• 2 साल और 5 साल के दो बेंचमार्क होंगे जारी
सरकार अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान बाजार से 2.88 लाख करोड़ रुपये का कर्ज जुटाएगी जो बजट में तय सकल लक्ष्य का 47.5 फीसदी है। बॉन्ड डीलरों के लिए सरकार का यह फैसला किसी आश्चर्य से कम नहीं है क्योंकि इससे बाजार में जारी संकट कम करने में मदद मिलेगी। अमूमन सरकार वित्त वर्ष की पहली छमाही में तय लक्ष्य का 60 से 65 फीसदी तक कर्ज जुटाती है। इसलिए बाजार 3.3 लाख करोड़ रुपये से 3.6 लाख करोड़ रुपये तक की उम्मीद कर रहा था। इस तरह सरकार हर हफ्ते बाजार से 120 अरब रुपये जुटाएगी जब अब तक यह 150 अरब रुपये से 180 अरब रुपये तक होता था। इससे बाजारों के लिए राहत की बात है।
आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष गर्ग ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 2018-19 में राजकोषीय घाटे की भरपाई के लिए सरकार राष्ट्रीय लघु बचत कोष (एनएसएसएफ) से अतिरिक्त 250 अरब रुपये निकालेगी। पहले के अनुमान के मुताबिक एनएसएसएफ से 750 अरब रुपये निकालने का अनुमान था लेकिन अब इस फंड से एक लाख करोड़ रुपये निकाले जाएंगे। रिजर्व बैंक भी अगले वित्त वर्ष के दौरान सरकारी प्रतिभूतियों की पुनर्खरीद में 250 अरब रुपये की कमी करेगा। इस तरह सकल उधारी 500 अरब रुपये घटकर 5.56 लाख करोड़ रुपये रह जाएगी। बजट में शुद्ध उधारी को 4.62 लाख करोड़ रुपये रखने का लक्ष्य रखा गया था। एनएसएसएफ से 250 अरब रुपये निकालने से इसमें भी कमी आएगी। इस तरह 2018-19 में शुद्ध उधारी 4.27 लाख करोड़ रुपये होगी।
गर्ग ने कहा, 'हमें पूरा भरोसा है कि ओवरड्राफ्ट के बिना हम केंद्र सरकार के सभी खर्चों को पूरा कर लेंगे। हमारे पास एक और तरीका है जिसका हम इस्तेमाल करेंगे। बजट में एक लाख करोड़ रुपये के नकदी प्रबंधन बिल जारी करने का प्रावधान किया गया है। हम इसका इस्तेमाल करेंगे।' आरबीआई भी एक से 4 साल के अल्पावधि के बॉन्ड जारी करेगा। सरकार मुद्रास्फीति सूचकांक से जुड़े बॉन्ड जारी करेगी। ये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित या खुदरा मुद्रास्फीति से जुड़े बॉन्ड होंगे। बॉन्ड डीलर सरकार और आरबीआई से इस तरह के बॉन्ड जारी करने की मांग कर रहे थे।
सरकार उन साधनों से भी रकम उधार लेगी, जिनकी बाजार में खासी मांग रही है। 10 साल और उससे कम अवधि के बॉन्ड लेने के लिए बाजार में कई तैयार बैठे हैं, जबकि 15 साल और इससे अधिक अवधि के बॉन्ड बीमा कंपनियों को लुभा रहे हैं। पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में सरकार ने जितनी रकम उधार ली थी, उनमें 10 से 14 साल के की अवधि के बॉन्ड की हिस्सेदारी 52.2 प्रतिशत थी। अब इस अवधि के बॉन्ड का इस्तेमाल पहली छमाही में 29.2 प्रतिशत रकम जुटाने के लिए किया जाएगा।
ऐसा लग रहा है कि सरकार ने इस बार बाजार की प्रतिक्रिया को खासी गंभीरता से लिया है। सरकारी अधिकारी वैसे तो हरेक साल बॉन्ड कारोबारियो मिलते हैं, लेकिन इस बार सरकार ने उन्हें दिल्ली बुलाकर उनकी दिक्कतों के बारे में पूछा। आम तौर पर बैठक मुंबई में आरबीआई के परिसर में हुआ करती थी, जहां कुछ वरिष्ठï सरकारी अधिकारी आया करते थे।
(साभार: बिजनेस स्टैण्डर्ड)
संपादक: स्वतंत्र भारत न्यूज़
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