एस्सार के लिए मित्तल की बोली पर अलग-अलग सुर
2 अप्रैल को मंगाई जा सकती है दूसरे दौर की बोली
विधि फर्म सिरिल अमरचंद मंगलदास और वरिष्ठ वकील खंबाटा ने आर्सेलरमित्तल की
अयोग्यता पर दी अलग-अलग राय
नयी दिल्ली, 26 मार्च: एस्सार स्टील के निपटान पेशेवरों को विधि फर्म सिरिल अमरचंद मंगलदास और वरिष्ठ वकील डेरियस खंबाटा से आर्सेलरमित्तल की बोली की पात्रता को लेकर अलग-अलग राय मिली है। सिरिल अमरचंद मंगलदास का कहना है कि आर्सेलरमित्तल को बोली के लिए पात्र होने के लिए उत्तम गैल्वा स्टील तथा केएसएस पेट्रोन के कर्जदाताओं का बकाया चुकाना चाहिए। दूसरी ओर खंबाटा का कहना है कि आर्सेलरमित्तल ने उत्तम गैल्वा में तथा एलएन मित्तल ने केएसएस पेट्रोन में अपनी हिस्सेदारी बेच दी है और प्रवर्तक से भी उन्हें हटा दिया गया है, ऐसे में बोली लगाने के लिए उन्हें बैंकों का बकाया चुकाने की आवश्यकता नहीं है।
उत्तम गैल्वा और केएसएस पेट्रोन पर बैंकों का करीब 6,000 करोड़ रुपये का बकाया है और दोनों ही कंपनियों को ऋण निपटान के लिए राष्ट्रीय कंपनी लॉ पंचाट में भेजा गया है। आर्सेलरमित्तल की उत्तम गैल्वा में 29 फीसदी हिस्सेदारी थी और केएसएस, कजाखस्तान में मित्तल की 33 फीसदी की व्यक्तिगत हिस्सेदारी थी। हालांकि एस्सार स्टील के लिए फरवरी में बोली जमा कराने की अंतिम समयसीमा से ठीक पहले मित्तल ने दोनों फर्मों में अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी।
सूत्रों के अनुसार 21 मार्च को हुई ऋणदाताओं की समिति की बैठक में वकीलों में न्यूमेटल की अयोग्यता को लेकर एक राय दिखी लेकिन आर्सेलरमित्तल इंडिया की पात्रता को उत्तम गैल्वा तथा केएसएस पेट्रोन में कंपनी तथा प्रवर्तक के निवेश पर विचार किया गया। इसके परिणामस्वरूप सिरिल अमरचंद मंगलदास और खंबाटा की राय 'सकारात्मक नियंत्रण' को लेकर अलग-अलग थी। खंबाटा के मुताबिक अगर आर्सेलरमित्तल उत्तम गैल्वा के प्रवर्तक से नाम हटाए जाने की प्रक्रिया को पूरी कर लेती है तो ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) की धारा 29ए (सी) इस मामले में लागू नहीं होगी।
24 मार्च को आर्सेलरमित्तल का नाम स्टॉक एक्सचेंजों ने उत्तम गैल्वा के प्रवर्तक से हटा दिया है। हालांकि सिरिल अमरचंद मंगलदास की राय है कि आर्सेलरमित्तल नीदरलैंडस का उत्तम गैल्वा में सकारात्मक नियंत्रण रहा है और बोली सौंपने से ठीक पहले उसने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेची है, ऐसे में वह कंपनी का बकाया चुकाए बिना आईबीसी की धारा 29ए (सी) के तहत बोली लगाने के पात्र नहीं है। निपटान पेशेवरों के वकील यानी सिरिल अमरचंद मंगलदास ने 5 मार्च को अपनी राय का पहला मसौदा दिया था। इसके बाद 7 मार्च को खंबाटा नसे संपर्क किया गया, जिन्होंने 13 मार्च को सिरिल अमरचंद मंगलदास को अपनी सलाह दी।
केएसएस पेट्रोन के मामले में निपटान पेशेवर ने ऋणदाताओं को सूचित किया कि सिरिल अमरचंद मंगलदास की राय इस मामले में भी आर्सेलरमित्तल की बोली को अयोग्य करार देने की है। हालांकि खंबाटा का कहना है कि कंपनी में नकारात्मक नियंत्रण को आईबीसी के तहत 'नियंत्रण' के तौर पर नहीं देखा जा सकता। इसलिए आर्सेलरमित्तल को अयोग्य करार देने के लिए केएसएस पेट्रोन कोई वजह नहीं हो सकती। अलग-अलग राय को देखते हुए सिरिल अमरचंद मंगलदास ने निपटान पेशेवर को कहा कि वह खंबाटा की सलाह को अपनाए।
हालांकि दोनों ही वकीलों ने न्यूमेटल की अयोग्यता पर समान राय दी है, क्योंकि न्यूमेटल में एस्सार स्टील के प्रवर्तक रवि रुइया के बेटे रेवंत रुइया की ट्रस्ट की 25 फीसदी हिस्सेदारी है। रूस के वीटीबी बैंक की योजना मार्च से पहले ट्रस्ट में रुइया की हिस्सेदारी खरीदने की है, जिससे वह एस्सार स्टील की दूसरे दौर की बोली के लिए पात्र हो सके। दोनों योजना खारिज किए जाने के बाद निपटान पेशवर ने दो विकल्प सुझाए हैं- पहला विकल्प यह है कि सभी पक्षों से नए सिरे से बोलियां आमंत्रित की जाए और दूसरा उन कंपनियों से नया समाधान योजना मंगाई जाए, जिन्होंने अभिरुचि पत्र जमा कराया है।
आईसीआईसीआई बैंक, पीएनबी और अन्य ऋणदाताओं की आय है कि कम समय को देखते हुए केवल उन्हीं लोगों से आवेदन आंमत्रित किए जाएं, जिन्होंने अभिरुचि पत्र जमा कराए हैं। इस बीच, जेएसडब्ल्यू स्टील भी बोली प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति के लिए एनसीएलटी जा सकती है। एस्सार स्टील के लिए अगले दौर की बोली 2 अप्रैल को मंगाई जा सकती है।
(साभार: बिजनेस स्टैण्डर्ड)
संपादक: स्वतंत्र भारत न्यूज़
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