एयरसेल भी दिवालिया घोषित !
मुबई: कंपनी ने अपनी सहायक इकाइयों एयरसेल सेल्युलर और डिशनेट वायरलैस के साथ नैशनल कंपनीज लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी), मुबई में दिवालिया की अर्जी दी है। कर्जदाताओं और शेयरधारकों के बीच कर्ज संरचना पर सहमति नहीं बनने के बाद कंपनी यह कदम उठाने पर विवश हो गई। मलेशिया की कंपनी मैक्सिस कम्युनिकेशंस के नियंत्रण वाली एयरसेल ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में तीक्ष्ण प्रतिस्पद्र्धा, एक नई कंपनी (रिलायंस जियो) के प्रवेश, नियामकीय चुनौतियों, कर्ज के दबाव एवं बढ़ते नुकसान से उसके सामने कारोबार करने में मुश्किलें आ रही थीं। सितंबर 2016 से रिलायंस जियो के इस उद्योग में कदम रखने से ज्यादातर दूरसंचार कंपनियों का मुनाफा एकदम नीचे आ गया है। अब दूरसंचार क्षेत्र में केवल 4 निजी कंपनियां रह गई हैं, जबकि बीएसएनएल और एमटीएनएल सरकार नियंत्रित हैं। आने वाले समय में निजी कंपनियों की संख्या 3 तक सिमट सकती है क्योंकि वोडाफोन और आइडिया सेल्यूलर का आपस में विलय हो रहा है। गला काट प्रतिस्पद्र्धा और कम कॉल एवं डेटा दरों के बीच अस्तित्व बनाए रखने के लिए दूरसंचार कंपनियों के पास विलय के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं रह गया है।
कुछ साल पहले तक देश में 1 दर्जन मोबाइल कंपनियां हुआ करती थीं।
दूरसंचार क्षेत्र को सबसे पहले तगड़ा झटका तब लगा था जब 2012 में उच्चतम न्यायालय ने 122 दूरसंचार लाइसेंस रद्द कर दिए थे। इसके बाद सितंबर 2016 में जियो के आगाज के बाद रही-सही कसर भी पूरी हो गई। एयरसेल ने कहा कि उसने ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता के प्रावधान 10 के तहत दिवालिया होने का आवेदन किया है। कंपनी पर कुल 190 अरब रुपये का कर्ज है, जिसमें स्पेक्ट्रम के टले भुगतान भी शामिल हैं। कंपनी ने कहा कि 2016 में इसने रिलायंस कम्युनिकेशन के साथ अपने दूरसंचार कारोबार के विलय की कवायद शुरू की थी, लेकिन विभिन्न कारणों से विलय संभव नहीं हो पाया। सूत्रों के अनुसार आनंद कृष्णन के नेतृत्व वाली मैक्सिस कम्युनिकेशन द्वारा अतिरिक्त रकम देने से इनकार करने के साथ ही एयरसेल की किस्मत पर ताला लग गया।
(साभार: मल्टी मीडिया)
सम्पादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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