पीएमओ के निर्देश पर रोजगार के आंकड़े!
पीएमओ की पहल पर हुआ 'स्वतंत्र ' अध्ययन
► प्रधानमंत्री ने कहा था कि स्वतंत्र अध्ययन के मुताबिक 7 करोड़ लोगों को मिला रोजगार
► जबकि घोष ऐंड घोष को ईपीएफओ आंकड़े लेने में सरकार ने की मदद
► प्रधानमंत्री कार्यालय ने पिछले अक्टूबर महीने में थिंक टैंक से कहा था कि नौकरियों के आंकड़े के त्वरित सूचकांक दें
भारत में 2017-18 में 70 लाख लोगों को पेरोल पर नौकरियां देने का दावा करने वाला 'स्वतंत्र ' अध्ययन प्रधानमंत्री कार्यालय की पहल पर कराया गया था। पीएमओ ने पिछले अक्टूबर में नीति आयोग से कहा था कि 'वह ऐसे त्वरित सूचकांक उपलब्ध कराए, जिनसे रोजगार के आंकड़ों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुझान पता चलते हों।'
इसके बाद नीति आयोग ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के करीब 8 करोड़ अंशधारकों के आंकड़ों तक 'टुआड्र्र्स टुआड् र्स ए पेरोल रिपोर्टिंग इन इंडिया ' नामक शोध के लेखकों की पहुंच बनाने में मदद की। ये आंकड़े सार्वजनिक नहीं हैं, ऐसे में आयोग ने ये आंकड़े ईपीएफओ के नैशनल डेटा सेंटर कार्यालय से लिया (जिसका कार्यालय हैदराबाद में है) और इसे लेखकों- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) बेंगलूरु के प्रोफेसर पुलक घोष और भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष को मुहैया कराया। इसी के आधार पर पेरोल का अनुमान लगाया गया। सरकार के थिंक टैंक ने लेखकों को अपने कार्यालय से काम करने की अनुमति भी दी।
शायद यह पहला मौका है, जब कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के कर्मचारियों से जुड़े आंकड़े गैर सरकारी शोधकर्ताओं के चुनिंदा समूह तक पहुंचाया। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि यहां तक कि ईपीएफओ भी पूरी तरह से नहीं जानता कि उसके रोजगार संबंधी आंकड़ों का इस्तेमाल सरकारी व्यवस्था के बाहर किसी ने किया है।
केंद्र सरकार ने इस अध्ययन का व्यापक रूप से हवाला दिया है और अर्थव्यवस्था में नौकरी रहित विकास को लेकर हो रही आलोचना में इसका इस्तेमाल किया। घोष ऐंड घोष द्वारा अध्ययन को सार्वजनिक किए जाने के 4 दिन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक टेलीविजन साक्षात्कार में कहा कि ईपीएफओ के आंकड़ों के आधार पर एक स्वतंत्र अध्ययन में 7 करोड़ लोगों को नौकरियां मिलने की बात सामने आई है। केंद्र सरकार की ओर से रोजगार की समस्या के समाधान के लिए उठाए गए कदमों की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि उनके केंद्रीय बजट 2018-19 के भाषण में 'स्वतंत्र निकाय के अध्ययन में 7 करोड़ लोगों को नौकरियां मिलने' की बात कही।
सौम्य कांति घोष ने इस बात की पुष्टि की कि दोनों शोधार्थियों ने अपना अध्ययन नीति आयोग के कार्यालय से किया, क्योंकि आंकड़े सार्वजनिक नहीं हैं। सूत्रों ने कहा कि ईपीएफओ ने पूरा आंकड़ा यूआरएस के माध्यम से उपलब्ध करा दिया, जिसे किसी जगह से कोई भी व्यक्ति सर्वर से जुड़कर प्राप्त कर सकता है। बहरहाल सूत्रों ने कहा कि उसके बाद उस यूआरएल को हटा दिया गया।
नीति आयोग ने घोष ऐंड घोष को करीब 70 जीबी ईपीएफओ के डेटाबेस दिए, जिसमें कर्मचारी का नाम, उनकी जन्मतिथि, पैन, भविष्य निधि में योगदान, और उद्योग का नाम शामिल होता है। शोधार्थियों को जनवरी 2015 से नवंबर 2017 के बीच के आंकड़े दिए गए।
पिछले साल 2 नवंबर को नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने ईपीएफओ को पत्र लिखकर अप्रैल से अक्टूबर 2017 के बीच के नए ईपीएफ ग्राहकों के आंकड़े मांगे थे। उस पत्रव्यवहार में कुमार ने पीएमओ की बैठक का हवाला दिया था, जहां नीति आयोग से कहा गया था कि विभिन्न स्रोतों से रोजगार संबंधी आंकड़े एकत्र कर उनका विश्लेषण किया जाए। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, 'सरकार के थिंक टैंक के पास इस तरह के व्यापक आंकड़ों पर काम करने के साधन नहीं हैं। ऐसे मेंं हो सकता है कि उन्होंने सर्वे का काम दिया हो।'
(साभार: बिज़नेस स्टैण्डर्ड)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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