Climate कहानी: COP29 में CBAM पर तीखा अनुपात: उन्नत और विकसित देशों के बीच व्यावसायिक समुदाय पर दबाव
लखनऊ: आज विशेष में प्रस्तुत है, Climate कहानी के अंतर्गत "बाकू, अज़रबैजान में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन बाकू - नवंबर 2024 पर 'शीर्षक' - "COP29 में CBAM पर तीखा अनुपात: उन्नत और विकसित देशों के बीच व्यावसायिक समुदाय पर दबाव" से विशेष प्रस्तुति।
COP29 में CBAM पर तीखा अनुपात: उन्नत और विकसित देशों के बीच व्यावसायिक समुदाय पर दबाव:
बक्कू, अजरबैजान में चल रहे COP29 के जलवायु सम्मेलन के पहले दिन का सांस्कृतिक सत्र महासभा के अवकाश से शुरू हुआ, क्योंकि भारत और चीन के क्षेत्रीय देशों जैसे यूरोपीय संघ के समुद्र तट सीमा एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) को सम्मेलन के दायरे में शामिल किया गया है। माँग की, जिसका अमीर अमीरों ने कड़ा विरोध किया। इस डकैती की शुरुआत से ही बहस का केंद्र बना रहा और इस सम्मेलन के सिद्धांतों पर गहरा असर पड़ा।
सीबीएएम पर विवाद: विकसित देशों की चिंताएँ
सीबीएएम यूरोपीय संघ का एक प्रस्तावित प्रस्ताव है, जो ऊर्जा-गहन कम्पनियों जैसे आयरन, स्टील, महंगाई, ग्रेडिएंट और एल्युमीनियम पर आधारित है, जो कि यूरोपियन यूनियन को शामिल किया गया है। यह शुल्क इन पुर्तगालियों के निर्माण के दौरान स्टूडियो स्टूडियो पर आधारित होगा। यूरोपीय संघ का तर्क है कि इससे यूरोप के घरेलू उत्पादकों और विदेशी उत्पादकों के बीच आर्थिक आधार एक समान होंगे और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
हालाँकि, पूर्वोत्तर देशों का मानना है कि इस प्रकार के रिकॉर्ड उनके लिए भारी आर्थिक भार बन सकते हैं, और यूरोप के साथ-साथ व्यावसायिक साझेदारी को अत्यधिक महंगा किया जा सकता है। वित्त मंत्री ने सीबीएएम को "एकतरफा और मनमाना" करार दिया था और चेताया कि इससे भारत पर नकारात्मक प्रभाव और वैश्विक व्यापार संतुलन कायम रह सकता है।
दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के अनुसार, सीबीएएम के तहत भारत से यूरोप को मिलाकर कार्बन-घन तैयार करने पर 25% अतिरिक्त कर लगाया जा सकता है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 0.05% तक प्रभाव डाल सकता है।
COP29 के पहले दिन की मुख्य बातें और वित्तीय सिद्धांत पर तनाव
COP29 का पहला सत्र अंतिम विलंब से शुरू हुआ, क्योंकि सीबीएएम को शामिल करने पर विकास हुआ और जिलों में अंतिम बहस जारी रही। COP29 के होस्ट अजरबैजान ने सभी देशों से अनुरोध किया है कि वे एक नई जलवायु वित्त व्यवस्था पर सहमति बनाने के लिए गरीबों का शीघ्र समाधान करें। यूएनएफसीसीसी के प्रमुख साइमन स्टील ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन किसी भी देश के हित में है और इसे दान के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
बेसिक देशों (ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत, चीन) ने यूएनएफसीसीसी के समसामयिक सीबीएएम को लेकर एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें इस प्रकार के व्यावसायिक उद्यमों को छोड़ने का आग्रह किया गया। चीन के जलवायु नीति निदेशक ली शुओ ने बेसिक देशों की नीतियों को स्पष्ट करते हुए कहा कि सीबीएएम जैसी नीतियों से पूर्वोत्तर देशों के हितों में गिरावट हो सकती है और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जलवायु परिवर्तन में गिरावट आ सकती है।
विशेषज्ञ की राय और सीबीएएम का प्रभाव
चाइना क्लामेट हब के निदेशक ली शुओ ने कहा कि बेसिक कंट्री के इस प्रस्ताव में बताया गया है कि इन समुदायों का औद्योगिक उद्यमों पर क्या असर हो सकता है। उन्होंने कहा कि यूरोप और अमेरिका में अपने घरेलू सामानों को वैज्ञानिक हरित प्रौद्योगिकी से लेकर नीतिगत नीति पर चल रहे हैं, जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक सोसायटी और एसोसिएटेड एसोसिएट्स जैसे ऑर्थोडॉक्स को बढ़ावा देना है।
थर्ड वर्ल्ड नेटवर्क के रमन ने COP29 में वित्तीय सहायता के मुद्दे पर जोर देकर कहा कि देश को विकसित करने के लिए वैश्विक वित्त पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय अन्य योजनाओं को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है। उनका मानना था कि जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का केंद्र बिंदु होना चाहिए, ताकि जलवायु परिवर्तन में मदद मिल सके।
निष्कर्ष: CBAM का भविष्य और COP29 में आगे की चुनौतियाँ
सीबीएएम जारी इस विवाद ने सीओपी29 को एक गंभीर मंच बना दिया है, जहां केवल जलवायु परिवर्तन पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार और आर्थिक स्थिरता पर भी ध्यान देने की जरूरत है। विशेषज्ञ का मानना है कि सीबीएएम जैस कम्यूनिस्ट में वैयक्तिक सहयोग के अभाव में पूर्वोत्तर देशों की प्रगति में बाधा बन सकती है और जलवायु वित्त व्यवस्था में असमानता बढ़ सकती है।
COP29 में इस अंक में कलाकारों का प्रभाव केवल पर्यावरण पर नहीं, बल्कि वैश्विक व्यावसायिक कंपनियों पर भी शामिल है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि COP29 किस तरह से उन्नत और विकसित देशों के बीच सहयोग का एक नया अध्याय लिख सकता है, जिससे वैश्विक जलवायु लक्ष्य को साधने में मदद मिल सके।
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