नए रेल मंत्री पियूष गोयल का सन्देश
- नए रेल मंत्री पियूष गोयल का सन्देश ……..
- अब प्रश्न उठता है कि, आये दिन बढ़ रही रेल दुर्घटना, ट्रेनों कि बेइंतहा लेट-लतीफी और प्रतिदिन ट्रेनों का निरस्तीकरण से कब और कैसे निजात मिलेगी ?-
- क्या ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है कि, नयी - नयी लोकलुभावन योजनाएं भी भ्रस्टाचार और लूट का संसाधन बनती जा रही हैं ?-
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- नए रेल मंत्री पियूष गोयल का सन्देश ......
प्रिय यात्रियों,
सरकार ने बाराबंकी-अकबरपुर रेल लाइन के दोहरीकरण के लिए 1,310 करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं, जिससे लखनऊ और वाराणसी के बीच सफर करने वाले यात्री लाभान्वित होंगे। यह ट्रेन के विलंब से चलने की समस्या को कम करने में सहायक होगा, तेज गति सुनिश्चित करेगा, रखरखाव के लिए अधिक समय मिलने से सुरक्षा में भी बढ़ोत्तरी होगी तथा साथ ही भविष्य में यातायात के बढ़ने पर यह ज्यादा क्षमता भी उपलब्ध कराएगा।
लखनऊ और वाराणसी के बीच दोहरीकरण से वहाँ, आर्थिक समृद्धि आएगी और समग्र विकास होगा, इसके साथ साथ ही यह भारत की आध्यात्मिक नगरी काशी और पवित्र तीर्थ अयोध्या के बीच कनैक्टिविटी को सुगम करेगा, जो पर्यटन, तीर्थ यात्रा और स्थानीय रूप से आर्थिक लाभ पहुंचाने के साथ ही रोज़गार के अवसर भी प्रदान करेगा।
भारतीय रेल देश की विकास यात्रा का मुख्य इंजन बनने की दिशा में कार्य कर रही है।
जय हिंद !
पीयूष गोयल
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रेल यात्री और देश कि जनता जानना चाहती है कि,
- क्या नए रेल मंत्री भारतीय रेल को देश की विकाश यात्रा का मुख्य इंजन बनाने की दिशा में सफल होंगे ?-
असंभव लगता है क्योंकि, एक तरफ उनके अधिकारी इतने बेलगाम हो चुके हैं कि वे रेलवे बोर्ड के आदेश, सेंट्रल लेबर ट्रिब्यूनल, लेबर कोर्ट,कैट के आदेश का अनुपालन तो दूर कि बात है, रेलवे की अपील निरस्त होने के उपरांत और माननीय उच्च न्यालय के सख्त आदेशों के उपरांत भी उच्च न्यायलय तक के आदेश नहीं मानते, विजिलेंस भी हफ्ता न मिलने पर छोटे कर्मचारिओं को ही रगड़ने में अधिकारिओं का साथ देती है तथा रिटायर होने के बाद भी 6 - 6 वर्ष जांच नहीं प्रारम्भ कर पाती, जिससे वर्तमान के रेल कर्मचारी अत्यधिक तनाव में हैं और आत्म हत्या कर रहे हैं एवं ईमानदार अधिकारिओं तक कि हत्याएं हो रही हैं, वहीँ दूसरी तरफ रेल कर्मचारी विहीन होती जा रही है तथा अधोसंरचना के अनुपात में रेल कर्मचारिओं कि संख्या देखी जाय तो लगभग 20 लाख रेल कर्मचारी कम हैं, हित निरीक्षकों तक से उनके ड्यूटी के विपरीत अन्य प्रकार के कार्य दबाव डालकर कराये जा रहे हैं.
क्या ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है कि, नयी - नयी लोकलुभावन योजनाएं भी भ्रस्टाचार और लूट का संसाधन बनती जा रही हैं ?-
संपादक - swatantrabharatnews.com