योगी सरकार में आर्थिक आतंकवाद / शराब की अंधाधुंध बिक्री से भारतीय संस्कृति में विकृतियों की सम्भावनाएँ बढ़ीं!
ऊँ नमो भगवते गोरक्षनाथाय | धर्मो रक्षति रक्षितः | श्री गोरक्षनाथो विजयतेतराम | यतो धर्मस्ततो जयः |
भारतीय संस्कृति की सर्वाधिक प्रमुख विशेषता है आत्मशुद्धि अर्थात् स्वयं शुद्धीकरण की। इसी विशेषता के परिणामस्वरूप वैदिक धर्म में जब कुछ विकार आया तो महात्मा बुद्ध पैदा हुए। जब बौद्ध धर्म में विकार उत्पन्न हुआ तो गुरु श्री गोरक्षनाथ तथा शंकराचार्य का आविर्भाव हुआ। इस्लामी शासन में जब विकृतियों की सम्भावनाएँ बढ़ीं तो भक्ति आन्दोलन का सूत्रपात हुआ।
राष्ट्र सन्त - ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज (साभार- श्री गोरखनाथ मंदिर)
लखनऊ (उत्तर प्रदेश): आज की विशेष प्रस्तुति में स्वतंत्र भारत न्यूज़ पोर्टल के संपादक तथा समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष - सच्चिदानन्द श्रीवास्तव ने नव भारत टाइम्स में रेलवे, मेट्रो स्टैटियों पर बिक सकेगी शराब शीर्षक से आये खबर को पढ़ने के बाद जिस प्रकार योगी सरकार में आर्थिक आतंकवाद / शराब की अंधाधुंध बिक्री को रेलवे स्टेशनों और मेट्रो स्टेशनों तक फ़ैलाने की मंजूरी से भारतीय संस्कृति में विकृतियों की सम्भावनाएँ बढ़ीं हैं, उस पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए बड़े ही बेबाकी से प्रश्न किया कि,___
उत्तर प्रदेश में 'नाथ संप्रदाय' के योगी आदित्यनाथ, गोरक्षपीठाधीश्वर, श्री गोरक्षपीठ; सदस्य, विधान सभा, उत्तर प्रदेश; पूर्व सांसद (लोकसभा-लगातार 5 बार) गोरखपुर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक तरफ स्वर्वेद मंदिर और राम मंदिर का उद्घाटन और दूसरी तरफ आर्थिक आतंकवाद / शराब की अंधाधुंध बिक्री का फैलाव रेलवे स्टेशनों और मेट्रो स्टेशनों तक की मंजूरी पर मेरे मन में प्रश्न उठ रहा है कि, शराब की बिक्री / आर्थिक आतंकवाद के फैलाव से कौन सी और किसकी आत्मशुद्धि होगी और क्या योगी आदित्यनाथ जी नाथ संप्रदाय / योगी-सम्प्रदाय और उसके आदर्श का अनुसरण कर रहे हैं?-
जहां तक हमने पढ़ा है और जाना है कि, 'झूठ' को 'प्रचार' की आवश्यकता होती है, 'सच' को नहीं होती है!
सच्चिदानन्द श्रीवास्तव ने आगे लिखा कि, जहां तक हमने गोरखनाथ मंदिर तथा योगी-सम्प्रदाय और उसके आदर्श को पढ़ा है व जाना है, उसके अनुसार राष्ट्र सन्त ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज ने लिखा है कि, "भारतीय संस्कृति की सर्वाधिक प्रमुख विशेषता है आत्मशुद्धि अर्थात् स्वयं शुद्धीकरण की। इसी विशेषता के परिणामस्वरूप वैदिक धर्म में जब कुछ विकार आया तो महात्मा बुद्ध पैदा हुए। जब बौद्ध धर्म में विकार उत्पन्न हुआ तो गुरु श्री गोरक्षनाथ तथा शंकराचार्य का आविर्भाव हुआ। इस्लामी शासन में जब विकृतियों की सम्भावनाएँ बढ़ीं तो भक्ति आन्दोलन का सूत्रपात हुआ।"
और
नाथ संप्रदाय के अंतर्गत योगी-सम्प्रदाय और उसके आदर्श को लेखनीबद्ध करते हुए बताया गया है कि, "गोरखनाथ द्वारा प्रवर्तित योगी-सम्प्रदाय सामान्यतः ‘नाथ-योगी’, ‘सिद्ध-योगी’, ‘दरसनी योगी’ या ‘कनफटा योगी’ के नाम से प्रसिद्ध है। ये सभी नाम साभिप्राय हैं। योगी का लक्ष्य नाथ अर्थात् स्वामी होना है। प्रकृति के ऊपर पूर्ण स्वामित्व स्थापित करने के लिये योगी को अनिवार्यतः नैतिक, शारीरिक बौद्धिक एवं आध्यात्मिक अनुशासन की क्रमिक विधि का पालन करना पड़ता है। प्रकृति के ऊपर स्थापित स्वामित्व चेतना एवं पदार्थ दोनों दृष्टियों से होना चाहिये, अर्थात् उसे अपने विचारों, भावनाओं, इच्छाओं और क्रियाओं, बुद्धि, मन, इन्द्रिय और शरीर तथा स्थान और समय, गरिमा और गुरुत्व, प्राकृतिक नियमों एवं भौतिक तत्त्वों आदि सभी पर नियंत्रण करना चाहिये। उसे निश्चित रूप से सिद्धि या आत्मोपलब्धि करनी चाहिये और सभी आन्तरिक सुन्दरताओं का व्यावहारिक रूप से अनुभव करना चाहिए। उसे निश्चय ही सभी प्रकार के बन्धनों, दुःखों और सीमाओं से ऊपर उठना चाहिये।"
प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा उत्तर प्रदेश के पडरौना में चीनी-मिल चलाने, बेरोजगारी तथा पांच साल और बेकार करने व तमाम वादों को करते एवं मोदी की झूठी गारंटी को हमने वर्ष 2014 से (प्रचार के माध्यम से) फलीभूत होते देखा है, जिसका हमें तनिक भी दुःख इसलिए नहीं है कि 'राजनीति' में नैतिकता 1947 से ही समाप्त होते दिख रही थी।
'गोरखनाथ मंदिर व नाथ संप्रदाय / योगी आदित्यनाथ' पर जो विश्वास था, वह और भी सुदृढ़ तब हो गया, जब आपने (महंत योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश) ने बसपा सरकार में UPAct में संशोधन कर फर्जी कंपनियों को UPSSCL की बेचीं गयी चीनी-मीलों को चलाने के उद्देश्य से सबसे पहले माननीय उच्च न्यायलय के आदेश दिनांक 01 अप्रैल 2010 के बिरुद्ध माननीय सर्वोच्च न्यायलय में दायर अपील वापस लेते हुए तथा आर्थिक लूट की जांच CBI से कराने की हिम्मत दिखाते हुए जर्जर से जर्जर चीनी-मिलों को चलाने की घोषणा की। और तो और UPSSCL की बेचीं गयी चीनी-मीलों व विशेषकर लक्ष्मीगंज चीनी-मिल को चलाने के लिए उसी प्रांगड़ से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नड्डा जी UPSSCL की लक्ष्मीगंज बंद चीनी-मिल को चलाने का विश्वास दिलाकर आये थे जहाँ किसान नेता - रामचंद्र सिंह, जिलाध्यक्ष- कुशीनगर, भारतीय किसान यूनियन (अम्बावता) के नेतृत्व में वर्ष 2017 से लक्ष्मीगंज बंद चीनी मिल को चलाने हेतु किसान आंदोलनरत हैं।
परन्तु गोरखनाथ मंदिर व नाथ संप्रदाय / योगी आदित्यनाथ पर जो विश्वास था, वह चकनाचूर होता जा रहा है क्योंकि जिस प्रकार UPSSCL की बेचीं गयी लगभग 21 चीनी-मीलों को चलाने के मामले में चुप्पी तथा आर्थिक आतंकवाद / शराब की बिक्री को तक फ़ैलाने का निर्णय लगातार लिया जा रहा है, वह आश्चर्यजनक है!
अतैव, हमारा मानना है कि, योगी सरकार में आर्थिक आतंकवाद / शराब की अंधाधुंध बिक्री को रेलवे स्टेशनों और मेट्रो स्टेशनों तक फ़ैलाने की मंजूरी से भारतीय संस्कृति में विकृतियों की सम्भावनाएँ लगातार बढ़ रही हैं तथा "महंत योगी आदित्यनाथ जी मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश नाथ संप्रदाय / योगी-सम्प्रदाय और उसके आदर्श का अनुसरण नहीं कर पा रहे हैं!"
"किसान नेता - रामचंद्र सिंह, जिलाध्यक्ष - कुशीनगर, भारतीय किसान यूनियन (अम्बावता) के नेतृत्व में लक्ष्मीगंज बंद चीनी मिल को चलाने हेतु प्रदर्शन"
सच्चिदानन्द श्रीवास्तव
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