
लाइव 'ला': ED, CBI और अन्य सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार ने जांच तंत्र की पूरी संरचना को हिला दिया: दिल्ली हाईकोर्ट
नई दिल्ली (लाइव 'ला'): CBI को तीन सरकारी अधिकारियों की रिमांड प्रदान करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि CBI, ED और अन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों के बीच रिश्वत लेने की साजिश के आरोप ने जांच तंत्र की पूरी संरचना को हिला दिया है। इसलिए जांच एजेंसी द्वारा उनसे पूछताछ करना आवश्यक है।
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा,
"यह CBI, ED और ऐसे अन्य विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार का अनूठा मामला है, जिसने हमारी कार्यपालिका और जांच तंत्र की पूरी संरचना को हिलाकर रख दिया है, जिसका प्राथमिक कर्तव्य अपराध की जांच करना और दोषियों को दंड के कटघरे में खड़ा करना है। शिकायत में किए गए दावों से यह पता चलता है कि यह सरकारी अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार का अकेला मामला नहीं है, बल्कि यह विभिन्न विभागों के अधिकारियों के बीच एक बड़ी साजिश को दर्शाता है, जो एक सांठगांठ में हैं। संबंधित पक्ष को अनुचित लाभ पहुंचाने या यहां तक कि निष्पक्ष जांच और इन सरकारी विभागों के कामकाज को प्रभावित करने और हस्तक्षेप करने के लिए रिश्वत लेते हैं। जांच अभी भी प्रारंभिक अवस्था में है और इस बड़ी साजिश का पता लगाने के लिए तीनों आरोपियों से पूछताछ जरूरी है।"
अदालत स्पेशल जज (PC Act) के आदेश को CBI की चुनौती पर विचार कर रही थी, जिसमें तीन आरोपियों की रिमांड के लिए उसके अनुरोध को खारिज कर दिया गया। आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 61 (2) (आपराधिक साजिश) के साथ धारा 7 (लोक सेवक को रिश्वत दिए जाने से संबंधित अपराध), 7ए (भ्रष्ट या अवैध तरीकों से लोक सेवक को प्रभावित करने के लिए अनुचित लाभ उठाना), 12 (अपराधों के लिए उकसाने की सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया।
CBI का मामला है कि प्रतिवादियों/आरोपियों ने शिकायतकर्ता से रिश्वत/अवैध रिश्वत की मांग की। CBI के अनुसार, प्रतिवादी नंबर 1 ने शिकायतकर्ता को उसके मामलों में मदद करने के लिए 35 लाख रुपये की रिश्वत तय करने के लिए एक व्यक्ति को CBI अधिकारी के रूप में शिकायत पेश की, जहां वह एक मामले में आरोपी था और दूसरे में शिकायतकर्ता था।
CBI ने यह भी आरोप लगाया कि प्रतिवादी नंबर 3, राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार में तैनात अधिकारी ने भी शिकायतकर्ता से संबंधित मामले में ED अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए 50,000 रुपये की अवैध रिश्वत की मांग की। प्रतिवादी नंबर 1 को प्रतिवादी नंबर 2 की ओर से शिकायतकर्ता से 3.5 लाख रुपये का अनुचित लाभ लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। CBI ने आरोप लगाया कि प्रतिवादी नंबर 1 के वाहन की तलाशी के दौरान CBI, NCB, हरियाणा राज्य नारकोटिक्स सहित विभिन्न विभागों के पहचान पत्र बरामद किए गए।
CBI ने प्रस्तुत किया कि मामले की परिस्थितियां प्रथम दृष्टया कई विभागों और एजेंसियों में फैली एक बड़े पैमाने की साजिश की ओर इशारा करती हैं। इस प्रकार, प्रभावी और सार्थक जांच करने के लिए प्रतिवादियों से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है। इसने तर्क दिया कि स्पेशल जज (PC Act) ने जांच के प्रारंभिक चरण के दौरान सामने आए महत्वपूर्ण तथ्यों और भौतिक साक्ष्यों को नजरअंदाज कर दिया और गलत तरीके से पुलिस हिरासत से इनकार कर दिया।
दूसरी ओर, प्रतिवादियों ने तर्क दिया कि CBI उनसे केवल कबूलनामा लेने के लिए हिरासत की मांग कर रही थी, जो स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि कोई दस्तावेज या ठोस जांच नहीं थी, जिसके लिए हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता थी। रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री का अध्ययन करते हुए हाईकोर्ट ने पाया कि मामला सरकारी एजेंसियों में व्यापक भ्रष्टाचार से संबंधित है। इसलिए रिश्वत लेने वाले अधिकारियों के बीच साजिश को उजागर करने के लिए पुलिस हिरासत आवश्यक है।
इसने पाया कि पूछताछ के शुरुआती चरण में हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है। कोर्ट कहा कि "इसलिए यह स्पष्ट है कि वर्तमान मामले में कुछ स्थितियों में, जिसमें बड़ी साजिश का पता लगाना है, भौतिक तथ्यों को उजागर करने के लिए जांच के शुरुआती चरण में हिरासत में पूछताछ से इनकार नहीं किया जा सकता।"
न्यायालय प्रतिवादियों के इस तर्क से सहमत नहीं था कि पूछताछ कबूलनामा निकालने के लिए थी।
न्यायालय ने कहा,
"यह कहना कि पूछताछ का उद्देश्य कबूलनामा निकालना है, सही नहीं है, क्योंकि जैसा कि प्रकाश गुप्ता बनाम दिल्ली राज्य MANU/DE/2052/2017 के मामले में देखा गया, पुलिस हिरासत के पहलू पर विचार करते समय अपराध की गंभीरता और गंभीरता प्राथमिक विचारणीय है। साजिश का पता लगाने के लिए याचिकाकर्ता से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता होने पर इनकार नहीं किया जा सकता है।"
इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने तीनों आरोपियों की दो दिन की हिरासत CBI को दे दी।
[केस टाइटल: सीबीआई बनाम अवनीश कुमार एवं अन्य (सीआरएल.एम.सी.2816/2025)]
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(समाचार & फोटो साभार: लाइव 'ला')
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