नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित इंटरनेशनल लॉयर्स कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ: प्रधानमंत्री कार्यालय
नई-दिल्ली (PIB): प्रधानमंत्री कार्यालय ने "नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित इंटरनेशनल लॉयर्स कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ" जारी किया।
"नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित इंटरनेशनल लॉयर्स कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ":
भारत के मुख्य न्यायाधीश श्रीमान डी वाई चंद्रचूड़ जी, केंद्रीय कानून मंत्री, मेरे साथी श्री अर्जुन राम मेघवाल जी, UK के लॉर्ड चांसलर मिस्टर एलेक्स चाक, Attorney General, Solicitor General, सुप्रीम कोर्ट के अन्य सभी माननीय जजेस, Bar Council के चेयरमैन और सदस्य, विभिन्न देशों से आए हुए प्रतिनिधिगण, राज्यों से आए प्रतिनिधिगण, देवियों और सज्जनों।
दुनिया भर की Legal Fraternity के दिग्गज लोगों को मिलना, उनके दर्शन करना ये मेरे लिए एक सुखद अनुभव है। भारत के कोने-कोने से यहां लोग आज उपस्थित हैं। इस कॉन्फ्रेंस के लिए Lord Chancellor of England और Bar Associations of England के Delegates भी हमारे बीच हैं। इसमें Commonwealth Countries और African Countries के प्रतिनिधि भी हिस्सा ले रहे हैं। एक तरह से International Lawyers’ Conference, वसुधैव कुटुंबकम की भारत की भावना का प्रतीक बन गई है। इस कार्यक्रम में आए हुए सभी International Guests का मैं भारत में हृदय से बहुत-बहुत स्वागत करता हूं। मैं बार काउंसिल ऑफ इंडिया को भी विशेष रूप से बधाई देता हूं, जो बखूबी से इस आयोजन का दायित्व निभा रही है।
साथियों,
किसी भी देश के निर्माण में वहां की लीगल फ्रैटर्निटी की बहुत बड़ी भूमिका होती है। भारत में वर्षों से Judiciary और Bar भारत की न्याय व्यवस्था के संरक्षक रहे हैं। हमारे जो विदेशी मेहमान यहां हैं, उन्हें मैं एक बात खास तौर पर बताना चाहता हूं। कुछ ही समय पहले भारत ने अपनी आजादी के 75 साल पूरे किए हैं और आजादी की इस लड़ाई में Legal Professionals की बहुत बड़ी भूमिका रही है। आजादी की लड़ाई में अनेकों वकीलों ने चलती हुई वकालत छोड़कर के राष्ट्रीय आंदोलन का रास्ता चुना था। हमारे पूज्य राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी बाबा साहब आंबेडकर, देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल, आजादी के समय देश को दिशा देने वाले लोकमान्य तिलक हो, वीर सावरकर हो, ऐसे अनेक महान व्यक्तित्व भी वकील ही थे। यानि Legal Professionals के अनुभव ने आजाद भारत की नींव को मजबूत करने का काम किया। और आज जब भारत के प्रति विश्व का जो भरोसा बढ़ रहा है, उसमें भी भारत की निष्पक्ष स्वतंत्र न्याय व्यवस्था की बड़ी भूमिका है।
आज ये Conference एक ऐसे में समय हो रही है, जब भारत कई ऐतिहासिक निर्णयों का साक्षी बना है। एक दिन पहले ही भारत की संसद ने लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून पास किया है। नारीशक्ति वंदन कानून भारत में Women Led Development की नई दिशा देगा, नई ऊर्जा देगा। कुछ ही दिनों पहले ही जी-20 के ऐतिहासिक आयोजन में दुनिया ने हमारी Democracy, हमारी Demography और हमारी Diplomacy की झलक भी देखी है। एक महीने पहले आज के ही दिन भारत, चंद्रमा के साउथ पोल के समीप पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था। ऐसी अनेक उपलब्धियों के आत्मविश्वास से भरा भारत आज 2047 तक विकसित होने के लक्ष्य के लिए मेहनत कर रहा है। और निश्चित तौर पर इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भारत को एक मजबूत निष्पक्ष, स्वतंत्र न्यायिक व्यवस्था का आधार चाहिए। मुझे विश्वास है, International Lawyers’ Conference इस दिशा में भारत के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगा। मैं आशा करता हूं कि इस कॉन्फ्रेंस के दौरान सभी देश, एक दूसरे की Best Practices से काफी कुछ सीख सकेंगे।
Friends,
21वीं सदी में आज हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जो deeply connected है। हर legal mind या institution अपने jurisdiction को लेकर बहुत सचेत हैं। लेकिन ऐसी कई ताकतें हैं, जिनके खिलाफ हम लड़ रहे हैं, वो borders या jurisdictions की परवाह नहीं करतीं। और जब खतरे ग्लोबल हैं तो उनसे निपटने का तरीका भी ग्लोबल होना चाहिए। Cyber terrorism हो, मनी लॉन्ड्रिंग हो, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो और इसके दुरूपयोग की भरपूर संभावनाएं हों, ऐसे अनेक मुद्दों पर सहयोग के लिए global framework तैयार करना सिर्फ किसी शासन या सरकार से जुड़ा मामला नहीं है। इसके लिए अलग-अलग देशों के legal framework को भी एक-दूसरे से जुड़ना होगा। जैसे हम air traffic control के लिए मिलकर काम करते हैं। कोई देश यह नहीं कहता तुम्हारा कानून तुम्हारे यहां, मेरा कानून मेरे यहां, जी नहीं, फिर किसी का जहाज उतरेगा ही नहीं। हर कोई common rules and regulations, protocols का पालन करता है। उसी तरह हमें अलग-अलग domain में global framework तैयार करना ही पड़ेगा। International Lawyers’ Conference को इस दिशा में अवश्य मंथन करना चाहिए, दुनिया को नई दिशा देनी चाहिए।
साथियों,
एक अहम विषय Alternate Dispute Resolution-ADR का है, तुषार जी ने इसका काफी वर्णन भी किया। Commercial Transactions की बढ़ती कॉम्प्लैक्सिटी के साथ दुनिया भर में ADR का चलन भी तेजी से बढ़ा है। मुझे बताया गया है कि इस Conference में इस विषय पर भी विस्तार से बात होने वाली है। भारत में तो सदियों से पंचायत के जरिए विवादों के निपटारे की व्यवस्था रही है, ये हमारे संस्कार में रहा है। इस Informal व्यवस्था को एक व्यवस्थित रूप देने के लिए भी भारत सरकार ने Mediation Act बनाया है। भारत में लोक अदालत की व्यवस्था भी विवादों को हल करने की दिशा में बड़ा माध्यम हैं। और मुझे याद है मैं जब गुजरात में था तो average एक मामला का न्याय होने तक सिर्फ 35 पैसे का खर्च होता था। यानि ये व्यवस्था हमारे देश में होती है। पिछले 6 साल में करीब 7 लाख Cases को लोक अदालतों में सुलझाया गया है।
साथियों,
जस्टिस डिलिवरी का एक और बड़ा पहलू है, जिसकी चर्चा बहुत कम हो पाती है, वो है- भाषा और कानून की सरलता। अब हम भारत सरकार में भी सोच रहे हैं कि कानून दो प्रकार से प्रस्तुत किए जाए, एक जिस भाषा के आप लोग आदी हैं वो वाला ड्राफ्ट हो गया और दूसरा देश का सामान्य मानवी समझ सके, ऐसी भाषा। उसको कानून भी अपना लगना चाहिए। हम कोशिश कर रहे हैं, मुझे भी, क्योंकि system भी उसी ढांचे में पली-बढ़ी है तो उसको बाहर निकालते-निकालते, लेकिन हो सकता है कि अभी मुझे काफी काम है, मेरे पास समय भी बहुत है, तो मैं करता रहूंगा। कानून किस भाषा में लिखे जा रहे हैं, अदालती कार्यवाही किस भाषा में हो रही है, ये बात न्याय सुनिश्चित कराने में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है। पहले किसी भी Law की Drafting बहुत Complex होती थी। सरकार के तौर पर अब हम भारत में नए कानून जैसे मैंने आपको कहा, दो प्रकार से और जितना ज्यादा हम सरल बना सकें और हो सके उतना भारतीय भाषाओं में उपलब्ध करा सकें, उस दिशा में हम बहुत sincerely प्रयास कर रहे हैं। Data Protection Law आपने देखा होगा, उसमें भी Simplification का हमने पहली शुरूआत की है और मैं पक्का मानता हूं कि सामान्य व्यक्ति को उस परिभाषा से सुविधा रहेगी। भारत की न्याय व्यवस्था में, मैं समझता हूं यह एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। और मैंने चंद्रचूड़ जी का publicly एक बार अभिनंदन किया था क्योंकि उन्होंने कहा कि अब court judgement का operative part जो litigant है उसकी भाषा में हम उपलब्ध कराएंगे। देखिए इतने से काम में 75 साल लग गए और इसके लिए भी मुझे आना पड़ा। मैं भारत के सुप्रीम कोर्ट को इस बात के लिए भी बधाई दूंगा कि उसने अपने फैसलों को कई स्थानीय भाषाओं में भी अनुवाद करने की व्यवस्था की है। इससे भी भारत के सामान्य व्यक्ति को बहुत मदद मिलेगी। कोई patient हो ना अगर डॉक्टर भी patient की भाषा में उससे बात करे तो आधी बीमारी यूं ही ठीक हो जाती है, बस यहां ये मामला बाकी है।
साथियों,
हम Technology से, Reforms से, New Judicial Practices से कानूनी प्रक्रिया को कैसे और अच्छा कर सकते हैं, इस पर निरंतर काम होना चाहिए। Technology Advancement ने Judiciary System के सामने बड़े Avenues बना दिए हैं। थोड़े से Technological Advancement ने ही हमारे ट्रेड, इन्वेस्टमेंट और कॉमर्स सेक्टर को बहुत बड़ा Boom दिया है। ऐसे में लीगल प्रोफेशन से जुड़े लोगों को भी इस Technological Reform से ज्यादा से ज्यादा जुड़ना होगा। मैं आशा करता हूं कि International Lawyers’ Conference, न्यायिक व्यवस्थाओं के प्रति पूरी दुनिया का विश्वास बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी। मैं इस आयोजन से जुड़े हर व्यक्ति को इस सफल कार्यक्रम के लिए अपनी ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।
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