शनिवार को भी खुलेगा इलाहाबाद हाईकोर्ट, जेल अपील पर होगी सुनवाई
शनिवार को भी खुलेगा इलाहाबाद हाईकोर्ट, जेल अपील पर होगी सुनवाईअंतिम फैसला 11 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले के साथ होने वाली बैठक में होगा निर्णय पर मुहर लगने के बाद प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों को शीघ्र न्याय मिलेगा।इलाहाबाद (जेएनएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट के 150 वर्षों के सुनहरे सफर में कई उपलब्धियां पहले ही हासिल हो चुकी हैं। अब भी एक के बाद एक और ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं, जो आम लोगों को खासी राहत देंगे। इसमें सबसे अहम निर्णय गुरुवार को हुआ कि इलाहाबाद हाईकोर्ट शनिवार को भी खुलेगा। जिसमें जेल अपील सहित कुछ अन्य मामले सुने जाएंगे। इसकी शुरुआत आगामी 16 सितंबर से हो सकती है। हालांकि इस पर अंतिम फैसला 11 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले के साथ होने वाली बैठक में होगा। इस निर्णय पर मुहर लगने के बाद प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों को शीघ्र न्याय मिलने के आसार बढ़ जाएंगे।गुरुवार को न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी, विनोद कांत, अपर शासकीय अधिवक्ता एके संड, विमलेंदु त्रिपाठी सहित कई अन्य ने इस मुद्दे पर रूपरेखा तैयार की है। अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी ने बताया कि मुकदमों के बढ़ते बोझ को कम करने व जेलों में बंद कैदियों को त्वरित न्याय देने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट एक अच्छी पहल करने जा रहा है। इसमें राज्य सरकार भी पूरा सहयोग देने को तैयार है।सूत्रों के अनुसार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और विधिक सेवा समिति ने भी तैयारी शुरू कर दी है। युवा अधिवक्ताओं से आवेदन लेकर एक पैनल गठित करने की प्रक्रिया चल रही है। वकीलों का यह पैनल जेलों में बंद उन कैदियों के मुकदमे पर बहस करेगा जो अपना वकील करने में असमर्थ रहते हैं। शनिवार को चलने वाली कोर्ट में जेल अपीलों के साथ कुछ अन्य मामलों की सुनवाई भी होगी। ज्ञात हो कि हाईकोर्ट में प्रदेश भर के करीब नौ लाख से अधिक अपीलें लंबित हैं। गर्मी की छुट्टियों में खुल चुकी कोर्टइलाहाबाद हाईकोर्ट में वैसे तो हर साल गर्मी की छुट्टियों में विशेष न्यायालयों में सुनवाई काफी पहले से होती रही है, लेकिन बीती गर्मी की छुट्टियों में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर के निर्देश पर हाईकोर्ट खुला था। उस समय भी जेल अपीलों के साथ ही अन्य अहम प्रकरणों को निपटाने पर विशेष जोर दिया गया। By Ashish Mishra Let's block ads! (Why?)