राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने 692 करोड़ रुपये की लागत वाली 7 परियोजनाओं को मंजूरी दी: जल शक्ति मंत्रालय
उत्तर प्रदेश के लिए 661 करोड़ रुपये से अधिक लागत की 3 सीवेज प्रबंधन परियोजनाओं को मंजूरी दी
समिति ने 60 शहरों के लिए शहरी नदी प्रबंधन योजना तैयार करने की परियोजना को भी मंजूरी दी
नई दिल्ली (PIB): राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की कार्यकारी समिति की 50वीं बैठक राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक श्री जी. अशोक कुमार की अध्यक्षता में आयोजित की गई, जहां लगभग 692 करोड़ रुपये की लागत वाली सात परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। सात परियोजनाओं में से चार उत्तर प्रदेश और बिहार में सीवेज प्रबंधन से संबंधित हैं। एनएमसीजी ने अब तक लगभग 38,126 करोड़ रुपये की लागत वाली कुल 452 परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनमें से 254 पूरी हो चुकी हैं।
बैठक में उत्तर प्रदेश में सीवेज प्रबंधन के लिए 661.74 करोड़ रुपये की लागत वाली 3 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। इनमें हाइब्रिड एन्युटी मोड (एचएएम) के तहत इंटरसेप्शन और डायवर्जन (आई एंड डी) कार्यों के साथ-साथ लखनऊ में 100 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) एसटीपी का निर्माण शामिल है। दरियाबाद पीपलघाट और दरियाबाद ककहराघाट नालों के बैलेंस डिस्चार्ज के आईएंडडी और प्रयागराज में 50 एमएलडी एसटीपी के निर्माण के लिए एक अन्य परियोजना को मंजूरी दी गई। इस परियोजना की लागत लगभग 186.47 करोड़ रुपये है, जिससे प्रयागराज में सीवरेज जिला-ए में नैनी एसटीपी की मौजूदा शोधन क्षमता 80 एमएलडी तक बढ़ जाएगी। एक छोटी परियोजना में, हापुड़ में 6 एमएलडी एसटीपी, आई एंड डी और अन्य कार्यों को भी मंजूरी दे दी गई ताकि हापुड़ शहर के नाले के प्रवाह को काली नदी में रोका जा सके, जो गंगा नदी की एक सहायक नदी है।
बिहार के रक्सौल शहर के लिए 50वीं कार्यकारिणी समिति की बैठक में पिपरा घाट नाले और छठिया घाट नाले के आई एंड डी कार्यों के साथ-साथ उसका लाभ लेने के लिए की 74.64 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर दो एसटीपी (5 और 7 एमएलडी) की भी मंजूरी दी गई। यह परियोजना सिरसिया नदी में प्रदूषण को कम करेगी जो नेपाल से निकलती है और पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल में बिहार में प्रवेश करती है।
शहरी क्षेत्रों में पानी के प्रभावी प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम में, दो चरणों में 60-70 शहरी नदी प्रबंधन योजनाओं (यूआरएमपी) की तैयारी की परिकल्पना वाली एक परियोजना को भी मंजूरी दी गई है, जिसकी लागत लगभग 20 करोड़ रुपये है। पहले वर्ष के दौरान, 25 यूआरएमपी तैयार किए जाएंगे और दूसरे वर्ष के दौरान 35 यूआरएमपी तैयार किए जाएंगे। पहले चरण में 5 मुख्य गंगा बेसिन राज्यों के 25 शहरों- उत्तराखंड में देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, हलद्वानी और नैनीताल; उत्तर प्रदेश में लखनऊ, वाराणसी, आगरा, सहारनपुर और गोरखपुर; बिहार में पटना, दरभंगा, गया, पूर्णिया और कटिहार; झारखंड में रांची, आदित्यपुर, मेदिनीनगर, गिरिडीह और धनबाद और पश्चिम बंगाल में आसनसोल, दुर्गापुर, सिलीगुड़ी, नबद्वीप और हावड़ा को शामिल किया जाएगा। यह परियोजना नमामि गंगे के तहत नदी-शहर संयोजन (आरसीए) का हिस्सा है, जो शहरों को सहयोग करने, एक साथ काम करने, एक-दूसरे की सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखने, ज्ञान साझा करने का अवसर प्रदान करता है, इस प्रकार ज्ञान भागीदारी का मार्ग प्रशस्त करता है, जो परिवर्तनकारी समाधान होगा। यह परियोजना विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित होगी। 2021 में 30 सदस्यों से शुरू हुई आरसीए में अब अंतरराष्ट्रीय शहरों सहित 140 से अधिक सदस्य हैं।
गंगा एक्वालाइफ कंजर्वेशन मॉनिटरिंग सेंटर, भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून में 10 वर्षों के लिए 6.86 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से मीठे पानी की पारिस्थितिकी और संरक्षण में एम.एससी. पाठ्यक्रम की शुरुआत की परियोजना को मंजूरी दी गई। यह अपनी तरह की पहली परियोजना है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य भारत में मीठे पानी के संसाधनों और इसकी जैव विविधता के प्रभावी प्रबंधन के लिए मीठे पानी की पारिस्थितिकी में विशेषज्ञता के साथ पारिस्थितिकीविदों और क्षेत्र के जीवविज्ञानियों का एक कैडर विकसित करना है। यह परियोजना मीठे पानी की पारिस्थितिकी और संरक्षण के क्षेत्र में वैज्ञानिक ज्ञान और कुशल पेशेवरों की आवश्यकता को पूरा करती है। इसका उद्देश्य भारत में मीठे पानी के इकोसिस्टम को प्रभावी ढंग से प्रबंधित और संरक्षित करने के लिए क्षेत्र के अनुसंधानकर्ताओं और पारिस्थितिकीविदों की एक नई पीढ़ी को प्रशिक्षित करना है। यह परियोजना मीठे पानी की पारिस्थितिकी और संरक्षण में चार सेमेस्टर के दो वर्षीय एम.एससी. पाठ्यक्रम की पेशकश करेगी। पाठ्यक्रम में मीठे पानी के इकोसिस्टम, उनकी जैव विविधता और इन इकोसिस्टम पर प्रेरकों के प्रभाव के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के बरकोला, खड़गपुर में एक विद्युत शवदाह गृह के निर्माण की एक परियोजना को भी कार्यकारी समिति की 50वीं बैठक में मंजूरी दी गई थी।
एनएमसीजी के कार्यकारी निदेशक (प्रशासन) श्री एस.पी. वशिष्ठ, एनएमसीजी के कार्यकारी निदेशक (वित्त) श्री भास्कर दासगुप्ता, एनएमसीजी के कार्यकारी निदेशक (तकनीकी) श्री डी.पी. मथुरिया, जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग की संयुक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार सुश्री ऋचा मिश्रा और संबंधित राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में शामिल हुए।
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