
कानपुर डीएमएसआरडीई का बनाया 150 ग्राम का कोट पहनेंगे सैनिक
कानपुर डीएमएसआरडीई का बनाया 150 ग्राम का कोट पहनेंगे सैनिकसैनिकों के लिए 150 ग्राम के कोट का निर्माण डीएमएसआरडीई कर रहा है। निदेशक डा. एन ईश्वरा प्रसाद ने बताया कि तीन सौ ग्राम का कोट बनाने में हमने सफलता हासिल कर ली है।कानपुर (जेएनएन)। सरहदों की निगहबानी करने वाले हमारे जवानों को भारी भरकम कोट का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। उनके कोट का वजन महज डेढ़ सौ ग्राम होगा। जिसे पहनकर वह आराम से कई दिनों तक धूल भरे व पहाड़ी क्षेत्रों में दुश्मनों पर निगाह रखने के साथ उनसे लोहा ले सकेंगे। एक्टिवेटेड कार्बन से बनने वाले इस कोट पर नैनो पार्टिकल लगाए जाएंगे, जिससे इस पर धूल, मिट्टी व तेल जैसे पदार्थों के जमने का संकट भी नहीं रहेगा।सैनिकों के लिए 150 ग्राम के कोट का निर्माण डीएमएसआरडीई कर रहा है। निदेशक डा. एन ईश्वरा प्रसाद ने बताया कि तीन सौ ग्राम का कोट बनाने में हमने सफलता हासिल कर ली है। इसका वजन डेढ़ सौ ग्राम तक किया जाएगा। कोट नैनो पार्टिकल के साथ तैयार किया जा रहा है, जिसका कंट्रोल सैनिकों के जूतों के तलवों में होगा। तलवों में नैनो डिवाइस लगाई जाएगी जो कोट पर लगे नैनो सेंसर को एक्टिवेट करके उसे चार्ज करती रहेगी।विस्फोटक वहीं फटेगा जिसे निशाना बनाया जाएगानैनो पार्टिकल के जरिये सेना के लिए ऐसा विस्फोटक बनाए जाने पर शोध चल रहा है, जो केवल उसी क्षेत्र को निशाना बनाएगा जहां दुश्मन सक्रिय है। इससे आसपास क्षेत्रों को नुकसान नहीं होगा। डीएमएसआरडीई ने नैनो विस्फोटक बनाने की दिशा में सफलता प्राप्त की है। इसे और उन्नत बनाया जा रहा है।दोबारा बनाए जा सकेंगे न्यूरॉनक्राइस्ट चर्च डिग्री कालेज के रसायन शास्त्र व भौतिकी विभाग की ओर से 'नैनो साइंस व प्रौद्योगिकी में आधुनिक विकास विषय पर गुरुवार को हुई कार्यशाला में आइआइटी प्रोफेसर संदीप वर्मा ने बताया कि ब्रेन के नर्वस सिस्टम को संचालित करने वाले न्यूरॉन दोबारा बनाए जा सकेंगे। नैनो साइंस ने इसमें सफलता प्राप्त कर ली है। मरीजों को भविष्य में इसका लाभ मिल सकेगा। न्यूरॉन दिमाग का सूचना तंत्र कहलाता है। कई बार देखा गया है कि उम्र बढऩे के साथ इसमें दिक्कत आने लगती है। By Ashish Mishra Let's block ads! (Why?)