
प्रतीक्षा खत्म, आज से शिविर लगाकर बटेंगे कर्जमाफी के प्रमाणपत्र
प्रतीक्षा खत्म, आज से शिविर लगाकर बटेंगे कर्जमाफी के प्रमाणपत्रआठ से 11 सितंबर तक हर जिले में शिविर लगाकर प्रभारी मंत्री और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में किसानों को कर्जमाफी के प्रमाणपत्र बांटे जाएंगे।लखनऊ (जेएनएन)। कर्जमाफी के दायरे में आने वाले लघु एवं सीमांत किसानों का इंतजार खत्म हो गया। आठ से 11 सितंबर तक हर जिले में शिविर लगाकर प्रभारी मंत्री और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में किसानों को कर्जमाफी के प्रमाणपत्र बांटे जाएंगे। प्रथम चरण के इस अभियान के दौरान करीब 12 लाख किसानों के सात हजार 370 करोड़ रुपये के कर्जे माफ होंगे।किसानों को संदेश देने के लिए बदला गया समयमालूम हो कि पहले कर्जमाफी का प्रमाणपत्र बांटने के ये शिविर पांच और आठ सितंबर को लगने थे, पर पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के नाते इसे टाल दिया गया। साथ ही इसका समय दो की बजाय चार दिन कर दिया गया। ऐसा जिलों के प्रभारी मंत्रियों की सहूलियत के लिए किया गया।दरअसल कई ऐसे मंत्री हैं जिनके पास दो जिलों को प्रभार है। साथ ही जिस जिले में वह रहते हैं वहां के शिविर में भी उनकी उपस्थिति जरूरी थी। चूंकि कर्ज माफी भाजपा के लोककल्याण संकल्प-2017 का सबसे बड़ा वायदा था और नई सरकार के लिए चुनौती भी। ऐसे में जिला स्तर पर आयोजित शिविरों को भव्य बनाकर वह किसानों को उनके हितैषी होने का संदेश भी देना चाहती है, इसी नाते शिविरों का आयोजन चार दिन करने का फैसला लिया गया। दूसरे चरण की प्रक्रिया भी शुरूशासन ने ऋणमाफी की दूसरे चरण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। पहले चरण से बचे पात्र किसानों के भू अभिलेखों का सत्यापन, उनके किसान क्रेडिट कार्ड खाते को आधार से जोडऩे, बैंकों से प्राप्त डाटा का जिलास्तरीय समिति द्वारा सत्यापन और कृषि निदेशालय द्वारा नोडल बैंकों के खाते में जरूरी रकम के ट्रांसफर का काम 19 सितंबर तक पूरा कर लेना है। इसके बाद 22 से 24 सितंबर तक तहसील स्तर पर कैंप लगाकर किसानों को ऋणमाफी का प्रमाणपत्र दिया जाएगा।मुख्यमंत्री कर चुके हैं प्रतीकात्मक शुरुआतमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रतीकात्मक रूप से 17 अगस्त को लखनऊ और छह सितंबर को इसकी प्रतीकात्मक शुरुआत कर चुके हैं। अभी कुछ और जिलों में उनके कार्यक्रम होने हैं। उम्मीद है कि सितंबर के तीसरे हफ्ते में गोरखपुर में लगने वाले शिविर में भी वह मौजूद रहेंगे।By Ashish Mishra Let's block ads! (Why?)