अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2023 के दौरान प्रधानमंत्री के वीडियो संदेश का मूल पाठ: प्रधानमंत्री कार्यालय
नई दिल्ली (PIB): प्रप्रधानमंत्री कार्यालय ने 9वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2023 के दौरान प्रधानमंत्री के वीडियो संदेश का मूल पाठ जारी किया।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2023 के दौरान प्रधानमंत्री के वीडियो संदेश का मूल पाठ:
नमस्कार।
आप सभी देशवासियों को 'अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस' की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। हर वर्ष योग दिवस के अवसर पर मैं किसी न किसी आयोजन में आप सभी के बीच उपस्थित रहता हूँ। ख़ास कर के आप सब के साथ योग करने का आनंद भी यादगार रहता है, लेकिन इस बार विभिन्न दायित्वों की वजह से मैं अभी अमेरिका में हूं। इसलिए आप सभी से वीडियो संदेश के माध्यम से जुड़ रहा हूं।
साथियों,
आपको ये भी बता दूँ की भले मैं आपके बीच योग नहीं कर पा रहा हूँ लेकिन मैं योग करने के कार्यक्रम से भाग नहीं रहा। मैं इसलिए आज शाम को भारतीय समय के अनुसार, आज शाम को साढ़े पांच बजे के आसपास मैं संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में योग कार्यक्रम में शामिल होउंगा। भारत के आह्वान पर दुनिया के 180 से ज्यादा देशों का एक साथ आना, ऐतिहासिक है, अभूतपूर्व है। आप सबको याद होगा, 2014 में जब यूएन जनरल एसम्ब्ली में योग दिवस का प्रस्ताव आया, तो रिकॉर्ड देशों ने इसे समर्थन दिया था। तब से लेकर आज तक, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के जरिए योग एक वैश्विक आंदोलन बन गया है, ग्लोबल स्पिरिट बन गया है।
साथियों,
इस साल योग दिवस के कार्यक्रमों को ‘Ocean Ring of Yoga’ ने और विशेष बना दिया है। ‘Ocean Ring of Yoga’ का ये आइडिया योग के विचार और समुद्र के विस्तार के पारस्परिक संबंध पर आधारित है। सेना के जवानों ने भी हमारे जलस्रोतों के साथ एक 'योग भारतमाला और योग सागरमाला' बनाई है। इसी तरह, आर्कटिक से लेकर अंटार्कटिका तक भारत के दो रिसर्च बेस यानि पृथ्वी के दो ध्रुव भी योग से जुड़ रहे हैं। योग के इस अनूठे सेलिब्रेशन में देश-दुनिया के करोड़ों लोगों का इतने सहज स्वरूप में शामिल होना, योग के प्रसार और प्रसिद्धि को उसके महात्म्य को उजागर करता है।
भाइयों बहनों,
हमारे ऋषियों ने योग को परिभाषित करते हुये कहा है- 'युज्यते एतद् इति योगः'। अर्थात्, जो जोड़ता है, योग है। इसलिए, योग का ये प्रसार उस विचार का विस्तार है, जो पूरे संसार को एक परिवार के रूप में समाहित करता है। योग के विस्तार का अर्थ है- 'वसुधैव कुटुंबकम्' की भावना का विस्तार!इसलिए , इस वर्ष भारत की अध्यक्षता में हो रहे G-20 समिट की थीम भी 'One Earth, One Family, One Future' रखी गई है। और आज, पूरी दुनिया में करोड़ों लोग 'Yoga for Vasudhaiva Kutumbakam', की थीम पर एक साथ योग कर रहे हैं।
साथियों,
हमारे योग, इसके संबंध में ग्रन्थों में कहा गया है- व्यायामात् लभते स्वास्थ्यम्, दीर्घ आयुष्यम् बलम् सुखम्! अर्थात्, योग से, व्यायाम से हमें स्वास्थ्य, आयुष और बल मिलता है। हममें से कितने ही लोग, जो बीते वर्षों में योग से नियमित जुड़े हैं, उन्होंने योग की ऊर्जा को महसूस किया है। व्यक्तिगत स्तर पर हमारे लिए बेहतर स्वास्थ्य कितना महत्वपूर्ण होता है, ये हम सब जानते हैं। हमने ये भी देखा है कि जब हम स्वास्थ्य संकटों से सुरक्षित होते हैं, तो हमारा परिवार कितनी ही परेशानियों से बच जाता है। योग एक ऐसे स्वस्थ और सामर्थ्यशाली समाज का निर्माण करता है, जिसकी सामूहिक ऊर्जा कई गुना ज्यादा होती है। बीते वर्षों में, स्वच्छ भारत जैसे संकल्पों से लेकर स्टार्टअप इंडिया जैसे अभियानों तक, आत्मनिर्भर भारत के निर्माण से लेकर सांस्कृतिक भारत के पुनर्निर्माण तक, देश और देश के युवाओं में जो असाधारण गति दिखी है, उसमें इस ऊर्जा का बहुत बड़ा योगदान है। आज देश का मन बदला है, इसीलिए जन और जीवन बदला है।
साथियों,
भारत की संस्कृति हो या समाज संरचना हो, भारत का आध्यात्म हो, या आदर्श हों, भारत का दर्शन हो या दृष्टि हो, हमने हमेशा जोड़ने, अपनाने और अंगीकार करने वाली परम्पराओं को पोषित किया है। हमने नए विचारों का स्वागत किया है, उन्हें संरक्षण दिया है। हमने विविधताओं को समृद्ध किया है, उन्हें सेलिब्रेट किया है। ऐसी हर भावना को योग प्रबल से प्रबलतम करता है। योग हमारी अन्तः दृष्टि को विस्तार देता है। योग हमें उस चेतना से जोड़ता है, जो हमें जीव मात्र की एकता का अहसास कराती है, जो हमें प्राणी मात्र से प्रेम का आधार देती है। इसलिए, हमें योग के जरिए हमारे अंतर्विरोधों को खत्म करना है। हमें योग के जरिए हमारे गतिरोधों और प्रतिरोधों को खत्म करना है। हमें 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना को विश्व के सामने एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करना है।
भाइयों बहनों,
योग के लिए कहा गया है- 'योगः कर्मसु कौशलम्'। यानी, कर्म में कुशलता ही योग है। आज़ादी के अमृतकाल में ये मंत्र हम सभी के लिए बहुत अहम है।जब हम अपने कर्तव्यों के लिए समर्पित हो जाते हैं, तो हम योग की सिद्धि तक पहुँच जाते हैं। योग के जरिए हम निष्काम कर्म को जानते हैं, हम कर्म से कर्मयोग तक की यात्रा तय करते हैं। मुझे विश्वास है, योग से हम अपने स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाएँगे, और इन संकल्पों को भी आत्मसात करेंगे। हमारा शारीरिक सामर्थ्य, हमारा मानसिक विस्तार, हमारी चेतना शक्ति, हमारी सामूहिक ऊर्जा विकसित भारत का आधार बनेंगे। इसी संकल्प के साथ, आप सभी को योग दिवस की एक बार फिर बहुत बहुत शुभकामनाएं!
धन्यवाद!
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