प्रधानमंत्री ने जी20 विकास मंत्रियों की बैठक को संबोधित किया
“काशी सदियों से ज्ञान, चर्चा, विचार-विमर्श, संस्कृति और आध्यात्मिकता का केन्द्र रही है”
“सतत विकास लक्ष्यों को पीछे नहीं छूटने देना लोगों की सामूहिक जिम्मेदारी है”
“हमने उन सौ से अधिक आकांक्षी जिलों में लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास किए हैं जो अल्प-विकास वाले पॉकेट में थे”
“डिजिटलीकरण एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है जहां प्रौद्योगिकी का उपयोग एक उपकरण के रूप में लोगों को सशक्त बनाने, डेटा को सुलभ बनाने और समावेशिता सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है”
“भारत में, हम नदियों, पेड़ों, पहाड़ों और प्रकृति के सभी तत्वों का बेहद सम्मान करते हैं”
"भारत महिला सशक्तिकरण तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका विस्तार महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास तक है"
नई-दिल्ली (PIB): प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो संदेश के माध्यम से जी20 विकास मंत्रियों की बैठक को संबोधित किया।
सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने लोकतंत्र की जननी के सबसे पुराने जीवंत शहर वाराणसी में सभी का स्वागत किया। काशी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह शहर जहां सदियों से ज्ञान, चर्चा, विचार- विमर्श, संस्कृति और आध्यात्मिकता का केन्द्र रहा है, वहीं इसमें भारत की विविध विरासत का सार भी है जो देश के सभी हिस्सों के लोगों के लिए एक मिलन बिंदु के रूप में कार्य करता है। श्री मोदी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि जी-20 का विकास एजेंडा काशी तक भी पहुंच गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “ग्लोबल साउथ के देशों के लिए विकास एक मुख्य मुद्दा है।” उन्होंने बताया कि “ग्लोबल साउथ के देश जहां वैश्विक कोविड महामारी से उत्पन्न व्यवधानों से गंभीर रूप से प्रभावित हुए, वहीं भू-राजनैतिक तनाव उनके खाद्यान्न, ईंधन और उर्वरक संकट के लिए जिम्मेदार हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में आपके द्वारा लिए गए निर्णय संपूर्ण मानवता के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि सतत विकास लक्ष्यों को पीछे नहीं छूटने देना लोगों की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने आगे कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों को इसे प्राप्त करने हेतु आवश्यक कार्य योजना के बारे में दुनिया को एक ठोस संदेश भेजना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि हमारे प्रयास व्यापक, समावेशी, निष्पक्ष और टिकाऊ होने चाहिए और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने हेतु निवेश बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए। साथ ही, कई देशों द्वारा सामना किए जा रहे ऋण संबंधी जोखिमों को दूर करने के लिए समाधान खोजे जाने चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि पात्रता संबंधी मानदंड का विस्तार करने हेतु बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों में सुधार किया जाना चाहिए ताकि जरूरतमंद लोगों के लिए वित्त सुलभ होना सुनिश्चित हो सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में हमने उन सौ से अधिक आकांक्षी जिलों में लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास किए हैं जो अल्प-विकास वाले पॉकेट थे। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि ये आकांक्षी जिले अब देश में विकास के उत्प्रेरक के रूप में उभरे हैं। उन्होंने जी20 विकास मंत्रियों से विकास के इस मॉडल का अध्ययन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “यह आपके लिए प्रासंगिक हो सकता है क्योंकि आप एजेंडा 2030 को गति देने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।"
बढ़ते डेटा विभाजन के मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमत्री ने कहा कि सार्थक नीति-निर्माण, कुशल संसाधन आवंटन और प्रभावी सार्वजनिक सेवा वितरण के लिए उच्च गुणवत्ता वाला डेटा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि डेटा विभाजन को पाटने में मदद करने के लिए प्रौद्योगिकी का लोकतंत्रीकरण एक महत्वपूर्ण उपकरण है। प्रधानमंत्री ने विस्तार से समझाते हुए कहा कि भारत में डिजिटलीकरण एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है जहां प्रौद्योगिकी का उपयोग एक उपकरण के रूप में लोगों को सशक्त बनाने, डेटा को सुलभ बनाने और समावेशिता सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि भारत भागीदार देशों के साथ अपने अनुभव को साझा करने के लिए तैयार है और आशा व्यक्त की कि इन चर्चाओं की तार्किक परिणति विकासशील देशों में चर्चा, विकास और वितरण हेतु डेटा को बढ़ावा देने की दिशा में ठोस कार्रवाई के रूप में होगी।
प्रधानमंत्री ने पृथ्वी के अनुकूल जीवन शैली को बढ़ावा देने वाले पारंपरिक भारतीय विचार पर प्रकाश डालते हुए कहा, “भारत में, हम नदियों, पेड़ों, पहाड़ों और प्रकृति के सभी तत्वों का बेहद सम्मान रखते हैं।” प्रधानमंत्री ने पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्र महासचिव के साथ मिशन लाइफ को लॉन्च करने को याद किया और खुशी व्यक्त की कि यह समूह उच्च स्तरीय सिद्धांतों का एक सेट विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने कहा, “यह जलवायु कार्रवाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान होगा।”
सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की दिशा में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत महिला सशक्तिकरण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका विस्तार महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास तक है। श्री मोदी ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि महिलाएं विकास का एजेंडा तय कर रही हैं और वे विकास एवं परिवर्तन की वाहक भी हैं। उन्होंने सभी से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के लिए परिवर्तनकारी कार्य योजना को अपनाने का आग्रह किया।
अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी की भावना को भारत की कालातीत परंपराओं से ऊर्जा मिलती है। श्री मोदी ने गणमान्य व्यक्तियों से आग्रह किया कि वे अपना सारा समय बैठक कक्षों में न बिताएं। उन्होंने काशी की भावना का पता लगाने और उसका अनुभव करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे विश्वास है कि गंगा आरती का अनुभव और सारनाथ का दौरा आपको वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगा।” श्री मोदी ने एजेंडा 2030 को बढ़ावा देने और ग्लोबल साउथ के देशों की आकांक्षाओं को पूरा करने हेतु इस विचार-विमर्श की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं।
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