ईडब्लूएस बनाम आरक्षण: डॉ. शंकर सुवन सिंह
प्रयागराज: "ईडब्लूएस बनाम आरक्षण" अर्थात "कमजोर आर्थिक वर्ग बनाम आरक्षण" पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शुएट्स, नैनी, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) के असिस्टेंट प्रोफेसर, वरिष्ठ स्तम्भकार एवं शिक्षाविद- डॉ. शंकर सुवन सिंह बताते हैं कि,आजकल आरक्षण की एक श्रेणी ईडब्लूएस चर्चा का विषय बनी हुई है। ईडब्लूएस (इकोनोमिकली वीकर सेक्शन) जिसको हिंदी में आर्थिक कमजोर वर्ग कहते हैं।
यह सामान्य वर्ग के लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरी में आरक्षण देने के लिए बनाया गया था, जिसके तहत आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाता है।
वर्ष 2019 के जनवरी माह में केंद्र सरकार ने सामान्य वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरी, स्कूल और कॉलेज में आरक्षण देने के लिए आर्थिक आधार पर 10 फीसदी का आरक्षण लागू किया था। इसके लिए संविधान में 103वां संशोधन किया गया था। आर्थिक कमजोर वर्ग के आरक्षण के लिए निम्नलिखित शर्तें हैं जैसे सामान्य वर्ग (जनरल केटेगरी) के किसी व्यक्ति को ईडब्लूएस में नहीं माना जायेगा अगर उसके परिवार के पास 1. पांच एकड़ या उससे ज़्यादा कृषि भूमि है। 2. एक हज़ार वर्ग फ़ीट या उससे ज़्यादा का आवासीय फ़्लैट है। 3. अधिसूचित नगर पालिकाओं में 100 वर्ग गज या और उससे ज़्यादा का आवासीय प्लॉट है। 4. अधिसूचित नगर-पालिकाओं के अलावा अन्य क्षेत्रों में 200 वर्ग गज या उससे ज़्यादा के आवासीय प्लॉट हैं। 5. सरकार ने ये भी स्पष्ट किया कि अगर किसी परिवार की अलग-अलग जगहों या शहरों में ज़मीन या संपत्ति है तो उन सब को जोड़ कर ही ईडब्ल्यूएस होने या न होने का फ़ैसला किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि, ईडब्ल्यूएस का लाभ प्राप्त करने लिए आवेदकों के पास वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम और संपत्ति का सुबूत होना चाहिए। इसके लिए आवेदकों को आय और संपत्ति प्रमाण पत्र बनवाना होता है।
डॉ. शंकर सुवन सिंह ने यह भी बताया कि, शिक्षक भर्ती के लिए यूजीसी की ओर से जारी दिशा निर्देश के अनुसार प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर ईडब्लूएस कोटे का लाभ उसी को मिल सकता है जिसकी वार्षिक आय आठ लाख रूपए से अधिक न हो। एसोसिएट प्रोफेसर के लिए अन्य शैक्षणिक योग्यता के अलावा असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर 8 साल तक पढ़ाने का अनुभव होना आवश्यक है। इसी प्रकार प्रोफेसर पद के लिए असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर 10 साल तक पढ़ाने का अनुभव आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि, अब प्रश्न यह उठता है कि, ऐसे में एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर पद के लिए ईडब्लूएस कोटे के अभ्यर्थी मिलेंगे कैसे? असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर आठ साल पढ़ाने वाले अभ्यर्थियों की वार्षिक आय आठ लाख रूपए से अधिक हो जाती है। यही वजह है कि, स्क्रीनिंग प्रक्रिया के दौरान ही अभ्यर्थी अयोग्य हो जा रहे हैं।
डॉ. शंकर सुवन सिंह ने बताया कि, विश्वविद्यालयों में ईडब्लूएस कोटे के तहत प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति असंभव हो गई है और ईडब्लूएस कोटे के मानक और इन पदों की अर्हता के कारण अभ्यर्थी ही नहीं मिल रहे हैं। सरकार केवल ईडब्लूएस की आड़ में वोट की राजनीती का खेल रही है।
सत्यता यह है कि, इस आरक्षण का लाभ सवर्णों को नहीं मिल पा रहा है। ईडब्लूएस आरक्षण सवर्णों के साथ स्पष्ट रूप से केवल 'धोखा' ही प्रतीत हो रहा है और 'धोखे' के अतिरिक्त कुछ नहीं !
ईडब्लूएस कोटा सिर्फ़ 'आर्थिक' आधार पर दिया गया है और जहां पहली नज़र में लगता ज़रूर है कि, ये देश के ग़रीब लोगों के लिए एक संजीवनी का काम करेगा पर इसमें कमियां बहुत हैं। सभी राजनैतिक पार्टी की सरकारों ने 'आरक्षण' जैसे शब्द के साथ खिलवाड़ किया है। आरक्षण का दुरूपयोग हुआ है।
केंद्र सरकार को सभी सरकारी नौकरियों में सामान्य वर्ग को 50 प्रतिशत आरक्षण बिना किसी शर्त के दे दिया जाना चाहिए तभी सामान्य वर्ग आर्थिक और सामाजिक तौर पर पिछड़े वर्ग के बराबरी में आ पाएगा अन्यथा आरक्षण का खेल ख़त्म होना चाहिए। आज़ादी के बाद से लगातार दिया जाने वाला आरक्षण, सामाजिक विषमता का कारक बन चुका है।
*****