
म्यांमार के पीड़ितों में सिर्फ रोहिंग्या मुस्लिम नहीं, हिंदू भी हैं शामिल
म्यांमार के पीड़ितों में सिर्फ रोहिंग्या मुस्लिम नहीं, हिंदू भी हैं शामिलबांग्लादेश पहुंचे पीडि़तों में से कई ने बताया कि उनके गांव में अब एक भी आदमी नहीं बचा है, सब कुछ जलकर खत्म हो गया।कुटापलोंग (बांग्लादेश), रायटर्स/ एएफपी। म्यांमार से भागकर आए रोहिंग्या मुसलमानों और हिंदुओं की आपबीती बड़ी हृदय विदारक है। ऐसे 20 मुस्लिमों और हिंदुओं के समूह ने बताया कि उनके गांव में सबसे पहले सैनिक आए और उन्होंने आते ही अंधाधुंध फायरिंग करके लोगों में भय पैदा किया। इसके कुछ देर बाद हिंसा पर आमादा लोगों की भीड़ आई। भीड़ ने सैनिकों के साथ मिलकर घरों को लूटना और उन्हें जलाना शुरू कर दिया।खा मौंग सेक से आए ये पीडि़त बांग्लादेश के एक राहत शिविर में रह रहे हैं। पीडि़तों में कुछ हिंदू परिवार भी शामिल हैं, इसकी जानकारी पहली बार सामने आई है।म्यांमार के राखिन प्रांत में हिंसा का ताजा दौर 25 अगस्त को शुरू हुआ था। अराकान रोहिंग्या मुक्ति सेना नाम के आतंकी संगठन पर आरोप है कि उसके कार्यकर्ताओं ने पुलिस चौकियों और सैन्य ठिकानों पर हमला किया था। इसके बाद जवाबी कार्रवाई में सेना और आमजनों ने रोहिंग्या मुस्लिमों और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमला किया।बांग्लादेश पहुंचे पीडि़तों में से कई ने बताया कि उनके गांव में अब एक भी आदमी नहीं बचा है, सब कुछ जलकर खत्म हो गया। पीडि़तों ने अपने शरीर पर चोटों के निशान भी दिखाए जो उन्हें भीड़ की पिटाई से पैदा हुए।म्यांमार में करीब 11 लाख रोहिंग्या मुसलमान हैं। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इनमें से बड़ी संख्या बांग्लादेश से आए मुसलमानों की शामिल है, जो कानून व्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरा बने हुए हैं। इन अल्पसंख्यकों का लंबे समय से म्यांमार के बौद्ध मूल निवासियों से टकराव चल रहा है।संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सहायता दल की ताजा जानकारी के अनुसार म्यांमार से अभी तक 1,64,000 लोग बांग्लादेश पहुंच चुके हैं। इनमें बड़ी संख्या में अभावों के बीच राहत शिविरों में रह रहे हैं।यह भी पढ़ें: पाक सेना प्रमुख ने कहा- कूटनीतिक तरीकों से कश्मीर मुद्दा सुलझाए भारतBy Pratibha Kumari Let's block ads! (Why?)