भारतीय रिज़र्व बैंक ने गुजरात के 'दि को-ऑपरेटिव बैंक ऑफ राजकोट लिमिटेड, राजकोट (गुजरात)' पर मौद्रिक दंड लगाया
लखनऊ / नई-दिल्ली: भारतीय रिज़र्व बैंक ने सोमवार 17 अक्टूबर को गुजरात के 'दि को-ऑपरेटिव बैंक ऑफ राजकोट लिमिटेड, राजकोट (गुजरात)' पर मौद्रिक दंड लगाया है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि को-ऑपरेटिव बैंक ऑफ राजकोट लिमिटेड, राजकोट (गुजरात)
पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 13 अक्तूबर 2022 के आदेश द्वारा, दि को-ऑपरेटिव बैंक ऑफ राजकोट लिमिटेड, राजकोट (गुजरात) (बैंक) पर दिनांक 27 मई 2014 के परिपत्र ‘जमाकर्ता शिक्षण और जागरुकता निधि योजना, 2014 – बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 26ए - परिचालन संबंधी दिशानिर्देश’ के साथ संलग्न जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता निधि योजना, 2014 (योजना) के पैरा 3 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 26ए की उप-धारा (2), के उल्लंघन के लिए ₹2.00 लाख (दो लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों का पालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए, अधिनियम की धारा 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।
यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।
पृष्ठभूमि
31 मार्च 2021 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए सांविधिक निरीक्षण, उससे संबंधित निरीक्षण रिपोर्ट और जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट तथा सभी संबंधित पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि बैंक ने कुछ खातों में पड़ी शेष जमाराशियां, जो कि दस या अधिक वर्षों से अदावी थीं, को जमाकर्ता शिक्षण और जागरुकता निधि में अंतरित नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप योजना के साथ पठित अधिनियम के उपरोक्त प्रावधानों का उल्लंघन हुआ। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों का अननुपालन करने के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।
नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक