उपराष्ट्रपति ने खेलों को युवाओं के लिए एक आकर्षक और व्यवहार्य करियर विकल्प बनाने का आह्वान किया
उपराष्ट्रपति ने गुरुग्राम में टोक्यो पैरालंपिक खिलाड़ियों को सम्मानित किया
उपराष्ट्रपति ने कहा पूरे देश को अपने पैरालंपिक खिलाड़ियों पर गर्व है
दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए स्थानीय स्तर पर खेल सुविधाओं के निर्माण का आह्वान किया
उपराष्ट्रपति ने आज गुरुग्राम में टोक्यो पैरालंपिक खिलाड़ियों के लिए आयोजित एक सम्मान समारोह के दौरान एक सभा को संबोधित करते हुए टोक्यो पैरालंपिक में हिस्सा लेने वाले भारतीय खिलाड़ियों की सराहना की। उन्होंने कोविड-19 महामारी के कारण असाधारण परिस्थितियों में टोक्यो पैरालंपिक आयोजित किए जाने के बावजूद अब तक के सर्वोच्च पदक जीतने के लिए भारतीय खिलाड़ियों की प्रशंसा की।
यह स्वीकार करते हुए कि ये उपलब्धियां आसान नहीं थीं, उन्होंने कहा कि पूरे देश को अपने पैरालंपिक खिलाड़ियों पर गर्व है। उपराष्ट्रपति ने खिलाड़ियों से कहा, "आपने कई बाधाओं को पार किया है, रूढ़ियों को ध्वस्त किया है और खेलों को अच्छा ना समझने वाले सामाजिक दृष्टिकोण पर विजय प्राप्त की है।" उन्होंने कहा कि ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद उनकी उपलब्धियां हर भारतीय के लिए प्रेरणा हैं।
उपराष्ट्रपति ने देश में खेल संस्कृति के निर्माण की आवश्यकता पर जोर देते हुए खेलों को युवाओं के लिए एक आकर्षक और व्यवहार्य करियर विकल्प बनाने का आह्वान किया। उन्होंने इस संबंध में कई नीतिगत पहल करने के लिए हरियाणा सरकार की सराहना की।
श्री नायडू ने दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए स्थानीय स्तर पर खेल सुविधाओं की सामान्य कमी का संज्ञान लेते हुए उनके लिए आवश्यक सुविधाओं के निर्माण का आह्वान किया। उन्होंने स्थानीय स्तर पर दिव्यांग खिलाड़ियों की पहचान करने और उन्हें प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
उपराष्ट्रपति ने खेलों के कई लाभों के बारे में बात करते हुए कहा कि खेल शारीरिक रूप से स्वस्थ रखते हैं, अनुशासन और टीम भावना पैदा करते हैं, साथ ही स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के माध्यम से उत्कृष्टता प्राप्त करने की इच्छा भी जगाते हैं। उन्होंने मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी जीवनशैली संबंधी बीमारियों की बढ़ती संख्या का उल्लेख करते हुए कहा कि ये स्थितियां किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करती हैं, जिससे वह कोरोनावायरस संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है। श्री नायडू ने कहा, "इसलिए, स्वस्थ भोजन और खेल हमारी दैनिक जीवन शैली का हिस्सा होने चाहिए।"
उपराष्ट्रपति ने राज्य में खिलाड़ियों को बड़े पैमाने पर समर्थन और बढ़ावा देने के लिए हरियाणा सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह उदाहरण अन्य राज्यों को भी इसके लिए प्रेरित करेगा। उन्होंने युवाओं से अपनी शारीरिक फिटनेस पर ध्यान देने का आग्रह करते हुए सही तरह से पका हुआ पारंपरिक भोजन खाने और प्रकृति के साथ तालमेल बैठाने के महत्व को रेखांकित किया। श्री नायडू ने घरों और कार्यालयों के अंदर उचित वेंटिलेशन और धूप के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, रहने की जगहों को डिजाइन करते समय खूबसूरती और आराम पर समान ध्यान देने का आह्वान किया।
इस अवसर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल, हरियाणा के खेल मंत्री श्री संदीप सिंह, हरियाणा के प्रधान खेल सचिव श्री ए के सिंह, खेल निदेशक श्री पंकज नैन, राज्य के ओलंपिक और पैरालंपिक खिलाड़ी उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति का पूरा भाषण इस प्रकार है –
“मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि टोक्यो पैरालंपिक 2020 के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का सम्मान करने का अवसर मिला है। आपको सम्मानित करके, मैं स्वयं को सम्मानित महसूस कर रहा हूं।
इस अवसर पर आप जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के प्रशिक्षकों और आपके अभिभावकों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं जिनके समर्थन और प्रोत्साहन का आपकी उपलब्धि में बड़ा योगदान रहा।
मित्रों,
आप सभी जानते हैं कि महामारी के वजह से विगत दो वर्ष बहुत कठिन बीते।
लोगों के जीवन और जीविकाएं प्रभावित हुईं। विश्व भर में चिंता, डर और मायूसी का माहौल रहा।
निराशा के इस अंधकार के बीच, खिलाड़ियों की उपलब्धियों ने मानवता को आशा की नई किरण दिखाई है।
कठिन परिस्थितियों में भी ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों में विश्व भर के खिलाड़ियों ने नए रिकॉर्ड बनाए। अपने प्रदर्शन को भी बेहतर किया।
ये खेल बड़ी असामान्य परिस्थितियों में आयोजित किए गए थे। खिलाड़ियों पर अनेक प्रकार के बंधन थे।
दर्शक न होने की वजह से स्टेडियम प्रायः खाली थे।
लंबे समय तक स्टेडियम बंद रहने के कारण खिलाड़ियों का प्रशिक्षण बाधित हुआ था।
ऐसी असामान्य परिस्थितियों में आपकी ये उपलब्धियां और भी अधिक शानदार हैं।
इस वर्ष के टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक में भारतीय दल का प्रदर्शन बेहतरीन रहा।
इस वर्ष के खेलों में देश ने सबसे अधिक पदक जीते।
टोक्यो पैरालिंपिक्स में आपने देश के लिए 19 पदक जीते जिसमें 5 स्वर्ण पदक, 8 रजत पदक और 6 कांस्य पदक शामिल हैं।
आप सभी को बहुत बधाई और भावी सफलताओं के लिए शुभ कामनाएं
ये सब आप जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के जुझारू ज़ज्बे के कारण संभव हो सका है।
पैरालंपिक में आपकी उपलब्धियां देश में एक नई खेल संस्कृति का निर्माण करेंगी।
खिलाड़ियों को ये सफलता इतनी आसानी से नहीं मिलती।
इन सफलताओं के लिए आपने वर्षों कितनी लगन से कितना परिश्रम किया होगा ? कितनी ही बाधाओं को पार किया होगा ?
टोक्यो पैरालंपिक खेल असाधारण परिस्थितियों में आयोजित किए गए थे। खिलाड़ियों पर कड़े रोकटोक लगे थे। स्टेडियम बंद होने के कारण वे अभ्यास भी नहीं कर सकते थे। फिर भी, आपका प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा और आपने देश के लिए सबसे अधिक पदक जीते। ऐसी परिस्थितियों में आपका धैर्य और दृढ़ संकल्प अनुकरणीय था। आपकी उपलब्धियों पर पूरे देश को गर्व है। आपने हमें निराशा के इस दौर में आशा की एक किरण दिखाई है।
आपकी उपलब्धियां आसान नहीं थीं। वे कठोर परिश्रम और दृढ़ संकल्प का परिणाम हैं। आपने कई बाधाओं को पार किया है, रूढ़ियों को तोड़ा है और खेल को अच्छा ना समझने वाली सामाजिक धारणाओं पर विजय प्राप्त की है। ऐसी चुनौतीपूर्ण और प्रतिकूल परिस्थितियों में आपकी उपलब्धियां प्रत्येक भारतीय, विशेषकर युवाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा हैं।
सबसे पहले तो आपकी प्रतिस्पर्धा स्वयं आपसे ही रही होगी।
उस सामाजिक मानसिकता से रही होगी जो प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के हौंसले को दबाने की कोशिश करती है।
पैरालंपिक में पदक जीतने से पहले आपने इन बाधाओं को जीता है।
आपके अभिभावकों और प्रशिक्षकों ने आपकी प्रतिभा को भरसक प्रोत्साहन दिया।
स्थानीय स्तर पर हर शहर में दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए आवश्यक एथलेटिक सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं।
इन चुनौतियों के साथ, पैरालंपिक में आपकी सफलता कहीं अधिक बड़ी और देश के लिए महत्वपूर्ण है।
आपकी सफलता देश के युवाओं के लिए संदेश है।
आपकी सफलता देश के खेल प्रशासकों और संस्थानों के लिए भी संदेश देती है कि स्थानीय स्तर पर हमारे दिव्यांग साथियों की खेल प्रतिभा को पहचाना और प्रोत्साहित किया जाय।
उनके लिए सुविधाएं मुहैया कराई जाएं।
मुझे हर्ष है कि हाल के दशकों में हरियाणा में खेल की संस्कृति का निर्माण करने के लिए नीतिगत और संस्थागत प्रयास किए गए हैं।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को पुरस्कारों से प्रोत्साहित किया जा रहा है।
उनके भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए, उन्हें सरकारी नौकरी सुनिश्चित की जा रही है।
हरियाणा से प्रेरणा ले कर अन्य राज्यों ने भी खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित, सम्मानित करने के लिए नीतिगत प्रयास किए हैं।
इन प्रयासों का परिणाम इस वर्ष ओलंपिक और पैरालंपिक में देखने को भी मिला।
देश के युवा खिलाड़ियों ने अन्य विश्व प्रतिस्पर्धाओं में भी देश का नाम रोशन किया है।
मित्रों,
खेलों में सफलता देश के बढ़ते आत्म विश्वास को दर्शाती है।
लेकिन इस सफलता के पीछे वर्षों की लगन और मेहनत होती है। अभिभावकों, परिवार समर्थन होता है।
प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण और प्रोत्साहन होता है।
खेल प्रतिभाओं को बढ़ने के लिए समाज में खेल संस्कृति का होना जरूरी है जो खेलों को एक कैरियर के रूप में स्वीकार करे, खिलाड़ियों को सम्मान दे।
खेल, व्यक्ति और समाज के विकास के लिए जरूरी हैं।
व्यक्ति अपने सामर्थ्य, अपने कौशल की सीमा को निरंतर बेहतर करता है।
सबके साथ टीम भावना से सामंजस्य और सौहार्द के साथ रहना सीखता है।
दल के अनुशासन में रहता है।
किसी भी देश की प्रगति के लिए, युवाओं में ये गुण होना जरूरी है। तभी लक्ष्य की सिद्धि होती है।
हमें देश में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने की जरूरत है जो खेल को एक व्यवहार्य करियर विकल्प के रूप में स्वीकार करे। मुझे खुशी है कि नई शिक्षा नीति 2020 में ऐसा विकल्प उपलब्ध कराया गया है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि हरियाणा ने एक खेल संस्कृति के निर्माण के लिए निश्चित नीतिगत पहल की है और एक संस्थागत ढांचे के माध्यम से इसमें मदद दी है।
खेल और खेल व्यक्ति की शारीरिक फिटनेस सुनिश्चित करते हैं; स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के माध्यम से उत्कृष्टता प्राप्त करने की इच्छा को जगाने के अलावा, अनुशासन और टीम भावना को विकसित करते हैं। वे शिष्टता और समता का दृष्टिकोण विकसित करने में भी मदद करते हैं।
व्यक्ति के निजी स्वास्थ्य के लिए भी खेल जरूरी हैं।
आज जब हम संक्रमण की रोकथाम के हर प्रयास कर रहे हैं, तो ये भी याद रखें कि जीवन शैली के कारण होने वाली डायबिटीज, ब्लड प्रेशर आदि जैसे असंक्रामक बीमारियां व्यक्ति की प्रतिरोधक शक्ति को कम कर देती हैं।
उसमें संक्रमण होने की संभावना ज्यादा होती है।
अतः पौष्टिक आहार और नियमित व्यायाम और खेलों को अपनी जीवन शैली हिस्सा बनाएं।
मुझे यह देखकर खुशी होती है कि किस प्रकार परिवार, समाज, सरकार अपने पदक विजेता खिलाड़ियों का सम्मान करते हैं।
यह दिखाता है कि एक समाज के रूप में हम भी आपकी सफलता से खुद को जोड़ते हैं। आपकी उपलब्धियों का गौरव महसूस करते हैं।
आज इस अवसर पर, मुझे भी आपके गौरव से जुड़ने और उसे सम्मानित करने का सुयोग मिला।
आप सभी का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।
जय हिन्द!”