'समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा' सत्ता में आते ही तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाले मेजर ध्यान चंद को भारत रत्न से सम्मानित करेगी; सच्चिदानन्द श्रीवास्तव, राष्ट्रीय अध्यक्ष
"यदि मोदी सरकार ने 'तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाले मेजर ध्यान चंद' को 'भारत रत्न' से सम्मानित नहीं किया तो,
'समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा' सत्ता में आते ही तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाले मेजर ध्यान चंद को भारत रत्न से सम्मानित करेगी: सच्चिदानन्द श्रीवास्तव
लखनऊ: 'राष्ट्रीय खेल दिवस' पर समतामूलक निर्माण मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष- सच्चिदानन्द श्रीवास्तव ने भारत सरकार से / प्रधानमंत्री - नरेंद्र मोदी से ट्वीट कर मांग की है कि, 'भारत के लिए ओलंपिक में तीन - तीन स्वर्ण पदक जीतने वाले हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया जाय''।
समतामूलक निर्माण मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष- सच्चिदानन्द श्रीवास्तव ने बताया कि, ''उपलब्ध जानकारियों के अनुसार मेजर ध्यान चंद भारतीय फील्ड हॉकी के भूतपूर्व खिलाड़ी एवं कप्तान थे। भारत एवं विश्व हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाडड़ियों में उनकी गिनती होती है। उनका जन्म इलाहाबाद के एक कुशवाहा राजपूत परिवार में हुआ था। उनकी जन्मतिथि को भारत में "राष्ट्रीय खेल दिवस" के रूप में मनाया जाता है।
उन्हें हॉकी का जादूगर ही कहा जाता है। उन्होंने अपने खेल जीवन में 1000 से अधिक गोल दागे। जब वो मैदान में खेलने को उतरते थे तो गेंद मानों उनकी हॉकी स्टिक से चिपक सी जाती थी। उन्हें 1956 में भारत के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा बहुत से संगठन और प्रसिद्ध लोग काफी समय से उन्हे 'भारतरत्न' से सम्मानित करने की माँग करते रहे हैं और अब समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष - सच्चिदानन्द श्रीवास्तव ने भी प्रधानमंत्री - मोदी जी को ट्वीट कर तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाले मेजर ध्यान चंद को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग तेज कर दी है।
समतामूलक निर्माण मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष - सच्चिदानन्द श्रीवास्तव ने कहा कि, "यदि मोदी सरकार ने तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाले मेजर ध्यान चंद को भारत रत्न से सम्मानित नहीं किया तो समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा सत्ता में आते ही तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाले मेजर ध्यान चंद को भारत रत्न से सम्मानित करेगी।
अंत में समतामूलक समाज निर्माण मोर्चा के कार्यालय में आयोजित गोष्ठी में मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष - सच्चिदानन्द श्रीवास्तव ने मेजर ध्यान चंद के विकिपेडिआ के आधार पर उनका संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए बताया कि, "मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त सन् 1905 ई. को इलाहाबाद मे हुआ था। वो एक राजपूत परिवार में जन्मे थे। बाल्य-जीवन में खिलाड़ीपन के कोई विशेष लक्षण दिखाई नहीं देते थे। इसलिए कहा जा सकता है कि हॉकी के खेल की प्रतिभा जन्मजात नहीं थी, बल्कि उन्होंने सतत साधना, अभ्यास, लगन, संघर्ष और संकल्प के सहारे यह प्रतिष्ठा अर्जित की थी। साधारण शिक्षा प्राप्त करने के बाद 16 वर्ष की अवस्था में 1922 ई. में दिल्ली में प्रथम ब्राह्मण रेजीमेंट में सेना में एक साधारण सिपाही की हैसियत से भरती हो गए। जब 'फर्स्ट ब्राह्मण रेजीमेंट' में भरती हुए उस समय तक उनके मन में हॉकी के प्रति कोई विशेष दिलचस्पी या रूचि नहीं थी। ध्यानचंद को हॉकी खेलने के लिए प्रेरित करने का श्रेय रेजीमेंट के एक सूबेदार मेजर तिवारी को है। मेजर तिवारी स्वंय भी प्रेमी और खिलाड़ी थे। उनकी देख-रेख में ध्यानचंद हॉकी खेलने लगे देखते ही देखते वह दुनिया के एक महान खिलाड़ी बन गए। सन् 1927 ई. में लांस नायक बना दिए गए। सन् 1932 ई. में लॉस ऐंजल्स जाने पर नायक नियुक्त हुए। सन् 1937 ई. में जब भारतीय हाकी दल के कप्तान थे तो उन्हें सूबेदार बना दिया गया। जब द्वितीय महायुद्ध प्रारंभ हुआ तो सन् 1943 ई. में 'लेफ्टिनेंट' नियुक्त हुए और भारत के स्वतंत्र होने पर सन् 1948 ई. में कप्तान बना दिए गए। केवल हॉकी के खेल के कारण ही सेना में उनकी पदोन्नति होती गई। 1938 में उन्हें 'वायसराय का कमीशन' मिला और वे सूबेदार बन गए। उसके बाद एक के बाद एक दूसरे सूबेदार, लेफ्टीनेंट और कैप्टन बनते चले गए। बाद में उन्हें मेजर बना दिया गया।