उत्तर प्रदेश में महाराजा सुहेलदेव स्मारक और चित्तौरा झील के विकास कार्य के शिलान्यास समारोह में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ
प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश में महाराजा सुहेलदेव स्मारक और चित्तौरा झील के विकास कार्य के शिलान्यास समारोह में अपने सम्बोधन के वीडियो को ट्वीट कर साझा भी किया है।
उत्तर प्रदेश में जिस प्रकार आज आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम चल रहा है, उससे राज्य में उद्योग लगाने के लिए देश और दुनिया के निवेशक उत्साहित हैं। pic.twitter.com/iGedgTwlwf
— Narendra Modi (@narendramodi) February 16, 2021
नई-दिल्ली (PIB): प्रधानमंत्री कार्यालय ने उत्तर प्रदेश में महाराजा सुहेलदेव स्मारक और चित्तौरा झील के विकास कार्य के शिलान्यास समारोह में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ जारी किया।
उत्तर प्रदेश में महाराजा सुहेलदेव स्मारक और चित्तौरा झील के विकास कार्य के शिलान्यास समारोह में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ:
नमस्कार!
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल जी, राज्य के लोकप्रिय और यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, यूपी सरकार के अन्य मंत्रिगण, संसद में मेरे अन्य सहयोगी, विधायक गण और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों!
अपने पराक्रम से मातृभूमि का मान बढ़ाने वाले राष्ट्रनायक महाराजा सुहेलदेव की जन्मभूमि और ऋषि मुनियों ने जहां तप किया, बहराइच की ऐसी पावन धरा को मैं आदरपूर्वक नमन करता हूं! वसंत पंचमी कीआप सभी को, संपूर्ण देश को बहुत-बहुत मंगलकामनाएं!! मां सरस्वती भारत के ज्ञान-विज्ञान को और समृद्ध करें। आज का दिन, विद्या आरंभ और अक्षर ज्ञान के लिए बहुत शुभ दिन माना जाता है। हमारे यहां कहा गया है:-
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तु ते॥
अर्थात, हे महाभाग्यवती, ज्ञानरूपा, कमल के समान विशाल नेत्र वाली, ज्ञानदात्री सरस्वती, मुझको विद्या दीजिए, मैं आपको नमन करता हूं। भारत की, मानवता की सेवा के लिए रिसर्च और इनोवेशन में जुटे, राष्ट्र निर्माण में जुटे हर देशवासी को मां सरस्वती का आशीर्वाद मिले, उन्हें सफलता मिले, यही हम सभी की प्रार्थना है।
भाइयों और बहनों,
रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं, ऋतु बसंत बह त्रिबिध बयारी। यानि, बसंत ऋतु में शीतल, मंद सुगंध, ऐसी तीन प्रकार की हवा बह रही है, इसी हवा, इसी मौसम में खेत-खलिहान, बाग-बगान से लेकर जीवन का हर हिस्सा आनंदित हो रहा है। वाकई, हम जिस तरफ देखें तो फूलों की बहार है, हर जीव वसंत ऋतु के स्वागत में खड़ा है। ये वसंत महामारी की निराशा को पीछे छोड़कर आगे बढ़ते भारत के लिए नई उम्मीद, नई उमंग लेकर आया है। इस उल्लास में, भारतीयता, हमारी संस्कृति, हमारे संस्कारों के लिए ढाल बनकर खड़े होने वाले महानायक, महाराजा सुहेल देव जी का जन्मोत्सव हमारी खुशियों को और बढ़ा रहा है।
साथियों,
मुझे करीब 2 साल पहले गाज़ीपुर में महाराजा सुहेल देव की स्मृति में डाक टिकट जारी करने का अवसर मिला था। आज बहराइच में उनके भव्य स्मारक के शिलान्यास का सौभाग्य मिला है। ये आधुनिक और भव्य स्मारक, ऐतिहासिक चित्तोरा झील का विकास, बहराइच पर महाराजा सुहेलदेव के आशीर्वाद को बढ़ाएगा, आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेगा।
साथियों,
आज महाराजा सुहेल देव के नाम पर बनाए गए मेडिकल कॉलेज को एक नया और भव्य भवन मिला है। बहराइच जैसे विकास के लिए आकांक्षी जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ना, यहां के लोगों के जीवन को आसान बनाएगा। इसका लाभ आसपास के श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर को तो होगा ही, नेपाल से आने वाले मरीजों को भी ये मदद करेगा।
भाइयों और बहनों,
भारत का इतिहास सिर्फ वो नहीं है जो देश को गुलाम बनाने वालों, गुलामी की मानसिकता के साथ इतिहास लिखने वालों ने लिखा। भारत का इतिहास वो भी है, जो भारत के सामान्य जन ने, भारत की लोक गाथाओं में रचा-बसा है, जो पीढ़ियों ने आगे बढ़ाया है। आज जब भारत अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है ऐसे महापुरुषों का योगदान, उनकी त्याग, उनकी तपस्या, उनका संघर्ष, उनकी वीरता, उनकी शहादत, इन सब बातों का स्मरण करना, उनको आदरपूर्वक नमन करना, उनसे प्रेरणा पाना, इससे बड़ा कोई अवसर नहीं हो सकता है। ये दुर्भाग्य है कि भारत और भारतीयता की रक्षा के लिए जिन्होंने जीवन समर्पित कर दिया, ऐसे अनेक नायक-नायिकाओं को वो स्थान नहीं दिया गया, जिसके वो हकदार थे। इतिहास रचने वालों के साथ, इतिहास लिखने के नाम पर हेर-फेर करने वालों ने जो अन्याय किया, उसे अब आज का भारत सुधार रहा है। सही कर रहा है। गलतियों से देश को मुक्त कर रहा है। आप देखिए, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, जो आज़ाद हिंद सरकार के पहले प्रधानमंत्री थे, क्या उनकी इस पहचान को, आज़ाद हिंद फौज के योगदान को वो महत्व दिया गया, जो महत्व नेताजी को मिलना चाहिए था?
आज लाल किले से लेकर अंडमान-निकोबार तक उनकी इस पहचान को हमने देश और दुनिया के सामने सशक्त किया है। देश की पांच सौ से ज्यादा रियासतों को एक करने का कठिन कार्य करने वाले सरदार पटेल जी के साथ क्या किया गया, देश का हर बच्चा इस बात को भलीभांति जानते हैं। आज दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ यूनिटी सरदार पटेल की है, जो हमें प्रेरणा दे रही है। देश के संविधान देने में अहम भूमिका देने वाले, वंचित, पीड़ित, शोषित की आवाज़, बाबा साहेब आंबेडकर को भी सिर्फ राजनीतिक चश्मे से देखा गया। आज भारत से लेकर इंग्लैंड तक डॉक्टर बाबा साहब आंबेडकर से जुड़े स्थानों को पंचतीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है।
साथियों,
भारत के ऐसे अनेकों सेनानी हैं, जिनके योगदान को अनेक वजहों से मान नहीं दिया गया, पहचान नहीं दी गई। चौरी-चौरा के वीरों के साथ जो हुआ, वो क्या हम भूल सकते हैं? महाराजा सुहेल देव और भारतीयता की रक्षा के लिए उनके प्रयासों के साथ भी यही व्यवहार किया गया।
इतिहास की किताबों में भले ही महाराजा सुहेलदेव के शौर्य, पराक्रम, उनकी वीरता को वो स्थान नहीं मिला, लेकिन अवध और तराई से लेकर पूर्वांचल की लोकगाथाओं में, लोगों के हृदय में वो हमेशा बने रहे। सिर्फ वीरता ही नहीं, एक संवेदनशील और विकासवादी शासक के रूप में उनकी छाप अमिट है। अपने शासनकाल में जिस प्रकार उन्होंने बेहतर रास्तों के लिए, पोखरों-तालाबों के लिए, बाग-बगीचों और शिक्षा के क्षेत्र में काम किया, वो अभूतपूर्व था। उनकी यही सोच, इस स्मारक स्थली में भी दिखने वाली है।
साथियों,
पर्यटक महाराजा सुहेलदेव जी के जीवन से प्रेरित हो सकें, इसके लिए उनकी 40 फीट की कांस्य प्रतिमा स्थापित होगी। यहां पर बनने वाले संग्रहालय में महाराजा सुहेलदेव से जुड़ी ऐतिहासिक जानकारियां होंगी। इसके भीतर की और आसपास की सड़कों का चौड़ीकरण किया जाएगा। बच्चों के लिए पार्क बनेगा, सभागार होगा, पर्यटकों के लिए आवास गृह, पार्किंग, कैफेटीरिया जैसी अनेक सुविधाओं का निर्माण होगा। इसके साथ-साथ जो स्थानीय शिल्पकार हैं, कलाकार हैं, वो अपना सामान यहां आसानी से बेच पाएं, इसके लिए दुकानों का निर्माण किया जाएगा। इसी तरह चित्तौरा झील पर घाट और सीढ़ियों के निर्माण और सुंदरीकरण से इस ऐतिहासिक झील का महत्व और बढ़ जाएगा। ये सारे प्रयास, बहराइच की सुंदरता ही नहीं बढ़ाएंगे बल्कि यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी वृद्धि करेंगे। ‘मरी मैय्या’ की कृपा से ये कार्य जल्द पूरे होंगे।
भाइयों और बहनों,
बीते कुछ सालों में देशभर में इतिहास, आस्था, आध्यात्म, संस्कृति से जुड़े जितने भी स्मारकों का निर्माण किया जा रहा है, उनका बहुत बड़ा लक्ष्य पर्यटन को बढ़ावा देने का भी है। उत्तर प्रदेश तो पर्यटन और तीर्थाटन, दोनों के मामले में समृद्ध भी है और इसकी क्षमताएं भी अपार हैं। चाहे वह भगवान राम का जन्म स्थान हो या कृष्ण का वृंदावन, भगवान बुद्ध का सारनाथ हो या फिर काशी विश्वनाथ, संत कबीर का मगहर धाम हो या वाराणसी में संत रविदास की जन्मस्थली का आधुनिकीकरण, पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर काम चल रहा है। इनके विकास के लिए भगवान राम, श्रीकृष्ण और बुद्ध के जीवन से सम्बन्धित स्थलों जैसे अयोध्या, चित्रकूट, मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन, कुशीनगर, श्रावस्ती आदि तीर्थ स्थलों पर रामायण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, बौद्ध सर्किटका विकास किया जा रहा हैं।
भाइयों और बहनों,
बीते कुछ वर्षों में जो प्रयास हुए हैं, उनका प्रभाव भी नजर आने लगा है। जिस राज्य में अन्य राज्यों से सबसे अधिक पर्यटक आते हैं, उस प्रदेश का नाम उत्तर प्रदेश है। विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने में भी यूपी देश के टॉप तीन राज्यों में आ चुका है। उत्तर प्रदेश में पर्यटकों के लिए ज़रूरी सुविधाओं के साथ-साथ आधुनिक कनेक्टिविटी के साधन भी बढ़ाए जा रहे हैं। भविष्य में अयोध्या का एयरपोर्ट और कुशीनगर का इंटरनेशनल एयरपोर्ट, देशी-विदेशी टूरिस्ट के लिए बहुत उपयोगी साबित होंगे। उत्तर प्रदेश में छोटे-बड़े दर्जनभर एयरपोर्ट्स पर काम चल रहा है, जिसमें से कई पूर्वांचल में ही हैं। उड़ान योजना के तहत यूपी के अनेक शहरों को कम कीमत वाली हवाई सेवा से जोड़ने का अभियान चल रहा है।
इसके अलावा पूर्वांचल एक्सप्रेस वे, बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस वे, गंगा एक्सप्रेस वे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे, बलिया लिंक एक्सप्रेस वे, ऐसी आधुनिक और चौड़ी सड़कें पूरे यूपी में बनाई जा रही हैं। और ये तो एक तरह से आधुनिक यूपी के आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की शुरुआत है। एयर और रोड कनेक्टिविटी के अलावा यूपी की रेल कनेक्टिविटी भी अब आधुनिक हो रही है। यूपी दो बड़े डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर का जंक्शन है। हाल में ही Eastern Dedicated Freight Corridor के एक बड़े हिस्से का लोकार्पण यूपी में ही किया गया है। यूपी में जिस प्रकार आज आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम चल रहा है, उससे उत्तर प्रदेश में उद्योग लगाने के लिए देश और दुनिया के निवेशक उत्साहित हैं। इससे यहां नए उद्योगों के लिए तो बेहतर अवसर बन ही रहे हैं, यहां के युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी उपलब्ध हो रहे हैं।
साथियों,
कोरोना काल में जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश में काम हुआ है, वो बहुत महत्वपूर्ण है। कल्पना करिए, अगर यूपी में हालात बिगड़ते तो राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किस तरह की बातें की जातीं। लेकिन योगी जी की सरकार ने, योगी जी की पूरी टीम ने बेहतरीन तरीके से स्थिति को संभालकर दिखाया है। यूपी ना सिर्फ ज्यादा से ज्यादा लोगों का जीवन बचाने में सफल रहा, बल्कि बाहर से लौटे श्रमिकों को रोज़गार देने में भी यूपी ने प्रशंसनीय काम किया है।
भाइयों और बहनों,
कोरोना के खिलाफ यूपी की लड़ाई में पिछले 3-4 वर्षों में किए गए कार्यों का बहुत योगदान रहा है। पूर्वांचल को दशकों तक परेशान करने वाले दिमागी बुखार का प्रभाव, यूपी ने बहुत कम करके दिखाया है। यूपी में 2014 तक 14 मेडिकल कॉलेज थे, जो आज बढ़कर 24 हो चुके हैं। साथ ही गोरखपुर और बरेली में एम्स का भी काम चल रहा है। इनके अलावा 22 नए मेडिकल कॉलेज और बनाए जा रहे हैं। वाराणसी में आधुनिक कैंसर अस्पतालों की सुविधा भी अब पूर्वांचल को मिल रही है। यूपी जल जीवन मिशन यानि हर घर जल पहुंचाने के लिए भी प्रशंसनीय कार्य कर रहा है। जब शुद्ध पीने का पानी घर पर पहुंचेगा, तो इससे अनेक बीमारियां वैसे ही कम हो जाएंगी।
भाइयों और बहनों,
उत्तर प्रदेश में बेहतर होती बिजली, पानी, सड़क और स्वास्थ्य की सुविधाओं का सीधा लाभ गांव, गरीब और किसान को हो रहा है। विशेषतौर पर छोटे किसान जिसके पास बहुत कम जमीन होती है, वो इन योजनाओं के बहुत बड़े लाभार्थी हैं। उत्तर प्रदेश के ऐसे लगभग ढाई करोड़ किसान परिवारों के बैंक खाते में पीएम किसान सम्मान निधि के माध्यम से, सीधे पैसे जमा किए जा चुके हैं। ये वो किसान परिवार हैं, जो कभी बिजली का बिल या खाद की बोरी खरीदने के लिए भी दूसरों से कर्ज लेने के लिए मजबूर थे। लेकिन ऐसे छोटे किसानों को हमारी सरकार ने 27 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक सीधे ट्रांसफर किए हैं, उनके खाते में जमा कर दिए गए हैं। यहां किसानों को बिजली न होने की वजह से जो दिक्कतें आती थीं, रात-रात भर बोरिंग के पानी के लिए जागना पड़ता था, इंतजार करना पड़ता था कि मेरा नंबर कब आएगा, ऐसी तमाम दिक्कतें भी बिजली आपूर्ति सुधरने से अब दूर हो रही हैं।
साथियों,
देश की जनसंख्या बढ़ने के साथ, खेती की जमीन छोटी से छोटी होती जा रही है। इसलिए देश में किसान उत्पादक संघों का निर्माण बहुत आवश्यक है। आज सरकार छोटे किसानों के हजारों किसान उत्पादक संघ यानि FPOs बना रही है। 1-2 बीघा के 500 किसान परिवार जब संगठित होकर बाज़ार में उतरेंगे तो वो 500-1000 बीघा के किसान से भी ज्यादा ताकतवर होंगे। इसी प्रकार किसान रेल के माध्यम से सब्जियों, फलों, दूध, मछली और ऐसे अनेक व्यवसायों से जुड़े छोटे किसानों को अब बड़े बाज़ारों से जोड़ा जा रहा है। जो नए कृषि सुधार किए गए हैं, इनका लाभ भी छोटे और सीमांत किसानों को सबसे अधिक होगा। उत्तर प्रदेश में इन नए कानूनों के बनने के बाद जगह-जगह से किसानों के बेहतर अनुभव सामने आने भी लगे हैं। इन कृषि कानूनों को लेकर भांति-भांति का अपप्रचार करने की कोशिश की गई। ये पूरे देश ने देखा है कि जिन्होंने देश के कृषि बाज़ार में विदेशी कंपनियों को बुलाने के लिए कानून बनाया, वो आज देसी कंपनियों के नाम पर किसानों को डरा रहे हैं।
साथियों,
राजनीति के लिए झूठ और अपप्रचार की ये पोल अब खुल रही है। नए कानूनों के लागू होने के बावजूद यूपी में इस बार पिछले साल की तुलना में दोगुने किसानों का धान खरीदा गया।
इस बार करीब 65 लाख मीट्रिक टन की खरीद यूपी में हो चुकी है, जोबीते साल की तुलना में लगभग दोगुनी है। यही नहीं, योगी जी की सरकार गन्ना किसानों तक भी बीते सालों में 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक पहुंचा चुकी है। कोरोना काल में भी गन्ना किसानों को दिक्कत ना आए, इसके लिए हर संभव मदद दी गई है। चीनी मिलें, किसानों को भुगतान कर पाएं इसके लिए केंद्र ने भी हजारों करोड़ रुपए राज्य सरकारों को दिए हैं। गन्ना किसानों का भुगतान समय पर होता रहे, इसके लिए योगी जी की सरकार के प्रयास जारी हैं।
भाइयों और बहनों,
सरकार की ये हर संभव कोशिश है कि गांव और किसान का जीवन बेहतर हो। किसान को, गांव में रहने वाले गरीब को परेशानी ना हो, उसको अपने मकान पर अवैध कब्ज़े की आशंका से मुक्ति मिले, इसके लिए स्वामित्व योजना भी आज पूरे उत्तर प्रदेश में चलाई जा रही है। इस योजना के तहत आजकल यूपी के करीब 50 जिलों में ड्रोन के माध्यम से सर्वे चल रहे हैं। लगभग 12 हज़ार गांवों में ड्रोन सर्वे का काम पूरा हो चुका है और अभी तक 2 लाख से ज्यादा परिवारों को प्रॉपर्टी कार्ड यानि घरौनी मिल चुका है। यानि ये परिवार अब हर प्रकार की आशंका से मुक्त हो चुके हैं।
साथियों,
आज गांव का गरीब, किसान देख रहा है कि उसके छोटे से घर को बचाने के लिए, उसकी जमीन को बचाने के लिए पहली बार कोई सरकार इतनी बड़ी योजना चला रही है। इतना बड़ा रक्षा कवच, हर गरीब को, हर किसान को, हर ग्रामवासी को दे रहा है। इसलिए जब कोई कृषि सुधारों के माध्यम से किसानों की ज़मीन छीने जाने का झूठ फैलाता है, तो उस पर कोई कैसे विश्वास कर सकता है? हमारा लक्ष्य देश के हर नागरिक को समर्थ बनाने का है। हमारा संकल्प देश को आत्मनिर्भर बनाने का है। इस संकल्प की सिद्धि के लिए समर्पित भाव से हम जुटे रहेंगे। मैं रामचरित मानस की एक चौपाई से ही अपनी बात समाप्त करूंगा-
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा।
हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥
भावार्थ ये कि- हृदय में भगवान राम का नाम धारण करके हम जो भी कार्य करेंगे, उसमें निश्चित सफलता मिलेगी।
एक बार फिर महाराजा सुहेल देव जी को नमन करते हुए, आपको इन नई सुविधाओं के लिए बहुत-बहुत बधाई देते हुए योगी जी और उनकी पूरी टीम का अभिनन्दन करते हुए बहुत-बहुत धन्यवाद !!
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