विशेष - महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि पर 30 जनवरी को संपूर्ण शराबबंदी की घोषणा कर राष्ट्रपिता को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करें सरकारें: रघु ठाकुर
शराब आत्मा और शरीर दोनों का नाश करती है: महात्मा गाँधी
30 जनवरी महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि पर विशेष प्रस्तुति:
'शराबबंदी ही गाँधी को सच्ची श्रद्धांजलि': रघु ठाकुर
भोपाल: महान समाजवादी चिंतक व विचारक तथा लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक- रघु ठाकुर ने अपनी विशेष प्रस्तुति में कहा है कि, 30 जनवरी महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि पर शराबबंदी ही गाँधी को सच्ची श्रद्धांजलि है।
रघु ठाकुर ने बताया कि, प्रदेश में अवैध शराब और जहरीली शराब से हो रही मौतों की संख्या बढ़ती जा रही है। मुरैना में तो लगभग 25 से अधिक मौतें हो चुकी हैं, मुरैना के अलावा भी पहले कई जिलों में अवैध शराब से मृत्यु की घटनाएं हुई हैं।
अवैध और जहरीली शराब से केवल म.प्र. ही नही बल्कि अन्य प्रदेशों जैसे उ.प्र., महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्रप्रदेश, तैलांगना, पंजाब आदि में भी ऐसी घटनाऐं हुई है जो प्रचार तंत्र में प्रमुखता के साथ छपी है।
रघु ठाकुर ने बताया कि, अमूमन ऐसी घटनाओं के सामने आने के बाद समाज और राजनैतिक दल इसे कानून व्यवस्था या आबकारी पुलिस और राजनैतिक भरष्टाचार के रूप में देखते हैं तथा कर्मचारियों व अधिकारियों को ही एक मात्र दोषी मानकर उन पर कार्यवाही की मांग करते हैं। सरकारें भी जन-आक्रोश को शांत करने के लिए कुछ कार्यवाही करती है तथा कुछ समय पश्चात् मीडिया के मुख्य पृष्ठ से भी यह खबरें दूर हो जाती हैं और धीरे-धीरे लोग भी भूल जाते हैं।
कई बार सरकारें समितियां भी गठित करती है, उन समितियों की भारी भरकम रपटें भी आती है। और वे भी फाईलों में बंद होकर दब जाती है। जो मूल प्रश्न है उस पर समाज, मीडिया और सरकारें सभी मूल प्रश्नों को बहस का विषय नही बनाती।
रघु ठाकुर ने कहा कि, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी चाहती है कि, प्रदेश व देश में संपूर्ण-शराबबंदी होना चाहिए। हम जानते हैं कि, हमारी माँग के बाद तीन प्रकार के तर्क दिये जायेंगे___
1. अगर शराबबंदी कानून से हो भी जाए तो अवैध शराब बिकती रहेगी और इसकी खपत ज्यादा बढ़ जाएगी।
2. सरकार के राजस्व में कमी होगी और आय घट जाएगी, जिसका असर विकास कार्यों पर होगा।
3. शराब पीना लोगों का अपना अधिकार है, दुनिया के देशों में भी लोग शराब पीते है। भारत के अतीत में भी शराब का प्रचलन था और कुछ लोग यह भी तथ्य देंगे कि, देवता भी सोमरस पान करते थे याने शराब पीते थे।
रघु ठाकुर ने कहा कि, पहले बिंदु पर हम विचार करें तो यह संभव है कि, शराब के बाद भी अवैध शराब माफिया सक्रिय हों जो, अभी भी सक्रिय हैं और अगर शराब की बिक्री और पीना तथा उत्पादन वैधानिक होने के बाद भी अगर अवैध शराब बनती बिकती और पी जाती है तो इसके कारणों की खोज आवश्यक है।
यह वैधानिक प्रशासनिक और सामाजिक तीनों पक्षों की कमी है अकेले शराब के नाम से ही नही बल्कि बहुत सारे ऐसे कानून है कि जिनके होते हुए भी अनेकों उनसे संबंधी अपराध प्रतिदिन होते है।
क्या आयकर कानून के बाद आयकर की चोरी नही होती है?
क्या आई.पी.सी. में प्रावधान होने के बाद भी डकैती और बलात्कार के खिलाफ मृत्युदण्ड तक का प्रावधान होने के बावजूद भी ये अपराध नही होते?
तो क्या इन सब कानूनों को समाप्त कर देना चाहिए ?-
रघु ठाकुर ने बताया कि, कानून बनने के पीछे जहाॅं एक तरफ विधायिकाओं का बहुमत होता है वही दूसरी तरफ जनमत की भी अभिव्यक्ति होती है। यह एक प्रकार से समाज के बहुमत की और समाज की प्रतिनिधि राय होती है।
कानून का उल्लघंन अपवाद और विकृतियां है तथा अपवाद और विकृतियों के नाम पर हम समाज को अपराध की खुली छूट नही दे सकते क्योंकि इसका अर्थ होगा जंगलराज और ताकत का राज्य। इसलिए इस नकारात्मक तुलना के बजाय पहल यह होना चाहिए कि, इन कानूनों को ठीक - ढंग से कैसे लागू किया जाए ताकि अपराध ही न हों।
जहाँ तक राजस्व का सवाल है तो अगर गहराई से अध्ययन किया जाए तो स्पष्ट हो जाएगा कि, शराब से होनी वाली आय और इस आय को इकठ्ठा करने वाले प्रशासन तंत्र के खर्च में कुछ ज्यादा फर्क नही है। फिर अगर आय भी हो तो क्या फिर ऐसा समाज देश व दुनिया अच्छी मानी जायेगी जो अपराध और सामाजिक पतन से पैसा कमाए, क्या डकैती या वैश्याबृत्ति के लायसेंस देकर किसी सरकार के द्वारा टेक्स वसूली और आय होने का तर्क स्वीकार होगा?
रघु ठाकुर ने कहा कि, मेरे ख्याल से कोई भी सभ्य समाज या सभ्य सरकार इसे स्वीकार नही करेगी। दरअसल सच्चाई तो यह है कि शराब से सरकार को आय भले ही कुछ होती हो परंतु अधिकांश राजनैतिक दल और विशेषतः बडे़ राजनैतिक दल शराब माफियाओं के पैसे से ही चल रहे है। यहाँ तक कि चुनाव में मतदाताओं को खरीदने के लिए शराब के पैसे और शराब की बोतलों का इन दिनों भारी इस्तेमाल होने लगा है। मु-हजये स्मरण है कि, जब संयुक्त म.प्र. के (जब म.प्र. और छत्तीसगढ़ इकठ्ठा था) के मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी थे तब दुर्ग जिले के भिलाई में श्री केडिया जो एक बहुत बडे़ शराब उत्पादक थे के पारिवारिक आयोजन में भोपाल से एक विशेष विमान भिलाई गया था। जिसमें मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह और उनकी स्व. पत्नी, स्व. श्यामाचरण शुक्ल और उनकी पत्नि, स्व. कैलाश जोशी पूर्व मुख्यमंत्री और उनकी स्व. पत्नी तीनों एक साथ थे। स्व. श्यामाचरण शुक्ल जी कांग्रेस के मुख्यमंत्री रहे थे तथा स्व. कैलाश जो- जनता पार्टी के मुख्यमंत्री रहे थे और भाजपा के बड़े नेता थे। भिलाई के पत्रकारों से बातचीत करते हुए श्री दिग्विजय सिंह ने साहसिक स्वीकारोक्ति की थी कि, ’’सभी राजनैतिक दलों के दिये केडिया के तेल से जलते हैं। याने सभी राजनैतिक दल केडिया के पैसे से चलते है। यह कल का भी सत्य था और आज का भी है कि अधिकांश राजनैतिक दल शराब उद्योगपतियों के पैसे से चल रहे हैं। जितनी आय शराब से सरकार को होती है, उससे ज्यादा पैसा शराब उद्योगपति मुनाफे में कमाते है, और राजनैतिक दल चंदा के रूप में ले लेते हैं।
रघु ठाकुर ने बताया कि, शराब एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गई है जो समाज को ही मिटा रही है। समचार पत्रों में आये दिन समाचार छपते है कि शराब पीकर हत्यायें और बलात्कार किये जाते है। शराब के पैसे के लिए पति पत्नी की हत्या कर देता है, बेटा माता और पिता की हत्या कर देता है। शराब घरों को नष्ट कर रही जहां शराब पीने वाले व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ मारपीट गाली गलौज करते हैं, वहीं अपने बच्चों को दुर्गुण सिखाते हैं। बेरोजगार नौजवान या तो शराब के लिए घरों का पैसा चुराते है यहाँ तक कि, पढ़ने वाले विद्यार्थी तक लूटपाट करते है, ऐसी स्थिति बन गई है। ग्रामीण अंचलों में किसानों की जमीन शराब माफिया और साहूकार गिरवी रख लेते है और उन्हें शराब पीने को उधार पैसा देते है जिस पर मनमाना ब्याज लेते हैं, और फिर गुंडा शक्ति से जमीनों पर कब्जा कर लेते हैं और जमीनें अपने नाम करा लेते हैं। अब तो यहां तक स्थिति हो गई है कि, गाँव-गाँव में बेरोजगार लड़को की एक फौज खड़ी हो गई है, जो शराब दुकानों से शराब के इकठ्ठे पाउच लेती है और गाँव में जाकर बेचती है। यहाँ तक कि, गाँव में उधारी पर शराब दी जा रही है। यहीं शराब-माफिया के तंत्र के नौजवान उनके मालिक के समर्थक सरकारी दल के प्रचारक भी बन जाते है।
रघु ठाकुर ने कहा कि, शराब ने लोकतंत्र को भ्रष्ट तो कर ही दिया है और अब नष्ट करने की कगार पर है। भारतीय लोकतंत्र तो लोकमत से बनने वाले तंत्र के बजाय शराब के बोतलों से जन्म देने वाला तंत्र बन गया है, याने लोकतंत्र एक अर्थ में शराबतंत्र बन रहा है, ‘‘जो -शराब से ही पैदा होगा - शराब माफियाओं के लिए काम करेगा और - शराब माफियाओं का होगा।
रघु ठाकुर ने कहा कि, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति श्री अब्राहम लिंकन ने लोकतंत्र की परिभाषा की थी ‘‘Democracy is for the people, By the people, Off the people," और भारत में यह स्थिति बन रही है कि, Democracy is for the liquor mafia, By the liquor mafia, Off the liquor mafia.
रघु ठाकुर ने कहा कि, जहाँ तक वैदिक काल और प्राचीन काल में सोमरस या शराब के प्रचलन का संबंध है वह अब न तार्किक है और न सामयिक। यद्यपि उसके कोई प्रमाणिक तथ्य भी मौजूद नहीं हैं।
परंतु अगर मान लो कि वे है भी तो भी यह सोचना होगा कि क्या वे आज के लिए उचित या आदर्श हैं? हो सकता है कि, उस कालखण्ड में भौगोलिक परिस्थितियां उत्पादन और कृषि का अभाव आदि कारण रहे हो परंतु अब उनका कोई औचित्य नहीं है। कुछ लोग आदिवासी समाज की प्राचीन परंपरा का उदाहरण भी देंगे और कहेंगे कि, आदिवासी अपनी परंपरा के अनुसार शराब बनाता है और पीता है। परंतु आदिवासी समाज के इतिहास में शराब - नशे, अपराध या मुनाफे की नहीं वरण उनके जीवन के पोषण अभाव की पूर्ति और खानपान की जरूरत थी वह उनके समूह जीवन का हिस्सा थी। परंतु उसमें अपराध नहीं था।
रघु ठाकुर ने कहा कि, इन मित्रों से मैं कहना चाहूॅगा कि, वे आदिवासी समाज के इतिहास व परिस्थितियों का अध्ययन करे। हज़ारों साल के इतिहास में आदिवासी समाज में न कभी डकैतियां हुई न बलात्कार हुए ना नारी का असम्मान हुआ और न संपत्ति का संचय औरशोषण हुआ। आदिवासी समाज में संपूर्ण क्षमता थी और आदर्श लोकतंत्र था, जहाँ सब मिलकर पैदा करते थे - पैदावार के साधन सबके सामूहिक स्वामित्व के थे और अपनी-अपनी जरूरत के अनुसार उपयोग करते थे - साथ में रहते थे तथा वस्त्रों के अभाव के बावजूद भी कभी कोई बलात्कार नहीं हुआ और न नारी के साथ कोई हिंसा हुई। अब आदिवासी समाज का भी अच्छा खासा हिस्सा शिक्षा व काम के लिए शहरों में आया है व शहरों में अब वस्त्र पहनकर रहते है और शराबखोरी नहीं करते।
दरअसल समाज व मीडिया का दायित्व समाज की कमियां व बुराईयों को दूर करना उसे सभ्यता के जीवन मूल्यों की ओर ले जाना है।
30 जनवरी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि है। बापू संपूर्ण शराबबंदी के पक्षधर थे और उन्होंने शराब के खिलाफ न केवल लिखा बोला बल्कि एक सामाजिक अभियान भी चलाया।
रघु ठाकुर ने कहा कि, आज सरकारों का यह दायित्व है कि, वे 30 जनवरी को संपूर्ण शराबबंदी की घोषणा कर राष्ट्रपिता को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करें और समाज का भी यह दायित्व है कि राष्ट्रपिता के बताए मार्ग पर चलें और शराब के चलन को राजनीति और समाज से मिटाने के लिए सक्रिय हो तथा अपने राष्ट्रीय व नैतिक दायित्व का निर्वहन करें।
swatantrabharatnews.com