
मुस्लिमों के समर्थन से बुलंद हो रही अयोध्या में राम मंदिर की दावेदारी
मुस्लिमों के समर्थन से बुलंद हो रही अयोध्या में राम मंदिर की दावेदारीआर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया एवं कुछ अन्य स्रोतों से यह स्पष्ट हो चुका है कि मस्जिद रामजन्मभूमि पर बने मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी और ऐसे में यह सभ्यता का तकाजा नहीं हैअयोध्या [रघुवरशरण] । शनिवार एवं रविवार को यदि शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने रामनगरी पहुंच मंदिर निर्माण का राग छेड़ा, तो मंगलवार को मंदिर निर्माण के लिए बब्लू खान के नेतृत्व में सौहार्द यात्रा निकलेगी। शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने शनिवार को दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेशदास तथा रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास के उत्तराधिकारी महंत कमलनयनदास एवं रविवार को निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्रीमहंत धर्मदास तथा निर्मोही अखाड़ा के सरपंच महंत भास्कर दास से मुलाकात कर रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के समर्थन का एलान किया।वसीम रिजवी ने अयोध्या यात्रा के दौरान दो टूक लहजे में रामजन्मभूमि पर से मस्जिद की दावेदारी छोडऩे का सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा, आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया एवं कुछ अन्य स्रोतों से यह स्पष्ट हो चुका है कि मस्जिद रामजन्मभूमि पर बने मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी और ऐसे में यह सभ्यता का तकाजा नहीं है कि मुस्लिम वहां आज भी मस्जिद का दावा करे। रिजवी इतने पर ही नहीं रुके और उन्होंने कहा, रामजन्मभूमि पर बनी मस्जिद के एवज में किसी मुस्लिम बाहुल्य इलाके में मस्जिद का निर्माण तो संभव है पर उसका नाम मंदिर तोडऩे वाले मुगल सम्राट बाबर या उसके सेनापति मीर बाकी जैसे आक्रांता के नाम से नहीं हो सकता।बल्कि उस मस्जिद को मस्जिद-ए-अमन का नाम दिया जाना उचित होगा। यह पहला मौका नहीं है, जब किसी मुस्लिम ने मंदिर का खुलकर समर्थन किया है। इसी वर्ष की शुरुआत से ही लखनऊ के कारोबारी आजम खान मंदिर के समर्थन में आगे आए और रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए वे दर्जन भर साथियों के साथ एक ट्रक ईंट लेकर भी रामनगरी आ पहुंचे। हालांकि उनकी यह मुहिम प्रतीकात्मक होकर ही रह गई पर वे यहीं नहीं रुके और करीब छह माह की अवधि में वे आधा दर्जन बार समर्थकों के साथ अयोध्या की यात्रा कर चुके हैं।कभी सरयू जल से मंदिर निर्माण का संकल्प लेने के लिए तो कभी मंदिर आंदोलन के शलाका पुरुष परमहंस रामचंद्रदास को उनकी समाधि पर नमन करने के लिए। यह सूची बब्लू खान का नाम लिए बगैर पूरी नहीं होती। बब्लू खान विवादित स्थल से बमुश्किल चार किलोमीटर के फासले पर स्थित ग्राम मिर्जापुर के रहने वाले हैं। वे भी करीब छह माह से मंदिर के समर्थन की मुहिम चला रहे हैं। कभी शिलादान कर, कभी उपवास कर, कभी संतों के साथ बैइक कर।इसी क्रम में मंगलवार को पूर्वाह्न वे बिड़ला धर्मशाला से सरयू तट तक सैकड़ों मुस्लिमों के साथ मार्च निकालने की तैयारी में हैं। बब्लू कहते हैं, मुस्लिम स्वयं को मंदिर के विरोधी के तौर पर न प्रस्तुत करें और उनकी समस्याएं दूसरे ढंग की हैं, उसका समाधान भी होना चाहिए पर मस्जिद का आग्रह नकारात्मकतापूर्ण है। हाल ही में एक अन्य मुस्लिम धर्म गुरु सैय्यद इरफान किछौछवी भी मंदिर के समर्थन में आगे आए हैं। By Ashish Mishra Let's block ads! (Why?)