
कानूनी लड़ाई में उलझी पीसीएस 2016, इस वर्ष पूरा होने के आसार नहीं
कानूनी लड़ाई में उलझी पीसीएस 2016, इस वर्ष पूरा होने के आसार नहींपीसीएस परीक्षा 2016 अब भी कानूनी लड़ाई में उलझी है। प्रारंभिक परीक्षा में गलत प्रश्न पूछने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूरा परिणाम ही रद करके संशोधित रिजल्ट जारी करने का निर्देश दिया इलाहाबाद (जेएनएन)। उप्र लोकसेवा आयोग पीसीएस 2017 की प्रारंभिक परीक्षा 24 सितंबर को कराने जा रहा है। वहीं, पीसीएस परीक्षा 2016 अब भी कानूनी लड़ाई में उलझी है। प्रारंभिक परीक्षा में गलत प्रश्न पूछने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूरा परिणाम ही रद करके संशोधित रिजल्ट जारी करने का निर्देश दिया था। उस पर सुप्रीम कोर्ट से स्थगनादेश जारी हो चुका है, लेकिन आयोग ऐसे प्रकरण भविष्य में न होने पाए इस पर अंकुश लगाने पर गंभीर नहीं है, इसके बजाए अन्य तरह-तरह की घोषणाएं की जा रही हैं। हजारों अभ्यर्थी अधर में फंसे हैं और उनमें से अधिकांश 2017 की परीक्षा देने जा रहे हैं।उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा (पीसीएस) सामान्य और विशेष चयन-2016 प्रारंभिक परीक्षा 20 मार्च 2016 को कराई गई। इसमें चार लाख 36 हजार 413 आवेदन हुए और इनमें से दो लाख 50 हजार 696 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए थे। मई में प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम जारी हुआ। इसके 633 पदों के लिए 14615 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए। इसमें कई प्रश्नों के जवाब गलत थे। अभ्यर्थियों की आपत्तियों की अनसुनी पर प्रकरण हाईकोर्ट पहुंचा।हाईकोर्ट में पीसीएस-प्री 2016 को लेकर सुनील कुमार सिंह व अन्य ने याचिका दाखिल की। जिसमें नौ दिसंबर 2016 को हाईकोर्ट ने पीसीएस-प्री 2016 का परिणाम रद करते हुए संशोधित परीक्षा परिणाम जारी करने का आदेश दिया। उस पर बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। हाईकोर्ट ने आयोग को कड़ी नसीहत देते हुए कहा था की परीक्षा नियंत्रक योग्य लोगों के पैनल से प्रश्नों का निर्धारण करें, क्योंकि लोग कड़ी मेहनत कर परीक्षा में बैठते हैं। गलत प्रश्नोत्तर की वजह से प्रतियोगियों के भाग्य प्रभावित हो रहे हैं। गलत प्रश्नों की वजह से वे सही प्रश्नोत्तरी तक नहीं पहुंच पाते।परीक्षाओं के गलत उत्तर विकल्प को लेकर याचिकाएं कोर्ट में आईं जिससे आयोग के विशेषज्ञों की योग्यता पर सवाल उठ रहे हैं। हाईकोर्ट ने कहा था की प्री परीक्षा में गलत उत्तर विकल्पों वाले प्रश्न 25, 66 व 92 को हटाकर और प्रश्न 44 में विकल्प बी व सी भरने वाले अभ्यर्थियों को पूरा अंक देते हुए नए सिरे से परिणाम घोषित किया जाए। साथ ही परीक्षा में सवालों के गलत उत्तर विकल्प मामले में आयोग को भविष्य में अतिरिक्त सावधानी बरतने का निर्देश दिया।हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था की यदि मुख्य परीक्षा का परिणाम घोषित न हुआ हो तो पीसीएस-प्री 2016 का परिणाम घोषित न किया जाए और हाईकोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया था की यदि मुख्य परीक्षा परिणाम घोषित हो चुका हो तो परिणाम के आधार पर कोई कार्रवाई तब तक न की जाए जब तक पीसीएस-प्री 2016 की परीक्षा के पुनर्मूल्यांकन में सफल अभ्यर्थियों की मुख्य परीक्षा का परिणाम भी घोषित न हो जाए। आयोग हाईकोर्ट के आदेश को छोडि़ए उसके निर्देशों पर भी अमल नहीं कर रहा है। By Ashish Mishra Let's block ads! (Why?)