विश्व पर्यावास दिवस 2020: संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों द्वारा 2015 के मार्गदर्शक दस्तावेज में सतत विकास एजेंडा 2030 शामिल
संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों द्वारा 2015 के मार्गदर्शक दस्तावेज में शामिल सतत विकास एजेंडा 2030 में 17 सतत विकास लक्ष्य एवं 169 प्रतिबिंबित लक्ष्य, सामूहिक दृष्टिकोण एवं अन्य लक्ष्य शामिल हैं: श्री हरदीप सिंह पुरी
नई-दिल्ली (PIB): आवास एवं शहरी मामले मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी ने आज नई दिल्ली के निर्माण भवन से विश्व पर्यावास दिवस 2020 के अवसर पर एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों द्वारा 2015 में जो सतत विकास एजेंडा 2030 शामिल किया गया, वह इस धरती और उस पर रहने वाले लोगों के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज है। श्री पुरी ने कहा कि इसमें उल्लिखित 17 सतत विकास लक्ष्यों एवं 169 प्रतिबिंबित लक्ष्यों से उन सामूहिक दृष्टिकोण एवं लक्ष्यों का पता चलता है, जिन्हें 2030 तक पूरा करने के लिए हमें काम करना होगा। सदस्य देशों द्वारा सतत विकास लक्ष्यों को शामिल करने से पहले ही स्वच्छ भारत मिशन-शहरी, प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी, स्मार्ट सिटी मिशन, अमृत मिशन जैसे सभी फ्लैगशिप अभियानों के तहत इन्हें कार्यान्वित किया जा रहा था। भारत जैसे विशाल, विविधतापूर्ण और जनसंख्या वाले देशों में इस महत्वाकांक्षी शहरी एजेंडे को कार्यान्वित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। उन्होंने कहा कि मुझे पूरी आशा और विश्वास है कि हम सफल होंगे। ऐसे किसी वृहद प्रयास में सफलता पाने के लिए सशक्त राजनीतिक इच्छाशक्ति एक अनिवार्य घटक है, जो इस सरकार में यह पर्याप्त है। इस वेबिनार में आवास एवं शहरी मामले मंत्रालय में सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र, संयुक्त राष्ट्र संघ की एजेंसियों, राज्यों एवं मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे। विश्व पर्यावास दिवस 2020 के अवसर पर, हुडको जैसे आवास एवं शहरी मामले मंत्रालय के संगठनों, बीएमटीपीसी, सीजीईडब्ल्यूएचओ और एनसीएचएफ के कई ई-प्रकाशनों का भी विमोचन किया गया।
अपने संबोधन में श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि शहरी क्षेत्रों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक बड़े पैमाने पर प्रवास होना एक प्रमुख चुनौती है। इसके समाधान के लिए, सरकार ने शीघ्रतापूर्वक काफी संख्या में किराये के आवास उपलब्ध कराने के लिए एक योजना तैयार की है। इसके लिए एक पर्यावरण अनुकूल प्रणाली तैयार की गई है और इसके लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है। नई और पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित निर्माण प्रौद्योगिकियों एवं तकनीकों के इस्तेमाल पर काफी जोर दिया गया है। पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को नियंत्रित करने में यह काफी प्रभावकारी होगा। एक वैश्विक आवास प्रौद्योगिकी प्रतियोगिता के माध्यम से, सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रौद्योगिकियों को लाने की जरूरत है।
स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के तहत उपलब्धियों का विवरण प्रस्तुत करते हुए, श्री पुरी ने कहा कि व्यक्तिगत एवं सामुदायिक शौचालयों के लिए न केवल लक्ष्य पूरा किया गया है, बल्कि 2 अक्तूबर, 2019 तक निर्धारित लक्ष्य से अधिक काम किया गया है। वास्तव में यह महात्मा गांधी के लिए सबसे अच्छी श्रद्धांजलि हो सकती है। इसमें न केवल पक्षपात को रोका गया है, बल्कि भारत के लोगों ने आश्चर्यजनक रूप से इस योजना को एक जन आंदोलन बना दिया है। दो फिल्में भी ऐसी बनी, जिनका मूल विषय शौचालय के इर्दगिर्द था। उन्होंने कहा इस प्रकार का व्यापक बदलाव संभव हुआ है।
श्री पुरी ने प्रौद्योगिकी के कारण पैदा होने वाले लाभों के बारे में कहा कि स्मार्ट सिटीज मिशन की वास्तुकला प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग करने में सक्षम बनाती है। इस प्रकार एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी) वास्तविक समय के आधार पर महत्वपूर्ण नगरपालिका कार्यों की निगरानी करता है। पूरे शहर में सीसीटीवी की व्यापक उपलब्धता से यह सुनिश्चित हुआ है कि नागरिकों, मुख्य रूप से महिलाओं ने सुरक्षा की भावना को अनुभव किया है। इन स्मार्ट शहरों में जहां पहले अपराध की दरों की बड़ी कहानियां सामने आ रही थीं, उनमें अब सराहनीय रूप से कमी आई है। इसी प्रकार, समाज के कमजोर वर्ग जो विशेष रूप से परेशानी में थे उनकी मदद करने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना शुरू की है, जिसमें लागू किये गये लॉकडाउन द्वारा प्रभावित स्ट्रीट वेंडरों पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया गया है। प्रतिभागी बैंकों द्वारा स्ट्रीट वेंडरों को तुरंत जमानत मुक्त 10,000 रुपये की कार्य पूंजी उपलब्ध कराई गई। इसके साथ-साथ उन्हें औपचारिक अर्थव्यवस्था और औपचारिक डिजिटल बैंकिंग इको-सिस्टम में भी शामिल किया जा रहा है।
श्री पुरी ने कहा कि आज दुनिया विभक्ति के अनेक बिंदुओं के शीर्ष पर है। कोविड-19 ने इस गति को तेज और गंभीर बना दिया है। यथास्थिति बाधित हो गई है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसने दुनिया को आत्मनिरीक्षण करने और अपना मार्ग सही करने के लिए मजबूर किया है। भारत की जनसंख्या 1.35 बिलियन है। इसलिए इसकी चुनौतियां भी बहुत अधिक बढ़ गई हैं। सौभाग्य से राजनीतिक नेतृत्व, केंद्र, राज्यों और जिलों में नौकरशाही ने इस अवसर पर अच्छा काम किया है। स्वास्थ्य पेशेवरों के नेतृत्व में फ्रंट लाइन योद्धाओं ने इस फ्रंट पर अच्छा काम किया है। लेकिन भारत ने लचीला रुख अपनाया है। हम इस महामारी से मजबूती और समझदारी से बाहर आएंगे। मुझे विश्वास है कि हमारे शहर इससे सही सबक सीखेंगे और शहरों को भविष्य के लिए तैयार करेंगे।
(फोटो साभार- मल्टी मीडिया)
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