COVID-19: केवीआईसी के भारतीय ताड़ उद्योग में प्रवेश से नए रोजगारों, जैविक उत्पादों के सामने आने की संभावना: सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय
नई-दिल्ली, 17 जून 2020 (PIB): सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने नीरा एवं ताड़गुड़ का उत्पादन करने के लिए एक अनूठी परियोजना आरंभ की है जिसमें देश में रोजगार सृजन की भारी संभावना है। इस परियोजना का उद्वेश्य साफ्ट ड्रिंक के विकल्प के रूप में नीरा को बढ़ावा देना तथा जनजातियों तथा पारंपरिक पाशिकों (ट्रैपर) के लिए स्व-रोजगार का सृजन करना भी है। यह परियोजना मंगलवार को महाराष्ट्र, जहां 50 लाख से अधिक ता़ड़ के पेड़ हैं, के पालघर जिले के दहानु में लांच की गई।
केवीआईसी ने नीरा निकालने एवं ताड़गुड़ बनाने के लिए 200 स्थानीय कारीगरों को टूल किट बांटे जिन्हें केवीआईसी द्वारा 7 दिनों का प्रशिक्षण दिया गया। 15,000 रुपये के मूल्य के बराबर के इस टूल किट में फूड ग्रेड स्टेनलेस स्टील कढ़ाई, परफोरेटेड मोल्ड्स, कैंटीन बर्नर्स एवं चाकू, रस्सी तथा नीरा निकालने के लिए कुल्हाड़ी जैसे अन्य उपकरण शामिल हैं। यह पहल 400 स्थानीय पारंपरिक पाशिकों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराएगी।
नीरा सूर्योदय से पहले ताड़ पेड़ से निकाली जाती है और भारत के कई राज्यों में एक पोषक स्वास्थ्य पेय के रूप में पी जाती है। तथापि, संस्थाकृत बाजार तकनीक के अभाव के कारण, अभी तक नीरा का व्यावसायिक उत्पादन तथा बड़े पैमाने पर विपणन आरंभ नहीं हुआ है। यह परियोजना केंद्रीय एमएसएमई मंत्री श्री नितिन गडकरी की पहल पर शुरू की गई है जो नीरा को व्यावसायिक रूप से उपयोगी बनाने के लिए साफ्ट ड्रिंक के रूप में नीरा का उपयोग करने के लिए राज्य की कुछ बड़ी कंपनियों को शामिल करने की संभाव्यता की भी खोज कर रहे हैं।
देश भर में लगभग 10 करोड़ ताड़ पेड़ हैं। इसके अतिरिक्त, अगर समुचित तरीके से मार्केटिंग की जाए तो कैंडी, मिल्क चाकलेट, पाम कोला, आईसक्रीम जैसे उत्पादों की व्यापक श्रृंखला तथा पारंपरिक मिठाइयां भी नीरा से तैयार की जा सकती हैं। वर्तमान में, देश में 500 करोड़ रुपये के बराबर के ताड़ गुड़ नीरा का व्यापार किया जाता है। नीरा के व्यावसायिक उत्पादन के साथ इस टर्नओवर में कई गुना बढोतरी होने की संभावना है।
केवीआईसी ने नीरा तथा ताड़ गुड़ के उत्पादन पर एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की है। प्रस्ताव किया गया है कि नियंत्रित स्थितियों के तहत नीरा का मानकीकृत संग्रह, प्रसंस्करण तथा पैकिंग आरंभ की जाए जिससे कि इसे किण्वन से बचाया जा सके। इसका उद्देश्य कोल्ड चेन के जरिये प्रसंस्कृत नीरा का बी2सी सप्लाई चेन तक पहुंचना है।
केवीआईसी के अध्यक्ष श्री विनय सक्सेना ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कारीगरों को टूल किट वितरित करते हुए कहा ‘ नारियल पानी की तर्ज पर, हम नीरा को बाजार में उपलब्ध सॉफ्ट ड्रिंक के विकल्प के रूप में बढ़ावा देने पर कार्य कर रहे हैं। नीरा जैविक है तथा पोषकों में समृद्ध है और इस प्रकार एक संपूर्ण स्वास्थ्य पेय है। नीरा के उत्पादन एवं विपणन में बढोतरी के साथ, हम इसे भारत के ग्रामीण उद्योग के एक प्रमुख कार्यक्षेत्र के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। ‘
श्री सक्सेना ने कहा कि नीरा के उत्पादन में बिक्री तथा स्व रोजगार के सृजन के रूप में भारी संभावना है। सक्सेना ने कहा, ‘ ताड़ उद्योग भारत में रोजगार का एक प्रमुख सृजक हो सकता है। यह माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्म निर्भर एवं वोकल फार लोकल की अपील के साथ भी जुड़ा हुआ है।
इसके साथ साथ, नीरा में निर्यात की भी असीम संभावनाएं हैं क्योंकि श्रीलंका, अफ्रीका, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड एवं म्यांमार जैसे देशों में भी इसका उपभोग किया जाता है। भारत में महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, दमन एवं दीव, दादर एवं नागर हवेली, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में ताड़ प्रक्षेत्रों की बहुतायत है जो भारत को वैश्विक रूप से अग्रणी उत्पादक बना सकते हैं।
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