COVID-19 - उत्तर प्रदेश: किसानों को अनाज बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने की अनिवार्यता ही किसानों के साथ सरकार का अन्याय, धोखा और बेईमानी है: राघवेन्द्र सिंह
- किसानों को उनके फसल के सही दाम दिलाने की फ़र्ज़ी घोषणाएं कर रहे हैं, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री
- कोरोना वायरस महामारी और लॉक डाउन में किसान और खेतिहर मज़दूर हैं सबसे परेशान
(राघवेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय महासचिव- लोसपा)
ललितपुर: कोरोना वायरस महामारी और लॉक डाउन में किसान और खेतिहर मज़दूर सबसे अधिक परेशान हैं तथा उन्हें उनकी फसलों के सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं। प्रधानमंत्री, कृषिमंत्री और मुख्यमंत्री, किसानों को उनके फसल के सही दाम दिलाने और तमाम राहत पहुंचाने की फ़र्ज़ी घोषणाएं कर रहे हैं। किसानों को अनाज बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने की अनिवार्यता ही किसानों के साथ सरकार का अन्याय, धोखा और बेईमानी है। ऐसा कहना है, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रिय महासचिव - राघवेंद्र सिंह का, जो स्वयं भी एक किसान हैं तथा सरकार की गन्दी नीतियों और फसलों के सही दाम किसान को नहीं मिलने से खासे आक्रोशित हैं।
एक तरफ जहां भारत सरकार और सरकार का कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय अपनी पीठ खुद ठोंक - ठोंक कर दावा कर कह रहा है कि, "COVID-19 संकट के चलते प्रभावी लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री- श्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर, किसानों को हरसंभव राहत दी गई है। अकेले प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) स्कीम में ही गत 24 मार्च से अब तक करीब एक महीने में किसानों के खातों में 17,986 करोड़ रूपए जमा किए गए हैं। प्रारंभ से अब तक 9।39 करोड़ किसान परिवार लाभान्वित हुए हैं तथा 71,000 करोड़ रू. की राशि अंतरित की जा चुकी है। किसानों की भलाई के लिए पहले कभी किसी भी सरकार ने इतने कम समय में इतनी ज्यादा राशि नहीं दी। साथ ही बताया कि जीडीपी में कृषि के योगदान के भी बढ़ने की उम्मीद है।", वहीँ दूसरी तरफ देश के किसानों का और उनके समर्थन में खड़े लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी का कहना है कि "किसानों को अनाज बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने की अनिवार्यता ही किसानों के साथ सरकार का अन्याय धोखा और बेईमानी है।"
किसानों के पक्ष में लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी किसानों के साथ खड़ी है तथा सरकार द्वारा किसानों को अनाज बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने की अनिवार्यता का विरोध कर रही है।
लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रिय महासचिव - राघवेंद्र सिंह ने कहा कि, "लॉकडाउन की वजह से किसानों की स्थिति क्या होगी, आप आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं। गांव के किसानों की हालत हमेशा से ही खराब रही है। लॉकडाउन में स्थितियां और भी बदतर हो गई हैं। फसल कट गई है, लेकिन अनाज मंडी तक नहीं जा पा रहा है। सरकार ने फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर दिया है, लेकिन "किसानों को अनाज बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने की अनिवार्यता" के कारण सरकारी खरीद नहीं हो रही है"।
राघवेंद्र सिंह ने कहा कि, "लॉकडाउन किसानों की परेशानियों की एक बड़ी वजह यह भी है कि, ट्रांसपोर्टेशन (यातायात) के संसाधन बंद हैं, ट्रकों के पहिए थमे हुए हैं और इसकी वजह से भो फसल / अनाज बाजार तक या केंद्रों तक नहीं पहुंच पा रही है। किसान फसल/ अनाज को खेतों में नहीं रख सकता, क्योंकि थोड़ी सी भी बारिश पूरी फसल बर्बाद कर देगी। अब इसका फायदा दलाल उठा रहे हैं"।
लोसपा नेता - राघवेंद्र सिंह ने कहा कि, श्री M P Singh Bundela जी ने भी सच कहा है कि, "किसानों को अनाज बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने की अनिवार्यता ही किसानों के साथ सरकार का अन्याय, धोखा और बेईमानी है"।
राघवेंद्र सिंह ने कहा कि, "प्रत्येक किसान की सारी जानकारी राजस्व विभाग के पास उपलब्ध है।"
उन्होंने सरकार से मांग की है कि, "लेखपालों से प्रत्येक किसान की सूची खरीद केंद्रों पर दी जाए, जिससे किसान को रजिस्ट्रेशन कराने की आवश्यकता ही नहीं पड़े। हर साल की खसरा रिपोर्ट भी उसमें दर्ज हो। खरीद प्रक्रिया को यदि गांव स्तर पर कर दिया जाए।"
लोसपा नेता - राघवेंद्र सिंह ने कहा कि, "हजारों किसान खसरा - 61ख बनवाने में, रजिस्ट्रेशन कराने में तथा तहसील कार्यालयों के चक्कर लगाने में लाखों रुपए का पेट्रोल, बस किराया तथा अपना समय तथा श्रम बरवाद करते हैं। चपरासी से लगाकर तहसील आफिस तक भारी भ्रष्टाचार होता है। इस खरीद प्रक्रिया को यदि गांव स्तर पर कर दिया जाए तो खरीद सरल भी होगी और किसान को भी अनावश्यक समस्याओं से मुक्ति मिलेगी।"
राघवेंद्र सिंह ने कहा कि, "मुख्यमंत्री जी और प्रधानमंत्री जी द्वारा किसानों के फसल के दाम दिलाने की केवल फर्जी घोषणा करने से उसे फसल के उचित दाम नहीं मिल जाएंगे। यदि गांव-गांव वोट डलवाए जा सकते हैं, कोटा, राशन वटवाया जा सकता है, पोलियो दवाई पिलाई जा सकती है, वोटर लिस्ट का सत्यापन हो सकता है तो, किसानों के अनाज की खरीद क्यों नहीं हो सकती?- आवश्यकता है तो सरकार की इच्छा शक्ति की। सच तो यह है कि प्रक्रिया जितनी कठिन होगी सरकारी तंत्र को भ्रष्टाचार करने में उतनी ही सहूलियत होगी।"
अब देखना है कि, क्या प्रधान मंत्री, कृषि मंत्री और मुख्य मंत्री जी देश और प्रदेश के सभी किसानों को उनके फसल के सही दाम दिलाने और तमाम राहत पहुंचाने में कामयाब होते है और उसके लिए नीतियों में संसोधन करते है अथवा घोषणाओं तक ही सिमित रह जाते हैं?-
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