विशेष: सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा VIDEO - झूठ आज से नहीं अनन्त काल से रथ पर सवार है........
"कोरोना महामारी" पर "विशेष" में प्रस्तुत है, सोशल मीडिया पर वायरल होती VIDIO - कवि भवानीप्रसाद मिश्र की कविता
"महारथी और अब के"____
लखनऊ: कोरोना वायरस महामारी पर विशेष में प्रस्तुत है, सोशल मीडिया पर वायरल होती वीडियो, जो महान समाजवादी चिंतक व विचारक- रघु ठाकुर, राष्ट्रीय संरक्षक- लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी के फेस बुक पर उपलब्ध "अव्यक्त" द्वारा प्रस्तुत सर्व प्रिय कवि भवानीप्रसाद मिश्र की जयंती पर उनकी कविता का वीडियो। आज की परिस्थितियों में पढ़ने-सुनाने का मन हुआ और इसे "विशेष" में पाठकों के लिए प्रस्तुत करना महत्वपूर्ण लगा।
प्रस्तुत है,
1. महारथी और 2. अब के/ कवि भवानीप्रसाद मिश्र:
1. महारथी२/ कवि भवानीप्रसाद मिश्र:
झूठ आज से नहीं
अनन्त काल से
रथ पर सवार है
और सच चल रहा है
पाँव-पाँव
नदी पहाड़ काँटे और फूल
और धूल
और ऊबड़-खाबड़ रास्ते
सब सच ने जाने हैं
झूठ तो
समान एक आसमान में उड़ता है
और उतर जाता है
जहाँ चाहता है
क्रमश: बदली है
झूठ ने सवारियाँ
आज तो वह सुपरसॉनिक पर है
और सच आज भी
पाँव-पाँव चल रहा है
इतना ही हो सकता है किसी-दिन
कि देखें हम
सच सुस्ता रहा है
थोड़ी देर छाँव में
और
सुपरसॉनिक किसी झँझट में पड़कर
जल रहा है
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2. अब के/ कवि भवानीप्रसाद मिश्र:
मुझे पंछी बनाना अब के
या मछली
या कली
और बनाना ही हो आदमी
तो किसी ऐसे ग्रह पर
जहाँ यहाँ से बेहतर आदमी हो
कमी और चाहे जिस तरह की हो
पारस्परिकता की न हो।
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इन कविताओं को शेयर करने के उपरांत अपनी पोस्ट में रघु ठाकुर ने आज के परिपेक्ष्य में लिखा है कि, "किसी राज्य या पार्टी मेंअनुशासन तब आता है जब उसके अंग अपने ऊपर कार्य के सर्वज्ञात अंगों की रोक लगाते हैं। विवेकहीन व्यवहार द्वारा अपनी शक्ति का अपव्यय नहीं होने देते। वे राजनीतिक संस्थायें जो अपने अनुयायियों के भाषण पर अनुशासन की रोक लगाती हैं और नेत्रिवर्ग को मनमाने काम की छूट देती हैं, उस पल्टन के समान होती है जो नहीं जानती की उन्हें करना क्या है।"
सरकार व राजनैतिक पार्टियों ने इन पर ध्यान दिया और कथनी - करनी में फर्क नहीं रखा तो राजनैतिक परिवर्तन संभव है और उसकी एक लौ राजनैतिक पैगम्बर- रघु ठाकुर के रूप में दिखाई देती है।
संपादक
(साभार- फेसबुक/ मल्टीमीडिया)
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