ट्रंप के रुख से पहेली बना व्यापार समझौता
नई-दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार समझौते के बारे में शुक्रवार को विरोधाभासी बयान देकर भ्रम की स्थिति पैदा कर दी। इससे हर कोई यह अनुमान लगा रहा है कि उनके अगले सप्ताह होने वाले भारत दौरे में दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर होंगे या नहीं। ट्रंप ने पहले लास वेगस में संकेत दिया कि उनके भारत दौरे में एक शानदार समझौता हो सकता है। लेकिन एजेंसियों के मुताबिक उन्होंने साथ ही कहा कि इस पर दोनों देशों की रफ्तार कम हो सकती है। हम चुनाव के बाद इसे अंजाम देंगे। मुझे लगता है कि ऐसा भी हो सकता है। हम देखेंगे कि क्या होता है। लेकिन बाद में उन्होंने कोलाराडो में एक चुनावी जनसभा में भारत के प्रति सख्त रवैया दिखाते हुए कहा कि वह कई सालों से ज्यादा शुल्क लगाकर अमेरिका को नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने कहा कि वह अमेरिकी उत्पादों को बढ़ावा देने, खासकर भारत में उन पर लगने वाले शुल्क पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बात करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत उन देशों में शामिल है जहां अमेरिकी उत्पादों पर सबसे अधिक शुल्क लगता है।
ट्रंप का ताजा बयान ऐसे समय आया है जब एक दिन पहले ही भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका के साथ व्यापार मुद्दों पर चर्चा जारी रहेगी और भारत विवादास्पद बातचीत पर कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता है। इससे पहले ट्रंप ने बुधवार को कहा था कि उनके भारत दौरे में द्विपक्षीय व्यापार समझौते की उम्मीद नहीं है। उनका कहना था कि भारत के साथ व्यापक समझौते को अंतिम रूप देने में समय लगेगा। भारत का भी कहना है कि ट्रंप के दौरे में बातचीत रक्षा सहयोग बढ़ाने, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों के बीच संबंधों को बढ़ाने और एच1बी वीजा को लेकर भारत की चिंता पर केंद्रित रहेगी।
हालांकि वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि भारत छोटे व्यापारिक सौदे पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद कर रहा है, जो कृषि उत्पादों से जुड़े हो सकते हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, "अमेरिका बड़े सौदे करना चाहता है, जैसा कि इस साल की शुरुआत में चीन के साथ व्यापारिक तनाव को कम करने के लिए किए गए थे। लेकिन अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइज़र का नई दिल्ली का दौरा अचानक रद्द होने से व्यापार को लेकर बातचीत एकदम से बंद हो गई है।" लाइटहाइज़र को व्यापार के लिए ट्रंप का खास माना जाता है और विश्व व्यापार संगठन में लंबी लड़ाई के बाद पिछले साल भारत के निर्यात संवद्र्घन योजना का अधिकांश हिस्सा बंद करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने उम्मीद जताई कि हालांकि कृषि को लेकर बातचीत की राह अभी खुली है और दोनों देशों के प्रमुखों के संयुक्त बयान में व्यापार सहयोग संधि की सीमित घोषणा की जा सकती है। इसके तहत बादाम, अखरोट, सेब और शराब जैसे उच्च मूल्य के उत्पादों के आयात पर शुल्क को भारत रणनीतिक तौर पर कम कर सकता है। पिछले साल सरकार ने जिन 29 वस्तुओं पर आयात शुल्क में 50 फीसदी का इजाफा किया था, उनमें ये कृषि उत्पाद भी शामिल हैं।
(साभार- बी एस)
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