पेंशन की जिम्मेदारी ले सरकार: रेल मंत्रालय
नई-दिल्ली: रेल मंत्रालय ने सरकार से कहा है कि, "वह उसके वित्तीय दबाव को देखते हुए अनुमानित रूप से 50,000 करोड़ रुपये की पेंशन देनदारी ले ले। रेलवे 2024 तक क्षमता बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है, जो संभवत: इस वित्त वर्ष के अंत तक पूरी हो जाए और उसका परिचालन अनुपात पिछले साल से भी खराब रहने की संभावना है।"
भारतीय रेलवे ने प्रमुख परियोजनाएं पूरी करने का लक्ष्य रखा है, जिनमें समर्पित मालवहन गलियारे, तेज रफ्तार रेलवे और सिगनलिंग का उन्नयन शामिल है। इसका मकसद माल ढुलाई में हिस्सेदारी बढ़ाकर 75 प्रतिशत करना है, जो अभी 25 प्रतिशत है।
रेलवे में करीब 15 लाख पेंशनधारक हैं। अन्य सरकारी विभागों के विपरीत रेलवे के पेंशनधारकों का भुगतान रेल राजस्व से होता है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वाई के यादव ने बुधवार को कहा, "हमने वित्त मंत्रालय से अनुरोध किया है कि यह देनदारी पूरी तरह से या चरणों में अपने ऊपर ले। अन्यथा हमें 15,000 से 20,000 करोड़ रुपये का घाटा होगा।"
रेलवे ने इस साल परिचालन मुनाफा 95 प्रतिशत रखने का लक्ष्य रखा है, जो 2018-19 में 98.4 प्रतिशत और 2019-20 में 97.29 प्रतिशत था। बजट अनुमान में पुनरीक्षित परिचालन अनुपात बजट की तुलना में ज्यादा रहने की उम्मीद है। यादव ने कहा कि रेलवे अगले 2 महीनों में खर्चों को तार्किक बनाने व कमाई बढ़ाने की कवायद कर रहा है, जिससे कि वित्तीय दबाव कम किया जा सके।
उन्होंने कहा कि रेलवे साल के अंत तक 1.9 से 2 लाख करोड़ रुपये की कमाई हो सकती है, जिसमें से 25 प्रतिशत पेंशन संबंधी देनदारी के भुगतान में जाएगा। उन्होंने कहा कि तेज रफ्तार गलियारे, समर्पित मालवहन गलियारे व मल्टीट्रैकिंग से क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
(साभार- बी एस)
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