प्रधानमंत्री ने अटल भूजल योजना आरम्भ की
रोहतांग दर्रे के नीचे रणनीतिक सुरंग का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया नलों के जरिए पीने का पानी प्रत्येक परिवार को उपलब्ध कराया जाएगाः श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत अटल भूजल योजना 7 राज्यों के 8350 गांवों में जल जीवन मिशन (जेजेएम) के जरिए कार्यान्वित की जाएगी.
नई-दिल्ली/ लखनऊ: जल शक्ति मंत्रालय ने बताया है कि, "प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर अटल भूजल योजना (अटल जल) आरम्भ की और वाजपेयी जी के नाम पर रोहतांग दर्रे के नीचे रणनीतिक सुरंग का नाम रखा।"
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण परियोजना रोहतांग सुरंग, जो हिमाचल प्रदेश की मनाली के साथ लेह, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर को जोड़ती है, आज से अटल सुरंग के नाम से जानी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह रणनीतिक सुरंग इस क्षेत्र का भाग्य बदल देगी। यह क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने में सहायता करेगी।
अटल जल योजना पर प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि जल का विषय वाजपेयी जी के लिए बहुत महत्वपूर्ण और उनके हृदय के बहुत निकट था। हमारी सरकार उनके विजन को कार्यान्वित करने का प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल जल योजना या जल जीवन मिशन से संबंधित दिशा-निर्देश 2024 तक देश के प्रत्येक घर में पानी पहुंचाने के संकल्प की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। उन्होंने कहा कि यह जल संकट एक परिवार, एक नागरिक और एक देश के रूप में हमारे लिए बहुत चिंताजनक है और यह विकास को भी प्रभावित करता है। नवीन भारत को हमें जल संकट की प्रत्येक स्थिति से निपटने में तैयार करना है। इसके लिए हम एकजुट होकर पांच स्तरों पर कार्य कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जल शक्ति मंत्रालय ने जल को वर्गीकृत दृष्टिकोण से मुक्त किया और एक व्यापक तथा समग्र दृष्टिकोण पर बल दिया। हमने देखा है कि जल शक्ति मंत्रालय से समाज की तरफ से जल संरक्षण के लिए कितने व्यापक प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ जल जीवन मिशन प्रत्येक घर में पाइप जलापूर्ति पहुंचाने की दिशा में कार्य करेगा और दूसरी ओर अटल जल योजना उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देगा, जहां भूजल बहुत कम है।
जल प्रबंधन में बेहतर प्रदर्शन करने में ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल जल योजना में एक प्रावधान किया गया है, जिसमें बेहतर प्रदर्शन करने वाली ग्राम पंचायतों को अधिक आवंटन दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि 70 वर्षों में, 18 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3 करोड़ के पास पाइप जलापूर्ति की सुविधा पहुंच पाई है। अब हमारी सरकार ने पाइपों के जरिए अगले 5 वर्षों में 15 करोड़ घरों में पीने के स्वच्छ पानी की सुविधा पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जल संबंधित योजनाएं प्रत्येक ग्राम स्तर पर स्थिति के अनुसार बनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के लिए दिशा-निर्देश तैयार करते समय इस पर ध्यान दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकारें दोनों ही अगले 5 वर्षों में जल संबंधित योजनाओं पर 3.5 लाख करोड़ रुपये व्यय करेंगी। उन्होंने प्रत्येक गांवों के लोगों से एक जल कार्य योजना बनाने और एक जल निधि सृजित करने का अनुरोध किया। किसानों को एक जल बजट बनाना चाहिए, जहां भूजल बहुत कम है।
इस अवसर पर केन्द्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था जल संरक्षण पर निर्भर है और हमें सावधानीपूर्वक जल संसाधनों का उपयोग करना चाहिए। हमें भूजल स्तर बढ़ाने के लिए ठोस प्रयास करने की जरूरत है। श्री सिंह ने प्रधानमंत्री को पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रोहतांग सुरंग का नाम ‘अटल सुरंग’ करने पर बधाई दी।
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि अटल भूजल योजना के तहत सरकार देश के प्रत्येक घर को पीने की स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि हम मुख्य रूप से भूजल पर निर्भर हैं और यह देश में पीने के पानी की आवश्यकताओं के 85 प्रतिशत की पूर्ति कर रहा है। उन्होंने कहा कि भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए कदम उठाने की नितांत आवश्यकता है।
केन्द्रीय जल शक्ति, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री रतन लाल कटारिया एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।
अटल भूजल योजना (अटल जल)
अटल जल की रूपरेखा सहभागी भूजल प्रबंधन के लिए संस्थागत संरचना को सुदृढ़ करने तथा सात राज्यों अर्थात गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में टिकाऊ भूजल संसाधन प्रबंधन के लिए समुदाय स्तर पर व्यवहारगत बदलाव लाने के मुख्य उद्देश्य के साथ बनाई गई है। इस योजना के कार्यान्वयन से इन राज्यों के 78 जिलों में लगभग 8350 ग्राम पंचायतों को लाभ पहुंचने की उम्मीद है। अटल जल मांग पक्ष प्रबंधन पर मुख्य जोर के साथ पंचायत केन्द्रित भूजल प्रबंधन और व्यवहारगत बदलाव को बढ़ावा देगी।
5 वर्षों (2020-21 से 2024-25) की अवधि में क्रियान्वित किए जाने वाले 6,000 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय में से, 50 प्रतिशत विश्व बैंक ऋण के रूप में होगा और उनका पुनर्भुगतान केन्द्र सरकार द्वारा किया जाएगा। शेष 50 प्रतिशत का भुगतान नियमित बजटीय समर्थन से केन्द्रीय सहायता द्वारा किया जाएगा। विश्व बैंक ऋण का समस्त घटक और केन्द्रीय सहायता राज्यों को अनुदान के रूप में दी जाएगी।
रोहतांग दर्रे के नीचे सुरंग
रोहतांग दर्रे के नीचे एक रणनीतिक सुरंग बनाने का ऐतिहासिक निर्णय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा लिया गया था। 8.8 किलोमीटर लंबी यह सुरंग समुद्र तल से 3,000 मीटर की ऊंचाई पर विश्व की सबसे लंबी सुरंग है। यह मनाली और लेह के बीच की दूरी में 46 किलोमीटर की कमी करेगी और परिवहन लागतों में करोड़ों रुपये की बचत करेगी। यह 10.5 मीटर चौड़ी सिंगल ट्यूब बाइ-लेन सुरंग है, जिसमें एक अग्निरोधी आपातकालीन सुरंग मुख्य सुरंग में ही निर्मित है। दोनों सिराओं पर सफलता 15 अक्टूबर, 2017 को ही अर्जित कर ली गई थी। यह सुरंग पूरी होने वाली है और हिमाचल प्रदेश और लद्दाख के सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों को सदैव कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने की दिशा में एक कदम है, जो अन्यथा शीत ऋतु के दौरान लगभग 6 महीने तक लगातार शेष देश से कटे रहते थे।
परिचालनगत दिशा-निर्देश निम्नलिखित हैः
1. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 13.08.2019 को 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) उपलब्ध कराने के लिए जल जीवन मिशन (जेजेएम) को मंजूरी दी।
2. उपलब्ध जानकारी के अनुसार, देश के 17.87 करोड़ ग्रामीण घरों में से, लगभग 14.6 करोड़ में जो 81.67 प्रतिशत हैं, उनमें अभी भी घरेलू पानी के नल कनेक्शन नहीं हैं। कुल परियोजना लागत लगभग 3.60 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। केंद्रीय हिस्सा 2.08 लाख करोड़ रुपये होगा। हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए निधि साझा करने की पद्धति 90:10 होगी; अन्य राज्यों के लिए 50:50 होगी और केन्द्रशासित प्रदेश के लिए 100 प्रतिशत होगी।
3. मिशन और राज्यों / संघ शासित प्रदेशों से अपेक्षित कार्यों के बारे में विवरण देते हुए जेजेएम की व्यापक रूपरेखा सभी राज्यों / केन्द्रशासित प्रदेशों को संचारित कर दी गई। जल शक्ति मंत्री की अध्यक्षता में राज्य मंत्रियों का एक राष्ट्रीय स्तर सम्मेलन 26/8/2019 को आयोजित किया गया था, जिसमें जेजेएम के कार्यान्वयन के तौर-तरीकों पर विस्तार से चर्चा की गई थी।
4. जैसा कि सरकार का निर्णय था कि पाँच क्षेत्रीय कार्यशालाएँ आयोजित की गईं, जिनमें देश के उत्तर, पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में एक-एक कार्यशालाओं का आयोजन किया गया और इनमें राज्य सरकारों, स्वयंसेवी संगठनों, विकास साझीदारों,जल क्षेत्र के व्यवसायियों इत्यादि जैसे जलापूर्ति के सभी हितधारकों ने भाग लिया।
5. इसके अतिरिक्त, विभाग ने देश के विभिन्न हिस्सों में मौजूद पेयजल आपूर्ति क्षेत्र में मुद्दों की व्यापक समझ विकसित करने के लिए संसद में माननीय सांसदों द्वारा उठाए गए सवालों की समीक्षा की है, जिसका उद्देश्य यह है कि दिशानिर्देशों का निर्माण करते हुए, वर्तमान में मौजूद मुद्दों पर जहां तक संभव है, रणनीतिक और कार्यान्वयन के पहलुओं पर ध्यान दिया जा सके। इसी प्रकार,स्थायी समिति की रिपोर्टों एवं लेखा परीक्षा रिपोर्टों की विस्तार से जांच की गई, ताकि एनआरडीडब्ल्यूपी के कार्यान्वयन में कमियों की जानकारी प्राप्त हो सके और दिशा-निर्देशों में दी गई टिप्पणियों का समाधान किया जा सके।
6. भारत सरकार के अन्य मंत्रालयों के साथ मिशन के कार्यान्वयन पहलुओं पर भी विचार-विमर्श किया गया।
7. उपरोक्त पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, जल जीवन मिशन के परिचालन दिशानिर्देशों को अंतिम रूप दिया गया है। परिचालन दिशा-निर्देश को जल-शक्ति मंत्रालय, पीने के पानी और स्वच्छता विभाग के पोर्टल पर भी डाला गया है, जिससे कि उपयुक्त फीडबैक / टिप्पणियां प्राप्त हो सकें। दिशा-निर्देशों की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
i) प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एफएचटीसी प्रदान करने के जरिए राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) के तहत आरम्भ की गई योजनाओं की समयबद्ध पूर्णता प्रस्तावित की गई है। एफएचटीसी प्रदान करने के लिए पुनःसंयोजन की लागत को छोड़कर समय के विस्तार या लागत में वृद्धि की अनुमति नहीं दी जाएगी।
ii) जेजेएम के तहत जल गुणवत्ता प्रभावित बस्तियों को शामिल करने को प्राथमिकता दी जाएगी।
iii) जेजेएम के कार्यान्वयन के लिए निम्नलिखित संस्थागत व्यवस्था प्रस्तावित की गई है:
- केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय जल जीवन मिशन;
- राज्य स्तर पर राज्य जल और स्वच्छता मिशन (एसडब्ल्यूएसएम);
- जिला स्तर पर जिला जल और स्वच्छता मिशन (डीडब्ल्यूएसएम); तथा
- गाँव स्तर पर ग्राम पंचायत और / या इसकी उप-समितियाँ अर्थात् जल ग्राम स्वच्छता कमेटी (वीडब्ल्यूएससी) / पानी समिति।
iv) जेजेएम के लिए अतिरिक्त बजटीय संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे और इससे आवंटन मानदंड के अनुसार राज्यों / केन्द्रशासित प्रदेशों के बीच सकल बजटीय सहायता के साथ आवंटित करने का प्रस्ताव है।
v) राज्यों / केन्द्रशासित प्रदेशों के अच्छे प्रदर्शन को वित्तीय वर्ष के आखिर में अन्य राज्यों द्वारा उपयोग नहीं किए गए निधि में से प्रोत्साहित किया जाएगा।
vi) केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों को जारी की गई निधि एक एकल नोडल खाते (एसएनए) में जमा की जानी है, जिसका रखरखाव एसडब्ल्यूएसएम द्वारा किया जाएगा और राज्य के समरूप हिस्से को केंद्रीय रिलीज के 15 दिनों के भीतर स्थानांतरित किया जाएगा। निधियों पर नजर रखने के लिए सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) का उपयोग किया जाना चाहिए।
vii) मिशन की वास्तविक और वित्तीय प्रगति की निगरानी आईएमआईएस और पीएफएमएस के माध्यम से निधि उपयोग द्वारा किया जाना प्रस्तावित है।
viii) बिजली शुल्क, नियमित कर्मचारियों के वेतन और भूमि की खरीद आदि जैसी योजनाओं के लिए केन्द्रीय हिस्से से खर्च की कोई अनुमति नहीं दी जाएगी।
ix) भारत के संविधान के 73वें संशोधन की भावना को अपनाते हुए, ग्राम पंचायतें या इसकी उप-समितियाँ, गाँव के बुनियादी ढाँचे की योजना, डिजाइन, निष्पादन, संचालन और रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
x) ग्रामीण समुदायों के बीच स्वामित्व और गौरव की भावना लाने के लिए, पहाड़ी, वनाच्छादित क्षेत्रों और 50 प्रतिशत से अधिक अजा/अजजा बाहुल्य जनसंख्या वाले गाँवों में गाँव के भीतर ही पानी की आपूर्ति के लिए बुनियादी ढांचे की लागत की दिशा में 5 प्रतिशत और शेष में 10 प्रतिशत का पूंजीगत लागत योगदान प्रस्तावित हैं।
xi) गाँव के भीतर ही पानी की आपूर्ति के लिए बुनियादी ढांचे की लागत में 10 प्रतिशत प्रदान करके समुदायों को पुरस्कृत किया जाएगा, जिसका रखरखाव टूटने आदि के कारण किसी भी अप्रत्याशित व्यय को पूरा करने के लिए एक रिवॉल्विंग फंड के रूप में होगा।
xii) गांव के भीतर के बुनियादी ढांचे के कार्यान्वयन एवं सामुदायिक भागीदारी प्रक्रिया को प्रारम्भिक सहायता देने और उसे सुगम बनाने के लिए ग्राम पंचायत और / या इसकी उप-समिति कार्यान्वयन सहायता एजेंसियों (आईएसए) अर्थात् स्व-सहायता समूह (एसएचजी) / सीबीओ/ एनजीओ/ वीओ आदि की राज्य सरकार द्वारा पहचान और सूचीबद्ध किया जाना और आवश्यकता के अनुसार एसडब्ल्यूएसएम/ डीडब्ल्यूएसएम द्वारा नियुक्त किया जाना प्रस्तावित है।
xiii) 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार में एफएचटीसी प्रदान करने के लिए समयबद्ध तरीके और उपयुक्त गति तथा क्षमता के साथ तेजी से कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए, जल क्षेत्र के सभी हितधारकों अर्थात् स्वैच्छिक संगठन, सेक्टर भागीदार, जल क्षेत्र से जुड़े पेशेवर, विभिन्न निगमों के फाउंडेशन और सीएसआर विभाग के साथ साझेदारी करने का प्रस्ताव है ।
xiv) जेजेएम का उद्देश्य पर्याप्त मात्रा में यानी नियमित आधार पर प्रति व्यक्ति 55 लीटर प्रति दिन (एलपीसीडी) निर्धारित गुणवत्ता का हो यानी आईएस के बीआईएस मानक 10500 का पीने का पानी उपलब्ध कराना है। घरेलू परिसर में सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता से स्वास्थ्य में सुधार होगा और इससे ग्रामीण आबादी की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में बेहतरी आएगी तथा इससे ग्रामीण महिलाओं, विशेषकर लड़कियों के कठिन परिश्रम में भी कमी आएगी।
xv) प्रत्येक गांव को एक ग्राम कार्य योजना (वीएपी) तैयार करनी है, जिसमें अनिवार्य रूप से तीन घटक होंगे; i) जल स्रोत और इसका रखरखाव ii) जल आपूर्ति और iii) धूसर जल प्रबंधन। जिला कार्य योजना तैयार करने के लिए जिला स्तर पर ग्राम कार्य योजना बनाई जाएगी, जिसे राज्य स्तर पर एकत्रित कर राज्य कार्य योजना बनाई जाएगी। राज्य कार्य योजना विशेष रूप से जल प्रभावित क्षेत्रों की आवश्यकताओं पर ध्यान देने के लिए क्षेत्रीय ग्रिड, थोक जल आपूर्ति और वितरण परियोजनाओं जैसी परियोजनाओं को शामिल करते हुए एक समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत करेगी और इसमें राज्य में पेयजल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी एक योजना होगी।
xvi) एसडब्ल्यूएसएम दर अनुबंध पर फैसला करेगा और केन्द्रीकृत टेंडरिंग के माध्यम से प्रतिष्ठित निर्माण एजेंसियों / विक्रेताओं को सूचीबद्ध करेगा तथा शीघ्र कार्यान्वयन के लिए डिजाइन टेम्पलेट भी तैयार करेगा।
xvii) वर्षा जल संचयन, भूजल पुनर्भरण और धूसर जल प्रबंधन (पुन: उपयोग सहित) प्रकार के अन्य जल संरक्षण उपायों जैसे अनिवार्य स्रोत संधारणीयता उपायों को मनरेगा और वित्त आयोग, राज्य वित्त आयोग, जिला खनिज विकास निधि (डीएमएफ) के तहत अनुदान के साथ अभिसरण में आरम्भ करने का प्रस्ताव है। विभिन्न स्रोतों चाहे यह एमपीएलएडी, एमएलएएलएडी,डीएमडीएफ जैसे सरकारी स्रोतों से हों, या फिर अनुमोदित योजनाओं के अनुरूप सख्ती से उपयोग में लाए गए राज्य स्तर या ग्राम स्तर पर दान जैसे स्रोतों से हों, पीने के पानी की आपूर्ति के लिए उपलब्ध निधि का आकलन और संचय करना प्रस्तावित है। यह स्वीकृत योजना से अलग समानांतर जल आपूर्ति बुनियादी ढांचे के निर्माण को रोकने में मदद करता है।
xviii) दिशानिर्देश यह भी प्रस्तावित करते हैं कि राज्यों के पास एक निश्चित ओ एंड एम नीति होगी, जो विशेष रूप से उपयोगकर्ता समूहों से लागत वसूली सुनिश्चित करने के द्वारा पीडब्ल्यूएस योजना की मासिक ऊर्जा लागत जैसी ओ एंड एम आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए होगी और इस प्रकार सार्वजनिक व्यय पर किसी भी अवांछित बोझ से बचा जा सकेगा।
xix जेजेएम ने पेयजल आपूर्ति सेवाओं के प्रावधान में एक संरचनात्मक परिवर्तन की परिकल्पना की है। सेवा प्रावधान को ‘सेवा प्रदायगी’ पर केंद्रित ‘उपयोगिता आधारित दृष्टिकोण’ में बदल जाना चाहिए। इस तरह के सुधार को दिशानिर्देशों में प्रस्तावित किया गया है ताकि संस्थानों को सेवाओं पर ध्यान देने वाली उपयोगिताओं के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाया जा सके और पानी के शुल्क / उपयोगकर्ता शुल्क की वसूली की जा सके।
xx दिशा-निर्देशों में सेंसर आधारित आई ओ टी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने के द्वारा पानी की उपलब्धता और गुणवत्ता की माप का पता लगाया जाना भी प्रस्तावित है।
xxi जवाबदेही की भावना भरने के लिए कोई भी भुगतान करने से पहले तीसरे पक्ष के निरीक्षण का प्रस्ताव है।
xxii जेजेएम के तहत कार्यान्वित योजनाओं का कार्यात्मक मूल्यांकन विभाग / एनजेजेएम द्वारा किया जाएगा।
xxiii दिशा-निर्देशों में एचआरडी, आईईसी, कौशल विकास आदि जैसी समर्थन गतिविधियों को भी सूचीबद्ध किया गया है, जिन्हें जेजेएम के तहत उठाया जाएगा।
xxiv इसी प्रकार, जेजेएम के तहत जल गुणवत्ता निगरानी और निरीक्षण एक महत्वपूर्ण घटक होना प्रस्तावित है, जिसमें पीएचई विभाग द्वारा जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना और रखरखाव तथा समुदाय द्वारा निगरानी गतिविधियाँ की जाएंगी, जिससे कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपूर्ति किया गया पानी नियत गुणवत्ता का है और इस प्रकार जेजेएम के तहत कार्यात्मकता की परिभाषा का पालन किया गया है।
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