सरकार नवीकरणीय ऊर्जा में कटौती का प्रबंध करने तथा कारोबार को सुगम बनाने के लिए प्रतिबद्ध: नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
नई-दिल्ली: केन्द्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा (एमएनआरई) मंत्रालय में सचिव श्री आनंद कुमार ने कहा है कि सरकार नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में डेवलपरों के लिए कटौती का प्रबंध करने तथा कारोबार को सुगम बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। मैडरिड, स्पेन में मैडरिड जलवायु सम्मेलन (सीओपी25) के दौरान भारत के मंडप में भारत में नवीनीकरण योग्य ऊर्जा सत्र को संबोधित करते हुए श्री कुमार ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने को सहायता प्रदान करने के लिए क्षेत्रीय ऊर्जा प्रबंधन केन्द्रों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि नवीनीकरण के लिए कम जोखिम वाले निवेश का भुगतान सुरक्षा तंत्र मौजूद है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय किसानों और व्यावसायिक उपभोक्ताओं के साथ कार्य कर रहा है ताकि उन्हें प्रत्यक्ष साझेदारों के रूप में नवीनीकरण मूल्य श्रृंखला से जोड़ा जा सके।
श्री कुमार ने कहा कि सरकार को विश्वास है कि वह 2022 तक 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के अपने लक्ष्य को पूरा कर लेगी और उसे 450 गीगावॉट तक बढ़ा लेगी। उन्होंने बताया कि भारत की वर्तमान क्षमता 83 गीगावॉट है और अतिरिक्त 70 गीगावॉट क्षमता का उत्पादन हो रहा है। उन्होंने कहा कि नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का लक्ष्य जून, 2020 तक सौर और पवन ऊर्जा के लिए शेष क्षमताओं की बोली लगाना है जिससे डेवलपरों को इसे पूरा करने के लिए 30 महीने का समय मिलेगा।
श्री आनंद कुमार ने निजी निवेश बढ़ाने और जोखिम कम करने के नवोन्मेषी तरीके और साधनों के संग्रह के जरिए भारत के स्वच्छ ऊर्जा बाजार का विस्तार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज के मूल्यों पर वर्ष 2022 तक नवीनीकरण योग्य ऊर्जा में अतिरिक्त निवेश करीब 80 अरब डॉलर होगा और 2030 तक करीब 300 अरब डॉलर निवेश की आवश्यकता होगी। उन्होंने बाजार के कम पूर्ति वाले खंड में निजी पूंजी को आकर्षित करने के लिए भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (ईरेडा) की ‘एस ‘ग्रीन विंडो’ पहल की जानकारी दी। ग्रीन विंडो के शीर्ष दावेदारों में भंडारण, इलेक्ट्रिक गतिशीलता, वितरित नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता शामिल है। उन्होंने बताया कि ईरेडा अपना वैकल्पिक निवेश कोष शुरू कर रही है ताकि वह बीमा, पेंशन कोष आदि को आकर्षित अपनी पूंजी को दोबारा लगा सके और बांड बाजार को मजबूत बनाए और बदले में परियोजनाओं को सीधे सार्वजनिक कोष से जोड़ने की अनुमति दे सके।
उन्होंने सौर पम्प स्थापित करने और ग्रिड से जुड़े नवीकरणीय बिजली संयंत्रों को लगाने के उद्देश्य से किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना की जानकारी दी जिसमें 2022 तक 26 गीगावॉट क्षमता और 1.7 मिलियन किसानों को लक्षित किया गया है। कुसुम का उद्देश्य ग्रागीण भू-मालिकों को एक स्थिर, निरंतर और दीर्घकालिक आय का स्त्रोत प्रदान करना है। इसके फायदों में ग्रामीण लोड केन्द्रों और कृषि पंप सेटो के लिए केन्द्रित स्थानीय स्वच्छ बिजली, ग्रिड लोड को जोड़े बिना ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना; पारेषण नुकसान को कम करना; मंहगे और प्रदूषण फैलाने वाले डीजल चलित पम्पों का कम इस्तेमाल तथा सिचांई के विश्वसनीय स्त्रोत शामिल हैं।
मध्य प्रदेश सरकार में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव श्री मनु श्रीवास्तव ने कहा कि भारत के नवीनीकरण योग्य क्षेत्र में निवेशकों का विश्वास बनाए रखने के लिए हमें परियोजनाओं को व्यवहार्य बनाना चाहिए, बोली कर्ताओं और बैंकरों के मामलों में परियोजनाओं के समक्ष मौजूद अनिश्चितताओं का समाधान करना चाहिए, प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाने के साथ सभी साझेदारों के बीच स्वामित्व स्थापित किया जाना चाहिए।
चिली के कोऑर्डिनेडर इलैक्ट्रिको नेसियोनल के अध्यक्ष, निदेशक मंडल श्री जुआन कार्लोस आलमेडो ने जोर देकर कहा कि तेजी से आपस में जुड़ती दुनिया में भारत की ‘एक सूर्य, एक दुनिया, एक ग्रिड’ की परिकल्पना का विशेष महत्व है क्योकि चिली जैसे देश जो नवीनीकरण योग्य ऊर्जा की दृष्टि से समृद्ध है उन्हें अब वैश्विक ऊर्जा बाजार में प्रवेश का अवसर मिलेगा।
ईरेना, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, जर्मन डेवलपमेंट बैंक केएफडब्ल्यू, प्राकृतिक संसाधन रक्षा परिषद और इंडिया स्मार्ट ग्रिड फोरम के विशेषज्ञों ने नवीनीकरण योग्य ऊर्जा को तेजी से मापने में नीति, निधियन, निर्माण, मूल्य, टेक्नोलोजी, भंडारण और सेवाओं में लचीलेपन के महत्व पर जोर दिया।
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