हैदराबाद बलात्कार-हत्याकांड: सांसदों ने की त्वरित कार्रवाई की मांग - घटना की एक स्वर में निंदा
हैदराबाद: दो दिसंबर को हैदराबाद में एक महिला पशु चिकित्सक के सामूहिक बलात्कार और उसकी निर्मम हत्या की संसद के दोनों सदनों में सोमवार को कड़ी निंदा की गयी और विभिन्न राज्यों में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किए।
केंद्र ने कहा कि वह कड़े प्रावधानों को लाने और शीघ्र न्याय सुनिश्चित करने के लिए कानून में संशोधन करने को तैयार है। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने ऐसे जघन्य अपराधों के दोषियों द्वारा उच्च अदालतों में अपील करने और दया याचिका दायर करने की अनुमति देने के चलन की समीक्षा करने की जरूरत पर बल दिया है।
लोकसभा और राज्यसभा में सभी दलों के सांसदों ने "एक आवाज में" हैदराबाद मामले की निंदा की और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के दोषियों को निश्चित समय सीमा में दंडित करने के लिए कड़े कानून लाए जाने की मांग की।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने निचले सदन में शून्य काल के दौरान कहा कि उन्हें इस जघन्य अपराध की निंदा करने के लिए शब्द नहीं मिल रहे।
हैदराबाद के निकट शादनगर अदालत पुलिस की उस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगी जिसमें पूछताछ के लिए चारों आरोपियों को 10 दिन के लिये हिरासत में दिये जाने की मांग की गई है।
शादनगर बार संघ ने फैसला किया है कि वह आरोपियों के मामले की पैरवी नहीं करेगा और उन्हें कोई कानूनी मदद नहीं देगा जिसके बाद अदालत ने चारों आरोपियों को नोटिस जारी किए जाने का भी निर्देश दिया।
इस घटना के विरोध में हैदराबाद और तेलंगाना के विभिन्न हिस्सों में सोमवार को भी प्रदर्शन जारी रहा। छात्रों, वकीलों और अन्य ने रैलियां निकालीं और मामले में गिरफ्तार चारों आरोपियों को मौत की सजा दिये जाने की मांग की।
इस निर्मम घटना के खिलाफ अपना विरोध जताने के लिये लोग दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी एकत्रित हुए। काला बैंड पहने लोग सड़कों पर उतरे। कुछ लोगों के हाथों में तख्तियां थीं, जिनपर लिखा था- "हमें न्याय चाहिए" और "बलात्कारियों को सूली पर चढ़ाओ।।
दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज की छात्रा अदिति पुरोहित नारे लगाते समय रो पड़ीं।
उन्होंने कहा, "मैं यहां इसलिए हूं क्योंकि एक महिला जो घर से दूर दिल्ली में रहती है उस नाते, यह मुद्दा मुझे और मेरे परिवार को प्रभावित करता है।"
प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय और यादवपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने कोलकाता में प्रदर्शन किए और बलात्कार मामलों में त्वरित कार्रवाई किए जाने की मांग की।
तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने "पीटीआई" को फोन पर बताया कि उन्होंने राज्य सरकार से कुछ जानकारी मांगी है। जानकारी मिलने के बाद वह बलात्कार एवं हत्या के इस मामले पर जल्द की केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजेंगी। वह पीड़िता के परिवार को अनुग्रह राशि दिए जाने के मामले पर भी काम कर रही हैं।
इस बीच, इस मामले में कथित रूप से लापरवाही बरतने के लेकर लोगों को निशाने पर आई तेलंगाना पुलिस ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे "जीरो एफआईआर" दर्ज करने समेत हर मामले को प्राथमिकता देते हुए कार्रवाई करे।
एक अधिकारी ने "पीटीआई" से कहा कि, "जीरो एफआईआर" का प्रावधान लंबे समय से है लेकिन पशु चिकित्सक के बलात्कार एवं हत्या मामले के मद्देनजर इन निर्देशों को दोहराया गया है।
समाजवादी पार्टी की सदस्य जया बच्चन ने राज्यसभा में कड़े शब्दों में इस घटना की निंदा करते हुए वहां के सुरक्षा प्रभारी को जवाबदेह ठहराए जाने की मांग की।
बच्चन ने कहा "हैदराबाद में एक दिन पहले भी उसी जगह इसी तरह की घटना हुई थी। वहां के सुरक्षा प्रभारी को क्यों जवाबदेह नहीं बनाया जाना चाहिए?- उनसे सवाल क्यों नहीं किए जाने चाहिए?- उन्होंने अपनी जिम्मेदारी का समुचित तरीके से निर्वाह क्यों नहीं किया।"
उन्होंने कहा, "यह पहला अवसर नहीं है जब मैं ऐसे किसी मुद्दे पर बोलने के लिए खड़ी हुई हूं। निर्भया कांड, कठुआ कांड..... यह थम ही नहीं रहा।"
जया ने कहा "बलात्कार के दोषियों के साथ किसी तरह की नरमी नहीं की जानी चाहिए, उन्हें सख्त सजा दी जानी चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई सार्वजनिक तौर पर होनी चाहिए।"
द्रमुक के पी विल्सन ने कहा कि अदालतों को "बलात्कार के दोषियों का, जेल से रिहाई से पहले सर्जरी के जरिये या रसायनों के जरिये बन्ध्याकरण के आदेश देने का अधिकार दिया जाना चाहिए ताकि वे रिहा होने के बाद ऐसे अपराध दोबारा न कर सकें और दूसरों के मन में भी डर उत्पन्न हो।"
उच्च सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने हैदराबाद की घटना को दिल दहला देने वाली घटना बताते हुए कहा, "कई बार कानून के बावजूद समस्या हल नहीं हो पाती। इस समस्या से निपटने के लिए हर स्तर पर, हर जगह पूरे समाज को खड़ा होना पडेगा।"
उन्होंने कहा कि दोषियों को धर्म या जाति के भेदभाव से अलग हट कर कठोरतम सजा दी जानी चाहिए।
कांग्रेस के मोहम्मद अली खान ने कहा कि बलात्कार के दोषियों के खिलाफ सुनवाई की समय सीमा तय की जानी चाहिएए सुनवाई त्वरित अदालतों में होनी चाहिए और इस तरह की घटनाओं को सांप्रदायिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए।
आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने बलात्कार के दोषियों के खिलाफ समयबद्ध सुनवाईए मृत्युदंड की सजा दिए जाने के अलावा जगह जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने और जोखिम वाली जगहों पर रोशनी की व्यवस्था किए जाने की मांग भी की।
लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि ऐसे अपराधों की रोकथाम के लिए कठोर कानून बनाए गए हैं जिन पर सदन की सहमति से पुनर्विचार किया जा सकता है।
लोकसभाध्यक्ष ने हैदराबाद की घटना पर पूरे सदन की तरफ से दुख प्रकट करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं और अपराध हमें चिंतित भी करते हैं और आहत भी करते हैं।
राजनाथ सिंह ने हैदराबाद में एक युवती के साथ बलात्कार और उसकी निर्मम हत्या की घटना की निंदा करते हुए कहा कि अगर इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सदन में कठोर कानून बनाने पर सहमति बनेगी तो सरकार इसके लिए तैयार है।
सिंह ने कहा, "इससे अधिक अमानवीय कृत्य नहीं हो सकता है। सभी शर्मसार और आहत हैं।"
उन्होंने कहा कि निर्भया कांड के बाद इसी सदन में कठोर कानून बना था लेकिन उसके बाद भी इस तरह के जघन्य अपराध हो रहे हैं।
उन्होंने कहा, "सभी सदस्यों की राय के बाद जो कठोर कानून बनाने पर सहमति होगी, हम उसके लिए तैयार हैं।"
गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा, "आतंकवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ कतई बर्दाश्त नहीं करने के संकल्प की तरह ही सरकार महिलाओं के खिलाफ अपराध को कतई बर्दाश्त नहीं करने की प्रतिबद्धता रखती है।"
निचले सदन में महिलाओं के खिलाफ अपराध का विषय उठाते हुए सदस्यों ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में संशोधन तथा बलात्कार के मामले में कानून को और कठोर बनाने की मांग की।
इस पर गृह राज्य मंत्री ने कहा, "सदस्यों ने सीआरपीसी और आईपीसी में संशोधन की बात कही है। सरकार तैयार है। इस बारे में सभी राज्यों को चिट्ठी लिखी गई है। विधि विभाग और पुलिस विभाग से भी सुझाव आमंत्रित किये गए हैं।"
सदन में शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए कांग्रेस के उत्तम कुमार रेड्डी ने मांग की कि त्वरित अदालत बनाकर हैदराबाद की घटना के मामले में शीघ्र सुनवाई की जाए और दोषियों को जल्द से जल्द फांसी देने की दिशा में कार्रवाई की जाए।
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने मांग की कि हैदराबाद की घटना पर सदन संज्ञान ले और केंद्र सरकार तत्काल कठोर कानून लाकर दुष्कर्म के मामलों में केवल मौत की सजा का प्रावधान लाए।
तेलंगाना से भाजपा के बी संजय कुमार ने दोषियों के खिलाफ तत्काल कठोर दंडात्मक कार्रवाई की मांग की।
उन्होंने कहा कि दोषियों को फांसी की सजा सुनाये जाने के बाद भी महीनों तक मामले लटके रहते हैं और अपराधियों को प्रोत्साहन मिलता है।
बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा ने इस संबंध में निर्भया कांड का उल्लेख करते हुए कहा कि इस मामले में चार दोषियों को अभी तक फांसी पर नहीं लटकाया गया है जबकि उनकी पुनर्विचार याचिका भी खारिज हो चुकी हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में दोषियों को जल्द से जल्द फांसी देने की दिशा में तेजी से सरकार को बढ़ना होगा ताकि यह नजीर साबित हो सके।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने कहा कि ऐसी घटनाओं से समाज में हमारा सिर शर्म से झुक जाता है। सदन पहले भी इस तरह के मामलों पर चर्चा में एक सुर में अपनी बात कह चुका है।
टीआरएस सदस्य नामा नागेश्वर राव ने कहा कि ऐसी जघन्य घटनाएं किसी राज्य का विषय नहीं है बल्कि यह पूरे देश के समक्ष समस्या है। ऐसी घटनाओं को देखते हुए आईपीसी, सीआरपीसी में संशोधन करने की जरूरत है ।
गौरतलब है कि हैदराबाद के एक सरकारी अस्पताल में बतौर सहायक पशु चिकित्सक काम करने वाली एक महिला का अधजला शव शहर के शादनगर इलाके में 28 नवंबर को एक पुल के नीचे मिला था। इससे एक दिन पहले वह लापता हो गई थी।
इस मामले में चार लोगों को 29 नवंबर को गिरफ्तार किया गया। शनिवार को इन सभी आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। सभी आरोपियों की आयु 20 से 24 साल के बीच है।
(साभार- भाषा)
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