
रायबरेली में रेल कोच बना रहे हैं रोबोट- मशीनी मानव, विकास या विनाश!!
"आज का ज्वलंत प्रश्न: मशीनी मानव इस प्रदेश और देश के लिए विकाश है या विनाश"!!!
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़ (ऑन-लाइन न्यूज़ पोर्टल)- swatantrabharatnews.com
☆उम्मीद से ज्यादा हुआ उत्पादन☆
► वेल्डिंग में लगता है 70 फीसदी कम समय
► रोबोट वेल्डिंग की गुणवत्ता काफी बेहतर
आइये देखते हैं, "मॉडर्न रेल कोच फैक्ट्री के इस वीडियो" को.....
☆रायबरेली कोच फैक्ट्री को नरेंद्र मोदी जी ने मई 2014 से नव जीवन दिया और तमाम बदलाव कर जनता के धन से "रोबोटिक & ऑटोमेटेड असेम्ब्ली लाइन/ मशीनी मानव" स्थापित करा कर* उत्पादन क्षमता बढ़ाई है।☆
नई-दिल्ली: खबर है कि, रायबरेली स्थित मॉडर्न कोच फैक्टरी (एमसीएफ) ने जब 2018-19 में करीब 1500 रेल कोच बनाए तो इस पर कई लोगों ने आश्चर्य जताया। इसकी वजह यह थी कि इसकी सालाना क्षमता केवल 1000 कोच बनाने की है।
इस जबरदस्त सफलता का श्रेय फैक्टरी के कर्मचारियों के अलावा 44 रोबोट को भी जाता है। फैक्टरी में रोबोट का इस्तेमाल इंटीग्रेटेड शेल असेंबली लाइन और रोबोटिक बोगी फैब्रिकेशन लाइन में किया जाता है। एफसीएफ और उसकी डिजाइन सलाहकार इरकॉन रायबरेली इकाई को दुनिया की सबसे बड़ी कोच फैक्टरी बनाना चाहते हैं। रेलवे बोर्ड भी एमसीएफ को दुनिया की सबसे बड़ी कोच फैक्टरी बनाना चाहता है जिसमें सालाना कम से कम 5000 कोच बनाए जाएंगे। इस यूनिट के दूसरे चरण का जल्द ही विस्तार किया जाएगा जिससे इसकी क्षमता 2000 कोच हो जाएगी।
इरकॉन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एसके चौधरी ने कहा, "कपूरथला की रेलवे कोच फैक्टरी में 7000 कर्मचारी हैं, लेकिन रायबरेली में रोबोट आने के बाद कर्मचारी घटे हैं और उनकी संख्या 2000 है।
वेल्डिंग से लेकर कटिंग और असेंबलिंग तक अधिकांश गतिविधियों में रोबोट का इस्तेमाल हो रहा है।" मौजूदा क्षमता के साथ एमसीएफ ने चालू वित्त वर्ष में 1800 कोच बनाने का लक्ष्य रखा है।
ये "रोबोट" दक्षिण कोरिया, स्पेन और जर्मनी से मंगाए गए हैं।
फैक्टरी में एक इंटीग्रेटेड शेल असेंबली लाइन है, जहां रोबोट का व्यापक इस्तेमाल होता है। इस काम में 36 रोबोट जुटे हैं। इरकॉन के मुताबिक उत्पादन की जरूरतों को पूरा करने के लिए यह इकाई छह घंटे की पाली में कम से कम दो कोच तैयार करती है। इसी तरह रोबोटिक बोगी फै ब्रिकेशन लाइन में आठ रोबोट का इस्तेमाल होता है और इसमें छह घंटे की पाली में चार बोगी तैयार होती हैं। चौधरी ने कहा, "ये सभी विश्वस्तरीय सुविधाएं हैं और भारत में कहीं भी रेलवे इस तरह की रोबोटिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल नहीं कर रहा है।"
अब रेलवे बोर्ड दूसरी विनिर्माण इकाइयों में भी रोबोटिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर विचार कर रहा है।
इरकॉन ने पहले ही रेलवे से एमसीएफ के दूसरे चरण के विस्तार का ठेका उसे देने का आग्रह कर चुका है। कंपनी का कहना है कि रोबोटिक वेल्डिंग से मैन्युअल वेल्डिंग की तुलना में करीब 70 फीसदी कम समय लगता है। एमसीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "जब एक तरफ काम चल रहा होता है तो दूसरी तरफ रोबोट से वेल्डिंग होती है। ऑपरेटर का केवल इतना काम है कि वह तैयार उत्पाद को हटाता है और उसकी जगह दूसरे कलपुर्जों को वेल्डिंग के लिए लाता है। इस प्रक्रिया में कुल समय में करीब 80 फीसदी की बचत होती है।" चौधरी ने कहा कि रायबरेली इकाई एल्युमीनियम कोच बनाने में सक्षम होगी और यह वंदे भारत की तरह के कोच भी बना सकती है जिन्हें निर्यात किया जा सकता है। एमसीएफ बुलेट ट्रेन के कोच भी बनाएगी।
"आज का ज्वलंत प्रश्न: मशीनी मानव इस प्रदेश और देश के लिए विकाश है या विनाश"!!!
भारत में वर्ष 2018 में 12 करोड़ लोग बेरोजगार थे।
भारत में रोजगार के क्षेत्र में संकट लगातार गंभीर हो रहा है। इस साल जनवरी की शुरुआत में ही खबर आई थी कि बीते साल लगभग 1.10 करोड़ नौकरियां खत्म हुई हैं और महीना बीतते न बीतते नेशनल सैंपल सर्वे आफिस (एनएसएसओ) के एक सर्वेक्षण के हवाले यह बात सामने आई कि वर्ष 2017-18 के दौरान भारत में बेरोजगारी दर बीते 45 वर्षों में सबसे ज्यादा रही है। इसमें कहा गया था कि देश में वर्ष 1972-73 के बाद बेरोजगारी दर सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है। शहरी इलाकों में बेरोजगारी की दर 7.8 फीसदी है जो ग्रामीण इलाकों में इस दर (5.3 फीसदी) के मुकाबले ज्यादा है। उससे पहले सेंटर आफ मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि देश में बीते साल 1.10 करोड़ नौकरियां कम हुई हैं। यह हालत तब है जब वर्ष 2014 में केंद्र की एनडीए सरकार हर साल एक करोड़ नौकरियां पैदा करने का वादा कर सत्ता में आई थी।
सबसे चिंता की बात यह है कि इनमें पढ़े-लिखे युवाओं की तादाद ही सबसे ज्यादा है। बेरोजगारों में 25 फीसदी 20 से 24 आयुवर्ग के हैं, जबकि 25 से 29 वर्ष की उम्र वाले युवकों की तादाद 17 फीसदी है। 20 साल से ज्यादा उम्र के 14.30 करोड़ युवाओं को नौकरी की तलाश है। विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बढ़ता बेरोजगारी का यह आंकड़ा सरकार के लिए गहरी चिंता का विषय है, परन्तु ऐसा स्पष्ट रूप से प्रतीत हो रहा है कि, सरकार को बढ़ते हुए बेरोजगारी कि कोई चिंता नहीं है।
उक्त आंकड़ों को देखने और
आज भारतवर्ष में बेरोजगारी की स्थिति इतनी भयावह हो चुकी हो, तो हमारे मन में प्रश्न उठता है कि, "आज का ज्वलंत प्रश्न: मशीनी मानव इस प्रदेश और देश के लिए विकाश है या विनाश"!!!
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