कर्ज की दर के लिए नया बेंचमार्क
नई-दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों से सभी नए खुदरा ऋणों को रीपो दर जैसे बाह्य बेंचमार्क से जोडऩा अनिवार्य कर दिया है। हालांकि बैंकों ने पहले ही स्वैच्छिक तौर पर अपने ऋण को रीपो दर से जोडऩा शुरू कर दिया था और वे आवास एवं वाहन ऋण के लिए रीपो से जुड़े कर्ज की पेशकश कर रहे हैं लेकिन आरबीआई ने स्पष्ट किया सूक्ष्म एवं छोटे उद्यमों के कर्ज को भी बाह्य बेंचमार्क से जोड़ा जाए। आरबीआई ने तीन बाह्य बेंचमार्क का प्रस्ताव किया है - रीपो दर, फाइनैंशियल बेंचमार्क प्रा. लि. (एफबीआईएल) द्वारा जारी भारत सरकार के तीन और छह माह की ट्रेजरी बिल की यील्ड या एफबीआईएल द्वारा जारी कोई अन्य बेंचमार्क ब्याज दर। केंद्रीय बैंक इस बदलाव के लिए कर्ज पर ब्याज दर के अपने मूल निर्देशों में भी संशोधन किया है।
कुछ बैंक अपनी सीमांत उधारी दर की लागत (एमसीएलआर) की गणना तीन और छह माह के ट्रेजरी बिल के आधार पर करते हैं, लेकिन आरबीआई ने कहा, "ऐसा देखा गया है कि विभिन्न वजहों से नीतिगत दरों में बदलाव मौजूदा एमसीएलआर ढांचे के तहत बैंक की उधारी दर में संतोषजनक तरीके से परिलक्षित नहीं होता है।" बैंक ऐसे बाह्य बेंचमार्क से जुड़े कर्ज की पेशकश अन्य तरह के कर्जदारों को भी करने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन बैंकों को कर्ज श्रेणी में एकसमान बाह्य बेंचमार्क अपनाना होगा ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो और कर्ज लेने वालों को इसके बारे में आसानी से पता चल सके।
आरबीआई ने कहा, "बैंक बाह्य बेंचमार्क से ऊपर स्प्रेड तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे। हालांकि उधारी जोखिम प्रीमियम में तभी बदलाव होगा जब कर्जदार का उधारी मूल्यांकन में व्यापक बदलाव होता हो और यह ऋण अनुबंध में सहमति के आधार पर निर्भर करेगा।" परिचालन लागत सहित स्प्रेड के अन्य घटकों को तीन साल में एक बार संशोधित किया जा सकता है। बाह्य बेंचमार्क के अंतर्गत ब्याज दरों को तीन माह में कम से कम एक बार समीक्षा की जाएगी। मौजूदा उधारी प्रणाली जैसे एमसीएलआर या आधार दर या फिर मुख्य उधारी दर (प्रधान उधारी दर) से बाह्य मानक दर से जुडऩे की प्रक्रिया भुगतान या नवीरकण तक जारी रहेगी। जो ग्राहक बिना किसी अग्रिम भुगतान शुल्कों के परिवर्तित ब्याज दरों वाले ऋण का भुगतान करने में सक्षम है, वह बिना किसी शुल्क (वाजिब प्रशासनिक या कानूनी शुल्कों को छोड़कर) के बाह्य बेंचमार्क दर से जुडऩे के लिए भी योग्य होगा। आरबीआई ने कहा, "बाहरी बेंचमार्क दर से जुडऩे के बाद इस श्रेणी के ग्राहकों पर लगने वाली ब्याज दर इसी श्रेणी के नए ग्राहकों पर लगने वाले ब्याज के बराबर ही होगी।"
दूसरे मौजूदा ग्राहकों के पाास आपसी सहमति के आधार पर ऐसे बेंचमार्क दर से जुडऩे का विकलप होगा और यह पहल मौजूदा सुविधाओं की समाप्ति से जोड़कर नहीं देखी जाएगी। आरबीआई ने कहा, "उस बेंचमार्क से जुड़े सभी ऋणों के लिए किसी खास परिपक्वता अवधि के लिए बेंचमार्क दर से नीचे कोई उधारी नहीं दी जाएगी।" केंद्रीय बैंक ने सबसे पहले 5 दिसंबर 2018 को उधारी दर को किसी बाहरी बेंचमार्क से जोडऩे का मुद्दा उठाया था। पहले बैंकों के लिए बाह्य बेंचमार्क दरों से मिलान अनिवार्य करने की योजना थीए लेकिन बैंकों का कहना था कि ऐसा करने से उनका मार्जिन प्रभावित होगा। बैंकों का कहना था कि उन्हें फंसे कर्ज के लिए पहले से ही अधिक प्रावधान करने पड़ रहे हैं और ऐसे में मार्जिन कम होने से उनकी मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। हालांकि 7 अगस्त को मौद्रिक नीति समीक्षा के तुरंत बाद कई बैंकों ने कहा कि वे अपनी उधारी दरें रीपो रेट से जोड़ेंगे और 35 आधार अंक कटौती का लाभ अपने नए ग्राहकों को देंगे।
(साभार- बी.एस.)
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